शुक्रवार, 16 मई 2025

ऑपरेशन सिन्दूर...तुर्किये और अजरबैजान का बायकाट जारी, जानिये अन्दर-बाहर की बात Operation Sindoor : Boycott Of Turkey & Azerbaijan, Know The Inside And Outside Story

तीन इस्लामिक देशों की दोस्ती : भारत से दुश्मनी

शीतांशु कुमार सहाय 

      बायकाट...बायकाट...बायकाट...सभी जगह यही शब्द ट्रेण्ड कर रहा है। संसार का सर्वाधिक आबादी वाला और विश्व का सब से बड़ा उपभोक्ता देश भारत अब सामरिक दृष्टि से भी महाशक्ति के रूप में उभरा है। ऑपरेशन सिन्दूर की प्रचण्ड सफलता ने इस उभार को नया आयाम दिया है। पहली बार देश के हर नागरिक में देशभक्ति का ज्वार-भाटा प्रकट रूप से हिलोर मार रहा है। जन-जन के देशप्रेम के इसी हिलोर में तुर्किये और अजरबैजान की आर्थिक स्थिति हिचकोले खाने लगी है। इसी सन्दर्भ में विस्तार से जानिये.....

      एक अनुमान के अनुसार, भारत से जो आर्थिक लाभ तुर्किये और अजरबैजान को मिल रहा था, उस में सत्तर प्रतिशत से अधिक की कमी आ गयी है। आज दिल्ली सहित देश के सतरह राज्यों के व्यापारियों ने बैठक कर तुर्किये और अजरबैजान के सामानों को अपनी व्यापारिक गतिविधियों से निकाल-बाहर करने का निर्णय लिया है। भारत पर हमला करने के लिए पाकिस्तान की सहायता करना इन दोनों इस्लामिक देशों को महँगा पड़ रहा है। 

नरेन्द्र मोदी : नये भारत का दमदार नेतृत्वकर्ता

टेरर और ट्रेड साथ-साथ नहीं  

      भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी राष्ट्र के नाम सम्बोधन में स्पष्ट कहा कि टेरर (आतंकवाद) और ट्रेड (व्यापार) एकसाथ नहीं चल सकते। मोदी के नेतृत्व में नये भारत की विदेश नीति बड़ी धारदार है-- दोस्त हो तो दोस्ती निभाओ और दुश्मन हो तो मैदान में आ जाओ। छिपकर वार करने की फितरत भारत की नहीं है लेकिन चार दिन के संघर्ष में जिन-जिन देशों ने छिपकर, धर्म की ओट लेकर या व्यापार को आधार बनाकर भारत पर आक्रमण में पाकपरस्ती की है, उन्हें खामियाज़ा भुगतना ही पड़ेगा। 

व्यापारी और उद्योगपति नाराज

      फिलहाल दो पाकपरस्तों को आर्थिक मोर्चे पर धोबिया पछाड़ देने के लिए भारतवासियों ने कमर कस लिया है। पिछले कुछ दिनों से से चल रहे छिटपुट बायकाट ट्रेण्ड को आज देश के विभिन्न राज्यों में बैठक कर बड़े व्यापारियों और उद्योगपतियों ने औपचारिक बायकाट का रूप दे दिया। बिना सरकारी घोषणा के भारतीय व्यापारियों के बायकाट के औपचारिक निर्णय से तुर्किये और अजरबैजान के वैसे व्यापारियों और कारोबारियों के गले सूखने लगे हैं जो भारत में निर्यात कर रहे थे।

      चैम्बर ऑफ ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्री (सीटीआई) के अध्यक्ष बृजेश गोयल ने कहा कि जो देश भारत के खिलाफ दुश्मन देश का समर्थन कर रहे हैं, उन के साथ कारोबार करना उचित नहीं है। भारत के लोगों से कमाई करके उस रकम से पाकिस्तान को मदद दी जा रही है। अब तुर्किये और अजरबैजान के साथ व्यापारिक रिश्ते खत्म कर सबक सिखाने की जरूरत है।

