शनिवार, 21 मार्च 2020

कोविड-१९ : कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ायें Covid-19 : Increase Immunity To Avoid Corona Virus Infection

-शीतांशु कुमार सहाय
कोरोना वायरस डिजिज २०१९ (Corona virus disease 2019) का संक्षिप्त नाम कोविड-१९ (COVID-19) है। चीन के हूबेई राज्य के वुहान शहर से शुरू होकर एक नये प्रकार के कोरोना विषाणु ने पूरे विश्व में जानलेवा संक्रामक रोग उत्पन्न किया। इस कोरोना वायरस को ‘नोवेल कोरोना वायरस’ का नाम दिया गया। यह सब से पहले पिछले वर्ष यानी २०१९ में पता चला। इसलिए नोवेल कोरोना वायरस से उत्पन्न रोग को ‘कोविड-१९’ का नाम दिया गया।

रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ानेवाली औषधियों का वीडियो देखने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें....

नोवेल कोरोना विषाणु का पता लगानेवाले चीन के चिकित्सक डॉक्टर ली वेनलियांग की सन्देहास्पद मौत बृहस्पतिवार, छः फरवरी २०२० को हो गयी। कहा गया कि ली वेनलियांग की मौत कोविड-१९ के संक्रमण से हुई। जिसे ली ने खोजा उसी नोवेल कोरोना वायरस ने उन की जान ले ली। डॉक्टर ली वेनलियांग वुहान सेण्ट्रल हॉस्पिटल में नेत्र रोग विशेषज्ञ थे। उन्होंने ३० दिसम्बर २०१९ को साथी चिकित्सक से कहा था कि उन्होंने कुछ मरीजों में सार्स कोरोना वायरस जैसे लक्षण देखे हैं। इस पर चीनी प्रशासन ने ली को प्रताड़ित किया और सख्त हिदायत दी कि वह नया रोग बोलकर लोग को भ्रमित न करें। बाद में डॉक्टर ली वेनलियांग की बात सच निकली और सार्स जैसे लक्षणवाले नये वायरस का नाम ‘नोवेल कोरोना वायरस’ रखा गया और इस के संक्रमण से होनेवाले रोग का नाम ‘कोविड-१९’ दिया गया। यह वायरस मनुष्य से मनुष्य में फैलता है।
अब जानते हैं शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ानेवाली आयुर्वेदिक, यूनानी और होमियोपैथिक औषधियों के बारे में।

आयुर्वेदिक उपाय और औषधियाँ

आयुर्वेद के अनुसार वात, पित्त और कफ की कमी या अधिकता से ही रोग होते हैं। कोविड19 कफ की गम्भीर बीमारी है जिसे सन्युक्त राष्ट्र संघ सहित दर्जनों देशों ने महामारी घोषित किया है। आयुर्वेद की जन्मभूमि भारत है और यहाँ कोई भी काम करने से पहले हस्तप्रक्षालन यानी हाथों को धोना और पादप्रक्षालन यानी पैरों को साफ करने की परम्परा है।
हाथों और पैरों को दिनभर में पाँच-छः बार साफ करें तो संक्रामक रोगों से बचा जा सकता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेद के मतानुसार, हर बार गर्म या गुनगुना जल पीयें। ज़्यादा ठण्ड या बर्फ़ वाले जल का सेवन करने से कफ के अलावा वात और पित्त के सन्तुलन भी बिगड़ जाते हैं। 
कमजोर प्रतिरोधक क्षमतावाले लोग दूध में हल्दी डालकर पीयें। वयस्क लोग एक गिलास दूध में एक चम्मच और बच्चे आधा चम्मच का उपयोग करें। इसे भोजन के उपरान्त रात में ग्रहण करें।
तुलसी के पत्तों और काली मिर्च को एक साथ काला नमक या सेन्धा नमक के साथ चबाकर खायें। इन दोनों का काढ़ा बनाकर भी आप पी सकते हैं। हाई ब्लड प्रेशर के रोगी हैं तो काढ़े में नमक न डालें।
इसी तरह शहद के साथ हल्दी खाने से भी इम्यूनिटी अर्थात् रोग से लड़ने की अन्दरूनी शक्ति तेजी से बढ़ती है।
जो बार-बार बीमार पड़ जाते हैं, किसी भी संक्रामक रोग के शिकार हो जाते हैं या मौसम बदलने पर बीमार पड़ जाते हैं तो ऐसे लोग घर पर आयुर्वेदिक औषधि बनायें। दो लीटर स्वच्छ जल लीजिये। अब गिलोय २० ग्राम, सूखा आँवला २० ग्राम, मुलेठी १० ग्राम और सौंफ के १० ग्राम की मात्रा को जल में डालकर धीमी आँच पर इतना उबालें कि जल आधा हो जाय। भोजन के उपरान्त इस काढ़े की छः चम्मच मात्रा वयस्कों को और तीन चम्मच बच्चों को प्रतिदिन दो बार देनी चाहिये। यह बेहतर इम्यूनिटी बुस्टर है।
आप चाहें तो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किसी भी आयुर्वेदिक कम्पनी की औषधि भी खरीद सकते हैं। औषधियों के नाम जानिये-गिलोय वटी, तुलसी वटी और नीम वटी। इन तीनों में से दो-दो वटी यानी दो-दो टैब्लेट लीजिये और इन्हें अदरख और नीम्बू के रस के र्साथ भोजन के बाद सुबह-शाम ग्रहण करें। 

यूनानी औषधि

आयुर्वेद की तरह यूनानी चिकित्सा पद्धति में भी हस्तप्रक्षालन और पादप्रक्षालन पर जोर दिया जाता है। यूनानी में कुरान के कुछ नियम अपनाये जाते हैं। नमाज से पहले वजु करने का नियम है। केहुनी तक हाथ और घुटनों तक पैरों को धोने को ही वजु कहते हैं। ईरान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, कुवैत, बहरीन जैसे इस्लामिक देशों के लोग वजु का पालन सही ढंग से करते तो वहाँ नोवेल कोरोना वायरस का इतना ज़्यादा संक्रमण नहीं फैलता।
यूनानी में शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानेवाली प्रमुख औषधि है- खमीरा मरवारीद। इस की पाँच ग्राम मात्रा प्रतिदिन दूध के साथ ली जानी चाहिये। खमीरा मरवारीद टैब्लेट के रूप में भी उपलब्ध है। इस के अलावा जवारिश शाही, जवारिश कमूनी और माजून दबीदुलवर्द से भी इम्यूनिटी बढ़ती है। इन दवाइयों के रैपर पर प्रयोग विधि दी हुई है।

होमियोपैथिक औषधि       

होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति में बीमारी के आधार पर नहीं, लक्षण के आधार पर चिकित्सा की जाती है। सर्दी, छींक, खाँसी, सिरदर्द, शरीर में दर्द, बुखार, कमजोरी, पाचन में गड़बड़ी, निमोनिया, साँस लेने में तकलीफ कोविड-१९ बीमारी के लक्षण हैं। इसलिए नोवेल कोरोना विषाणु के संक्रमण से बचने के लिए आर्सेनिक एलबम-३० दवा लेनी चाहिये। 
इस रोग के प्रति निरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ रोग का संक्रमण होने पर इसी दवा से इलाज सम्भव है। यदि कोविड-१९ हो गया हो तो होमियोपैथिक दवा आर्सेनिक एलबम-३० तीन बार प्रतिदिन लेनी चाहिये। 
         सतर्क रहिये, इम्यूनिटी बढ़ाइये और स्वस्थ रहिये।

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