इन्सान ने कोरोना की पटकथा पहले ही लिख दी थी। आज नहीं तो कल, यह तो होना ही था। वह कल, आज बन गया है।
कोरोना इतिहास
कोरोना पहले भविष्य था, फिर वर्तमान बना और इस के बाद इतिहास भी बन चुका है। कोरोना इतिहास बन चुका है और न सिर्फ इतिहास बन चुका है; बल्कि इतिहास बना भी चुका है। साथ ही समस्त मानव जाति को इतिहास बनाने पर तुला भी है।
कोरोना अध्याय
कोराना! कोरोना वायरस! विश्व इतिहास में एक अध्याय और जुड़ गया। इतिहास के पन्नों में एक नाम और जुड़ गया। इस का आना जितना हैरतअंगेज रहा, छाना उतना ही विस्फोटक भी।
कोरोना विज्ञान
कोरोना ने विज्ञान में जीव विज्ञान का क्या महत्त्व होता है, यह भी बतला दिया।
इतिहास स्वयं को दुहरा रहा है...
ऐसा विश्व में पहली बार नहीं है। ऐसा विश्व में पहले भी कई बार हो चुका है। इतिहास स्वयं को दुहरा रहा है।
वर्तमान साक्षी है कि इतिहास स्वयं को दुहरा रहा है। इतिहास साक्षी है कि ऐसी घटनाओं का निराकरण भी दैवीय सहायताओं और किसी नव अवतार या नव प्रयासों से ही हुआ है। इस वक़्त संसार भी इसी प्रक्रिया में लगा हुआ है और इष्ट-प्रार्थना, समग्र प्रयास में संलग्न है, मग्न है।
कोरोना जन्माजन्म
कहा जाता है कि होनहार पूत के पाँव पालने में ही दीख जाते हैं। जो जीवन में कुछ कर गुजरते हैं उन की झलक शुरू में ही मिल जाती है। बिल्कुल फिल्म के ट्रेलर की तरह। इस का प्रमाण समस्त विश्व है: वर्तमान है जो इतिहास रच चुका है।।
कोरोना का जन्म आम बच्चों की तरह नहीं था। इस की उत्पति धमाके की तरह हुई और इस का विस्तार तहलके की तरह। इस का पहला जन्मदिन ही बड़ी ‘धूमधाम’ से मना। इसे समस्त विश्व ने एकसाथ मनाया। इस के जन्मदिन का ‘धूम-धड़ाका’ अब भी जारी है, इस की ‘धमा-चौकड़ी’ जो अब भी जारी है! इस ने अपने कई प्रतिरूप विकसित कर विश्व जनसंख्या को पीछे छोड़ अपनी चाण्डालचौकड़ी जो विकसित कर ली और अब ‘चाण्डालचौकड़ी की धमाचौकड़ी’ भी अब जारी है।
कोरोना उत्पति
कलियुग की 21वीं सदी के आरम्भ में कोरोना ने भू्रण रूप में विकसित होना शुरू किया जिस की विधिवत् घोषित उत्पति सन् 2019 ईस्वी को वुहान (चीन) में हुई।
कोरोना लावारिस
इस शिशु के साथ सब से रोमांचक बात यह है कि इस को सभी गोद लेना चाहते हैं मगर अपना बच्चा कोई नहीं कहना चाहता। विश्व के सभी देश, यहाँ तक कि अच्छे-बुरे सभी, राजशाहों, तानाशाहों के साथ आतंकवादी, खूनी सभी हैं, इसे स्वशक्ति का हिस्सा बनाना चाहते हैं मगर यह नहीं चाहते कि कोई इसे उन की ईज़ाद कहे। इस का नाम और लाभ सभी लेना चाहते हैं मगर बदनामी कोई भी अपने सिर नहीं लेना चाहता।
कोरोना! एक ऐसा अनाथ शिशु है जिस का जन्म पूरी दुनिया के सामने हुआ, फिर भी उस की जन्मतिथि, जन्मस्थान, जन्मदाता वगैरह के रूप में विविध कयास लगाये जा रहे हैं। कोरोना एक ऐसा लावारिस बन चुका है, जिस के लिए ला-वारिस का जुमला भी अख़्तियार किया जा रहा है।