     भारत के सभी व्यापारिक संगठनों में भारत विरोधी विदेशी शक्तियों के खिलाफ़ अपना रोष प्रकट किया है। 

      सीटीआई महासचिव गुरमीत अरोड़ा का कहना है कि केंद्र सरकार को फौरन तुर्किये और अजरबैजान के साथ-साथ चीन से आयात होने वाले सामानों पर रोक लगानी चाहिए, ताकि भारत से कमाई करके जुटाए गए फंड का इस्तेमाल पाकिस्तान की मदद करने में न किया जा सके। 

पर्यटन और व्यापार पर ख़तरा

      तुर्किये के पर्यटन और अर्थव्यवस्था में भारत का अहम रोल है। वर्ष 2024 में भारत के 2 लाख 75 हज़ार लोगों ने तुर्किये की यात्रा की है। 2024 में भारत और तुर्किये के बीच 12.5 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ। अब तय करना है नाटो के एकमात्र मुस्लिम सदस्य देश तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन को कि वह पाकिस्तान को चुने या अर्थव्यवस्था में साढ़े बारह अरब डॉलर जोड़े।

अनिर्णय की स्थिति में तुर्किये 

      दरअसल, भारत की विदेश नीति और भारतीयों के बायकाट वाले तात्कालिक निर्णय ने एर्दोआन को अनिर्णय की स्थिति में ला दिया है। अनिर्णय की स्थिति में तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी आ गये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी से घबराकर उन्हें युद्ध विराम की श्रेय लेनेवाले वक्तव्य को बदलना पड़ा। एर्दोआन के पाकपरस्ती से दामाद की ड्रोन निर्माण करनेवाली और हवाई अड्डे पर यात्रियों को सेवा देनेवाली कम्पनी पर ख़तरे मँडराने लगे हैं। इस बारे में विस्तार से आगे बता रहा हूँ। 

धर्म के आधार पर पाकिस्तान को मदद

      बहरहाल, तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोआन मुसलमानों के खलीफा बनना चाहते हैं; क्योंकि तुर्किये खलीफा प्रथा का गढ़ था जिसे खत्म कर मुस्तफा कमाल पाशा ने तुर्की को मुस्लिमबहुल देश होने के बावजूद एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में विश्व फलक पर उभारा था। पर, मुस्लिम बहुल देश धर्मनिरपेक्ष हो ही नहीं सकता, इस कथन को चरितार्थ कर तुर्की भी इस्लामिक देश बन गया और नाम भी तुर्की से तुर्किये हो गया। इसी सन्दर्भ में तुर्किये और अजरबैजान ने धर्म (इस्लाम) के आधार पर पाकिस्तान को भारत के विरुद्ध सहायता दिया और लगातार दे रहा है।

तुर्किये के ड्रोन से भारत पर हमला 

      आप को याद होगा कि सात मई के बाद पाकिस्तान ने भारत के सीमावर्ती छब्बीस जगहों पर कुछ दिनों तक करीब चार सौ एसिसगॉर्ड सोनगार ड्रोन्स से हमला किया। ये ड्रोन तुर्किये के बने हुए थे।

तुर्किये के राष्ट्रपति के दामाद की कम्पनी पर भारत की सख्ती 

      इस बीच मोदी सरकार ने फिर बड़ा फैसला लेते हुए तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग फर्म सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज की भारतीय हवाई अड्डों पर सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी है। इस सम्बन्ध में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दी है। तुर्की की यह कंपनी मुंबई सहित भारत के कई एयरपोर्ट पर यात्री सेवाओं, लोड नियंत्रण, उड़ान संचालन, कार्गो और डाक सेवाओं, गोदामों और पुल संचालन सहित लगभग 70 प्रतिशत ज़मीनी संचालन संभालती है। नागरिक उड्डयन और सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि पूरे भारत से भारतीय हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएँ संचालित करनेवाली तुर्की की कंपनी 'सेलेबी एनएएस एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया लिमिटेड' पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध प्राप्त हुए हैं।

