-शीतांशु कुमार सहाय
विक्रम सम्वत् २०७९ चैत्र शुक्ल पक्ष प्रथमा (२ अप्रैल २०२२) को आरम्भ हो रहा है। विश्वभर में सनातनधर्मी इसी सम्वत् के आधार पर अपना पर्व-त्योहार मनाते हैं। यह सम्वत् चाँद की दिशा व दशा के आधार पर दिन-तिथि निर्धारित करता है। ग्रन्थों की बात मानें तो चैत्र शुक्ल पक्ष प्रथमा के दिन ही आदिशक्ति के आदेश से ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना आरम्भ की थी। भारतीय दर्शन में सृष्टि की उत्पत्ति आदिशक्ति से मानी जाती है। उन्होंने अपने रूप को जल, स्थल और वायु के साथ-साथ समस्त देवी-देवताओं, मानव व अन्य जीव-जन्तुओं की करोड़ों श्रेणियों में विभक्त किया। आदिशक्ति ने ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति की और ब्रह्माण्ड के कण-कण में वह स्वयं ही विभिन्न रूपों में विद्यमान हैं।
सर्वप्रथम आदिशक्ति ने नीरव शान्ति और भयंकर अन्धेरे के बीच अपने शब्द-स्वरूप ‘ऊँ’ को प्रकट किया जिससे नीली रश्मि उत्पन्न हुई और सर्वत्र ऊँ व्याप्त हो गया। ऊँ के नाद (स्वर) से ब्रह्माण्ड में उथल-पुथल हुई तो गति उत्पन्न हुई और विभिन्न वायु प्रकट हुए। यों सर्वत्र जल-ही-जल दिखायी देने लगा। तब आदिशक्ति ने नारायण (विष्णु) का पुरुषस्वरूप धारण किया। विष्णु के नाभि से एक कमल प्रकट हुआ जिससे ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई।
आदिदेव ब्रह्मा को आदिशक्ति ने सृष्टि का आदेश दिया। ब्रह्मा ने चारों ओर मुख घुमाकर ब्रह्माण्ड की व्यापकता का दर्शन किया तो उनके चार मुख हो गये। उन्होंने अपने अस्तित्व पर विचार करना और अपनी उत्पत्ति वाले स्थान के अन्वेषण में बहुत समय व्यतीत किया पर पता न चला तो तपस्या में लीन हो गये। सौ दिव्य वर्षों तक तपश्चर्या के दौरान उन्हें अन्तःकरण में दिव्य प्रकाश दिखायी दिया। साथ ही नारायण का दर्शन भी प्राप्त हुआ। नारायण ने उन्हें सृष्टि की रचना के लिए उत्प्रेरित किया। सभी मित्रों को भारतीय नववर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
भारतीय नववर्ष का ऐतिहासिक महत्व---
१. यह दिन सृष्टि रचना का पहला दिन है। इस दिन से एक अरब ९७ करोड़ ३९ लाख ४९ हजार ११७ वर्ष पूर्व इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने जगत की रचना प्रारंभ की।
२. विक्रम सम्वत् का पहला दिन : उसी राजा के नाम पर संवत् प्रारंभ होता था जिसके राज्य में न कोई चोर हो, न अपराधी हो, और न ही कोई भिखारी हो। साथ ही राजा चक्रवर्ती सम्राट भी हो। सम्राट विक्रमादित्य ने २०७९ वर्ष पहले इसी दिन राज्य स्थापित किया था।
३. प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक दिवस : प्रभु राम ने भी इसी दिन को लंका विजय के बाद अयोध्या में राज्याभिषेक के लिये चुना।
४. नवरात्र स्थापना : शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही है। प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन।
५. गुरु अंगददेव प्रगटोत्सव : सिक्ख परंपरा के द्वितीय गुरु का जन्म दिवस।
६. समाज को श्रेष्ठ मार्ग पर ले जाने हेतु स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन को आर्य समाज स्थापना दिवस के रूप में चुना।
७. संत झूलेलाल जन्म दिवस : सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
८. शालिवाहन संवत्सर का प्रारंभ दिवस : विक्रमादित्य की भांति शालिनवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।
९. युगाब्द संवत्सर का प्रथम दिन : ५११२ वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व---
१. वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
२. फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
३. नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।
अत: हमारा नववर्ष कई कारणों को समेटे हुए है, अत: हर्षोउल्लास के साथ नववर्ष मनायें और दूसरो को भी मनाने के लिए प्रेरित करें।
1 टिप्पणी:
आपकी ये पोस्ट काफी सरहनीय है आप की पोस्ट को पढ़ा और काफी ज्ञान मिला उससे मई आभार व्यक्त करता हु आप ने हम सब के लिए अपना कीमती समय निकल कर हमरे लिए पोस्ट बनाई है मै आप से निवेदन करता हु की आप हम लोगो के लिए ऐसे ही पोस्ट बनते रहे और मेरे पास भी आप के लिए कुछ है जो सिड आप के कम आ जाये मई आवाज़ ऐ उत्तर प्रदेश के नाम से कुछ ब्लॉग बनाता हु आप वह पे जाये मेरे लिखे हुए कुछ ब्लॉग को पढ़े और अपना विचर बातये
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