इण्टरनेशनल कोर्ट में बात पहुँच गयी है। इस के जन्मदाता, जन्मतिथि, जन्मस्थान वगैरह के बारे में खंगाला जा रहा है मगर विश्व के सारे तथाकथित इस मसले पर भ्रम और मतविभिन्नता के शिकार हैं। कोरोना जैसी जन्म से ही हिट, सुपरहिट, मेगाहिट पर्सनैलिटी को कोई भी अपना नहीं कहना चाहता। इस नन्हें शिशु को माता-पिता के रहते अनाथ कहना गलत न होगा। या फिर यह कइयों की नाजायज़ औलाद है। इस लापता का पता ढूँढना ही होगा।
कोरोना बायोडाटा
कोरोना ने अपने जन्म से पूर्व, जन्म के साथ और जन्म के बाद जिस प्रकार के कारनामे किये हैं, कोरोना की कुण्डली के आगे नाग की कुण्डली भी कम है। कोरोना का बायोडाटा, कोरोना की जन्मकुण्डली तलाश की जा रही है। इस का जन्म कब और कहाँ हुआ? इस के जन्मसमय, जन्मतिथि, जन्मस्थान के बारे में पता किया जा रहा है। इस के जन्म के उद्देश्य वगैरह को जानने के लिए इस के अन्य पहलुओं पर भी फोकस किया जा रहा है। इसलिए कोरोना का जन्म कब, कहाँ, क्यूँ, किसलिए हुआ, यह भी पता किया जा रहा है-
नाम : कोरोना
वैज्ञानिक नाम : कोरोना वायरस
पूरा नाम : नोवेल कोरोना वायरस
जन्मस्थान : चीन/अमेरिका.....
जन्मतिथि : 1930, 2002-2003 (अमेरिका), सितम्बर से दिसम्बर 2019 (वुहान-चीन).....
स्वभाव : स्पर्श करना
लक्ष्य : शरीर के अंग-अंग में घुसकर हलचल मचा देना, दिल को लाचार कर देना, किडनी को नष्ट-भ्रष्ट कर देना, अन्ततोगत्वा यमराज के दर्शन करा ‘मोक्ष’ का मार्ग प्रशस्त कर देना.....।
कोरोना महामारी
कोरोना वैश्विक महामारी है। मगर यह बिन बुलायी आफ़त नहीं; बल्कि बुलायी आफ़त है। इस पर ‘आ बैल मुझे मार’ वाली कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है, बिल्कुल सही चरितार्थ होती है।
कोरोना को जिस प्रकार वैश्विक महामारी घोषित कर प्रचारित किया जा रहा है, इसे वैश्विक कारिस्तानी कहकर प्रचारित किया जाय तो बिल्कुल सही सिद्ध होगा।
कोरोना वायरस! असल में इस संक्रमण को वायरस संक्रमण के रूप में प्रचारित किया जा रहा है जबकि यह संक्रमण उस संक्रमण की देन है जो मानव मस्तिष्क से उपजी है। इसलिए यह मानव मस्तिष्क से उपजी मानवीय बनाम अमानवीय करतूतों की देन है। इसे अमानवीय करतूत कहा जाना बिल्कुल ग़लत न होगा; क्योंकि जब से इस की शुरुआत हुई है, यह आरम्भकाल से ही किसी-न-किसी की जान ले रहा है और इस का मीटर ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है।
कोरोना लक्षणम्
कोरोना के जो लक्षण हैं, आलसी और क्रोधी लोग के हैं। शरीर में, मांसपेशियों में दर्द होना, सिर में बेमतलब दर्द होना, जीभ में स्वाद न लगना, नाक में गन्ध महसूस न होना.....फलां-फलां बातों की पचहत्तर तरह की शिकायत.....खाँसी-जुकाम वगैरह आलसी और कामचोर लोग के लक्षण हैं। हृदय में दर्द, मस्तिष्क में तेज दर्द, पैरों में सूजन, साँस में समस्या, शरीर का कंपकंपाना, हृदयाघात वगैरह क्रोधी लोग के लक्षण हैं।
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