      यहाँ बता दूँ कि साल 2008 में तत्कालीन काँग्रेसी सरकार के आदेश पर सेलेबी कंपनी ने भारत के विमानन (एयरपोर्ट सर्विस) सेक्टर में काम शुरू किया था। अब रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस कंपनी में तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोआन की बेटी सुमेये एर्दोआन की हिस्सेदारी यानी शेयर है। एर्दोआन की बेटी की शादी सेलकुक बेराकटार से हुई है। ये वही शख्स है, जिस की कंपनी बेराकटार तुर्की में मिलिट्री ड्रोन बनाती है। पाकिस्तान ने इसी कंपनी के बनाए ड्रोन का इस्तेमाल सात मई के बाद भारत के खिलाफ नाकाम हमले में किया था।

अरबों रुपये का व्यापार ख़तरे में 

       अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान तुर्किये को भारत का निर्यात 5.2 बिलियन अमेरीकी डॉलर रहा, जबकि 2023-24 में यह 6.65 बिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल 437 बिलियन अमरीकी डॉलर के निर्यात का सिर्फ 1.5 प्रतिशत है।

      अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान अजरबैजान को भारत का निर्यात केवल 86.07 मिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जबकि 2023-24 में यह 89.67 मिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल निर्यात का मात्र 0.02 प्रतिशत है।

      अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान तुर्किये से भारत का आयात 2.84 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 3.78 बिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल 720 बिलियन अमरीकी डॉलर के आयात का केवल 0.5 प्रतिशत है।

      अप्रैल-फरवरी 2024-25 के दौरान अजरबैजान से आयात 1.93 मिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 0.74 मिलियन अमरीकी डॉलर था। यह भारत के कुल आवक शिपमेंट का मात्र 0.0002 प्रतिशत है।

भारत और तुर्किये के बीच आयात व निर्यात

निर्यात :- खनिज ईंधन और तेल (2023-24 में 960 मिलियन अमरीकी डॉलर), विद्युत मशीनरी और उपकरण, ऑटो और उसके पुर्जे, कार्बनिक रसायन, फार्मा उत्पाद, टैनिंग और रंगाई की वस्तुएं, प्लास्टिक, रबर, कपास, मानव निर्मित फाइबर और तंतु, लोहा और इस्पात शामिल है।

आयात :- विभिन्न प्रकार के मार्बल (ब्लॉक और स्लैब), ताजे सेब (लगभग 10 मिलियन अमरीकी डॉलर), सोना, सब्जियां, चूना और सीमेंट, खनिज तेल (2023-24 में 1.81 बिलियन अमरीकी डॉलर), रसायन, प्राकृतिक या संवर्धित मोती, लोहा और इस्पात।

भारत और अजरबैजान के बीच आयात व निर्यात

निर्यात :- तम्बाकू और उसके उत्पाद (2023-24 में 28.67 मिलियन अमरीकी डॉलर), चाय, कॉफी, अनाज, रसायन, प्लास्टिक, रबर, कागज और पेपर बोर्ड और सिरेमिक उत्पाद।

आयात :- पशु चारा, जैविक रसायन, आवश्यक तेल और इत्र और कच्ची खालें और चमड़ा। 2023 में, भारत अज़रबैजान के कच्चे तेल के लिए तीसरा सबसे बड़ा गंतव्य था।

दोनों देशों में भारतीय 

      वर्तमान में तुर्किये में लगभग तीन हज़ार भारतीय नागरिक हैं। इन में दो सौ छात्र शामिल हैं। इसी तरह अजरबैजान में भारतीय समुदाय के लोग की संख्या डेढ़ हज़ार से ज़्यादा है।


बुधवार, 7 मई 2025

ऑपरेशन सिन्दूर व अखण्ड भारत : ऐसे हल होगा भारत का सीमा विवाद व अखण्ड भारत की पुनर्कल्पना Operation Sindoor & Akhand Bharat : This Is How India's Border Dispute Will Be Solved & Akhand Bharat Will Be Re-imagined


      जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में धर्म पूछकर हिन्दू पर्यटकों की हत्या किये जाने का बदला लेने के लिए भारत ने सात मई २०२५ को पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला कर आतंकवादियों को मिट्टी में मिला दिया। इसी सन्दर्भ में प्रस्तुत है जाने-माने ज्योतिष अमित कुमार नयनन का आकलन। इस में भारत-पाकिस्तान के वर्तमान तनाव, सीमा विवाद, अखण्ड भारत की परिकल्पना व अन्य महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर तथ्य समाहित हैं, जिन से आमतौर पर लोग अनभिज्ञ हैं। 

      भारत की कुंडली वृष लग्न की है और इसकी राशि कर्क है। वृष स्थिर तो कर्क चर राशि है, अतः स्थिर व चरात्मक दोनो प्रवृत्ति का इस की प्रवृत्ति व प्रकृति में समावेश होगा। वृष व कर्क दोनो ही राशियाँ स्वभाव से मृदु हैं, अतः इस देश की प्रकृति मृदु व स्नेहशील होगी व इस में सहनशीलता व विवेकशीलता अन्य देशों की अपेक्षा अधिक रहेगी। लग्नेश शुक्र का राशीश चन्द्र के साथ तृतीय भाव में युति इस के दीर्घकालिक अवस्था को सबलता से दर्शाता है। लग्न में लग्नेश शुक्र मित्र राहु अपनी उच्च राशि में बैठा है। इस प्रकार लग्न के लिए यह एक अच्छी स्थिति है। लग्नेश का तृतीय पराक्रम स्थान में सूर्य, चन्द्र, बुध, शनि के साथ बैठना व केतु से देखा जाना इस देश के विविध लोग, सभ्यता व संस्कृति के दर्शन को सरल तरीके से इंगित करता है। तृतीय में विविध प्रकृति के पंचग्रह की युति कुछ हद तक संत या एकाकी योग को भी बताता है। इस में भी संदेह नहीं कि भारत धर्म और ध्यात्म का धनी देश है। इस प्रकार इस की विविधता में एकता का बल लक्षित होता है जो कि पूर्णतया सही है। भारत भौगोलिक रूप से तीन दिशाओं पूर्व, पश्चिम, दक्षिण दिशा की ओर जल से घिरा प्रायद्वीप है जिस के एकमात्र उत्तर में विशालकाय हिमालय व भूखंड आदि हैं।  

भारत की कुंडली में तृतीय पराक्रम स्थान जितना प्रबल है उतना ही चतुर्थ जनता, अचल संपति व भूमि स्थान कमजोर है। तृतीय स्थान में जो ग्रह बल, पराक्रम आदि की वृद्धि कर रहे हैं वही ग्रह जनता, अचल संपत्ति व भूमि के लिए बाधा भी दे रहे हैं क्योंकि तृतीय स्थान चतुर्थ स्थान का व्यय स्थान है। यह युति चूँकि कर्क राशि में बन रही है, अतः उतर दिशा भारत के लिए इस मामले में सदा चिंता का मसला रहेगा। तृतीय स्थान में पंचग्रह युति जहां बल व पराक्रम के लिए अच्छी है वहीं यह अचल संपति व भूखंड के लिए बिल्कुल सही नहीं है। इसी कारण तृतीयस्थ शनि महादशा में पाक व चीन युद्ध हुआ व तिब्बत एवं कैलास व मानसरोवर जैसे भूखंड इस वक्त चीन के कब्जे में हैं। अतः कुल ९ महादशा ग्रहों में इन पाँच ग्रहों की दशा में सीमा विवाद अक्सर बना रहेगा। कुल १२० साल की महादशा में सनि १९ साल, बुध १७ साल, शुक्र २० साल, सूर्य ६ साल व चन्द्र १० साल आते हैं जो कि ८२ साल अर्थात कुल दशा का दो-तिहाई से भी ज़्यादा साल आते हैं, अतः संक्षेप में भारत को अपने दशाकाल में अक्सर सीमा व भूमि विवाद बना रहेगा और इन पांच ग्रहों की दशा में यह विशेष होगा ।

