अपने कार्यालय में योगी आदित्यनाथ
-शीतांशु कुमार सहाय
उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने रही है। मुख्यमंत्री फिर से भाजपा के दिग्गज नेता योगी आदित्यनाथ बनेंगे और कई मिथकों को तोड़ेंगे।
नोएडा का मिथक तोड़ेंगे
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक मिथक हमेशा से चर्चा में रहा है कि जो भी मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान नोएडा जाता है, उस की कुर्सी अगले चुनाव में चली जाती है। नोएडा से जुड़े इस अंधविश्वास का खौफ नेताओं में इतना अधिक रहा है कि अखिलेश यादव बतौर मुख्यमंत्री एक बार भी नोएडा नहीं गये। उन से पहले उन के पिता मुलायम सिंह यादव, नारायण दत्त तिवारी, कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह जैसे नेताओं ने भी नोएडा से दूरी बनाये रखी।
वर्ष २००७ से २०१२ के बीच मायावती ने इस मिथक को तोड़ने के लिए दो बार नोएडा गईं। परिणाम यह हुआ कि वर्ष २०१२ में उन की सरकार गिर जाने के बाद नोएडा का ये मिथक फिर चर्चा में आ गया।
वर्ष २०१७ में पहली बार मुख्यमंत्री बनकर भाजपा के योगी आदित्यनाथ अपने कार्यकाल के दौरान कई बार नोएडा गये। इस के बावजूद उन पर नोएडा वाले अन्धविश्वास का असर नहीं हुआ और वह उत्तर प्रदेश के लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। मतलब यह कि अब नोएडा वाला मिथक भी टूट गया है।
लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे योगी
आज़ादी के बाद से उत्तर प्रदेश में अब तक कोई भी मुख्यमंत्री पाँच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद अगले चुनावी नतीजों के उपरान्त मुख्यमंत्री नहीं बन पाया। लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनकर योगी आदित्यनाथ यह कीर्तिमान भी अपने नाम कर लेंगे।
अविवाहित मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के पहले अविवाहित मुख्यमंत्री हैं, जो लगातार दुबारा मुख्यमंत्री के पद पर बैठेंगे। प्रदेश में विधि-व्यवस्था ठीक करने और विकास के नये कीर्तिमान बनाने के कारण ही जनता ने सत्ता की बागडोर उन्हें सौंपी।
प्रथम संन्यासी मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ से पहले भारत के किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री के पद पर कोई संन्यासी नहीं बैठा था। यह कीर्तिमान भी योगी के नाम है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें