आज हम उस दौर में खड़े हैं, जब एक नया युग आरम्भ हो चुका है।
युग परिवर्तन
युग परिवर्तन हो चुका है। आप और हम इस युग के गुलाम हैं। ये कोरोना का युग है। यह कोरोना की दुनिया है।
विश्व चरण पादुका
विश्व एक ऐसे चरण में कदम रख चुका है जो एक नये युग की शुरूआत है। यह शुरूआत अच्छा-बुरा कुछ भी हो सकता है।
इस बात से भला...
इस बात से भला किसे ऐतराज होगा कि कोरोना से पहले और बाद की दुनिया एक-सी नहीं होगी!
इस बात से भला किसे ऐतराज होगा कि उस दौर से इस दौर में जो प्रवेश कर गये, वह इस के सूत्रधार हैं!
इस बात से भला किसे ऐतराज होगा कि आप और हम जो कल की दुनिया में साथ थे, आज एक नयी दुनिया में भी साथ हैं!
इस बात से भला किसे ऐतराज होगा कि कोरोना के आने से पहले दुनिया किस प्रकार बेफिक्र थी और आने के बाद किसी कदर फिक्रमन्द है।
कोरोना सिस्टम
अगर हमें अपने लिए ज़िन्दगी चाहिए तो कोरोना सिस्टम के अनुसार ही जीना पड़ेगा। कोरोना अगर कहेगा कि उठ तो उठ और बैठ तो बैठ.....इधर चल तो इधर चल, उधर चल तो उधर चल.....। और जिस ने भी इस की अनदेखी की, उसे इस का फल भुगतना पड़ा। उदाहरण कई हैं और सभी जानते भी हैं।
अगर आप को विश्वास नहीं तो इसे इस तरह देख लीजिये आप और हम पहले की तरह हाथ नहीं मिला सकते, गले नहीं लग सकते, गलबहियाँ नहीं कर सकते.....हालाँकि हमारे बीच का प्रेम वही है मगर उसे ज़माने की नज़र लग गयी है, अलबत्ता कोरोना की नज़र लग गयी है। आप दुनिया-जहान की बातें छोड़ दीजिये, आप को अपना ही चेहरा- आँख, नाक, मुँह, कान छूने से पहले सोचना है। क्या यह कम है? आप के और हमारे शरीर के अन्दर से बाहर और बाहर से अन्दर तक उस का साम्राज्य पहँुच चुका है। शरीर हमारा, दोस्त-यार, अड़ोसी-पड़ोसी, दुनिया-जहान हमारे.....राज कोरोना का! जिसे कुछ दिनों पहले तक हम जानते तक नहीं थे, किसी भूत की तरह प्रकट हो अचानक ही विश्व-सम्राट बन गया।
विश्व-सम्राट
कुछ दिनों पहले तक इस का नाम कोई नहीं जानता था और आज यह विश्वसम्राट है। आज के समय में इसे भला कौन चुनौती दे सकता है। हर सम्राट के साथ इस सम्राट के भी अच्छे-बुरे पहलू हैं।
विश्व-सम्राट कोरोना का राज शीघ्रातिशीघ्र साम्राज्य में बदल गया। प्रदेश, देश, परदेस की तमाम सीमाओं को पार कर सारे मापदण्डों और मानदण्डों को ध्वस्त कर समस्त विश्व पर छा गया। कोरोना ने अपनी विश्व-पताका कुछ इस तरह लहराया कि इस की ध्वज के आगे समस्त विश्व नतमस्तक हो गया।
इस बात से कुछ लोग को ऐतराज हो सकता है कि कोरोना क्या चीज है? इस से पहले भी विश्व में महामारी आयी है जो इस से भी भयानक रही है। इस से भी ज़्यादा खौफ़नाक और विनाशक रही है। फिर यह इतना भयावह और आतंकित कैसे हुआ?
तो ज़नाब! ज़वाब यह है कि कुछ दिन पहले डायरी के पन्ने उलटकर और कुछ दिन पहले की दिनचर्या पलटकर देख लीजिये। कुछ दिन पहले तक हम सभी अपनी मर्जी के मालिक थे। जो मनमर्जी आया, करते थे मगर आज अपनी मर्जी से विश्व, परदेस, देश, प्रदेश, क्षेत्र वगैरह दीन-दुनिया वगैरह समाज वगैरह.....वगैरह-वगैरह की तो बात ही छोड़ दीजिये, आप और हम अपनी मर्जी से बेफिक्र होकर अपना शरीर तक नहीं छू सकते। मनुष्य ने जब से धरती पर जन्म लिया था, तब से आजतक ऐसा कब हुआ था? वह भी समस्त विश्व में एकसाथ। वह भी एक ही समय में एकसाथ।
एक प्रश्न यथोचित तौर पर कई लोग उठा सकते हैं कि विश्व में इस से पहले भी इस से भयानक और खौफ़नाक परिणाम देनेवाली बीमारियाँ हुई हैं और उन का अरसों और दसियों ही नहीं; बल्कि कुछ का तो सदियों तक प्रभाव रहा है तो फिर कोरोना उन से ज़्यादा भयावह कैसे हुआ? तो मैं ने कोरोना को भयावह से ज़्यादा विश्व-सम्राट की उपाधि दी है! आवश्यक नहीं जो ज़्यादा भयावह हो वही विश्व-सम्राट हो; बल्कि जिस की समस्त दुनिया पर चलती हो, समस्त विश्व पर प्रभाव और वर्चस्व हो, वह विश्व-सम्राट है!
मानव सभ्यता के इतिहास में कोरोना से पहले भी कई प्रकार की महामारियाँ आयी हैं और संख्यात्मक और आनुपातिक दोनो ही रूपों से उन्होंने ज़्यादा विनाशक और घातक परिणाम दिये हैं मगर जो कोरोना ने कर दिया या कर दिखाया, वह किसी और बीमारी ने नहीं किया। सच कहा जाय तो कोरोना ने कई महामारियों के मुकाबले इन्सान का ज़्यादा कुछ नहीं बिगाड़ा। इस से पहले कई महामारियाँ इस से कई गुणा ज़्यादा घातक परिणाम दे चुकी हैं और कुछ दे भी रही हैं मगर फिर भी कोरोना ने वह किया जो किसी और बीमारी ने नहीं किया। कोरोना ने ज़्यादा कुछ नहीं किया, बस उस ने इन्सान को उस की औकात और जाति बता दी, जिस दुनिया में उस की तूती बोलती थी, उसी दुनिया में उस की पुंगी बजा दी।
दरअसल, सब से ज़्यादा कत्ल करनेवाला राजा हो आवश्यक नहीं; बल्कि जिस का अपना इलाके और क्षेत्र में वर्चस्व और साम्राज्य हो, जिस का खौफ़ व डर हो, जिस के अनुसार लोग चलने को विवश हों- वह राजा है। तिसपर अगर यह मामला समस्त विश्व पर लागू हो तो निश्चित तौर पर वह राजा एक सम्राट है, विश्व सम्राट है! कोरोना इस विश्व व्यापक नजरिये से विश्व सम्राट है।
कोरोना ने एक ही काल में वह भी अति अल्प से भी अल्प काल में न सिर्फ़ समस्त विश्व पर अपना सिक्का जमाया; बल्कि उस का सिक्का समस्त विश्व में चल भी निकला। उस की तूती समस्त विश्व में बोलने भी लगी। इस ने न सिर्फ़ विश्व के व्यक्तिगत से लेकर समस्त स्तर पर विश्व की दिनचर्या बदल दी; बल्कि समस्त विश्व के समस्त क्षेत्र की जीवन-शैली, तौर-तरीकों, परम्परागत प्रणाली वगैरह को बदलकर रख दिया। जिस दुनिया पर कुछ दिनों पहले सिर्फ़-और-सिर्फ़ इन्सान राज कर रहा था, उस पर एक ऐसा नामाकूल राज करने लगा जिस का कुछ दिनों पहले तक लोग नाम तक नहीं जानते थे। इतने अल्प से भी अल्प काल में। मनुष्य सभ्यता के इतिहास से देखें तो यह सेकेण्ड का भी सौवाँ क्षण से भी कम प्रतीत होता है। समस्त विश्व में एक साथ। ऐसा कब, किस महामारी ने किया था? वे महामारियाँ समस्त विश्व पर या तो चरणबद्ध तरीके से छायी थीं या विश्व के अधिकाधिक क्षेत्र तक छायी थीं मगर समस्त विश्व पर एक ही समय में एक बार छाने जैसा वाक्या तो आजतक किसी लेख में कहीं लिखा या किसी का दिखा तो कहीं नहीं दीखता या मिलता।
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