भारत की आज़ादी समय ज्योतिषीयों के द्वारा आज़ादी का निर्धारित किया गया समय पूर्ण शुभ न होने के कारण आज यह स्थिति है। यही पंचग्रह यदि लग्न, दशम या एकादश में होते तो देश की स्थिति कुछ और होती। फिर भी बल व पराक्रम का स्थान मजबूत होने के कारण यह एक मजबूत देश है और रहेगा।  

चन्द्र महादशा फल

      चन्द्र महादशा २१ मई २०१५ से २१ मई २०२५ तक चल रही है। चन्द्र महादशा की दस साल की महादशा पूर्णता के पश्चात २१ मई २०२५ से सात साल की मंगल महादशा २१ मई २०३२ तक चलेगी।

   (विशेष : विविध पंचांगों की मतविभिन्नता के कारण दशा को एक या २ माह तक पहले या बाद से भी मानते हैँ; मगर किसी भी पंचांग को लिया जाए तो १ या २ माह से अधिक का अंतर नहीं होता है।)

     इस आभार पर कुछ २०२५ जुलाई से भी मंगल महादशा की शुरुआत मानते है! तथापि किसी भी पद्धति को लिया जाय तो भी दशाफल तो  वही रहेगा ही। साथ ही दशाफल में भी एक या दो माह से अधिक का अंतर नहीं आएगा। इसलिए सटीक विश्लेषण के लिए सटीक पंचांग का उपयोग करें अथवा फलादेश से घटनाक्रम को मिलाकर उपयुक्त पंचांग का स्वयं चयन कर लें।

भारत व पाकिस्तान युद्ध : ज्योतिषीय गणना से निकला सच India & Pak War : Pakistan Will Be Destroyed, Truth Revealed By Astrological Calculations

      भारत और पाकिस्तान मैं इतना विवाद क्यों है, इस का उत्तर जानना भी आवश्यक है। इस सन्दर्भ को लेकर अब कुण्डली का विश्लेषण लग्न व राशि के आधार पर करते हैं।  

विक्रमादित्य के समय का अखण्ड भारत





लग्न की दृष्टि से आकलन

      भारत का लग्न वृष और पाकिस्तान का लग्न मेष है। वृष का व्यय भाव मेष होता है तथा मेष का धन भाव वृष होता है। भारत का  लग्न वृष पाकिस्तान के लग्न मेष का धन भाव है तथा पाकिस्तान का लग्न मेष भारत के लग्न का व्यय भाव है।

राशि के अनुसार विश्लेषण 

      भारत की राशि कर्क और पाकिस्तान की राशि मिथुन है। भारत की राशि कर्क पाकिस्तान की राशि मिथुन का धन भाव तो पाकिस्तान की राशि मिथुन भारत की राशि कर्क का व्यय भाव है।

अंक ज्योतिषीय विश्लेषण

      पाकिस्तान का पहले नाम 'पाकस्तान' था। इस को बाद में 'पाकिस्तान' कर दिया गया। पाकिस्तान का जन्म भारत की भाँति ठीक अर्द्ध-रात्रि को नहीं हुआ था; बल्कि ११:३० बजे रात को ही उस के पेपर वर्क हो गये थे। इस प्रकार पाकिस्तान का जन्म विशुद्ध रूप से १४ का न होकर १३ का है। इसलिए इसपर मूलांक ४ का पूर्ण प्रभाव है। मूलांक १ और मूलांक ४ अंक विज्ञान में समान माने जाते हैँ। पाकिस्तान का मूलांक ४ तथा चीन का १ है। इसलिए समानवर्ती ग्रहीय गुण के कारण इन दोनो की आपस में सहमति और सहभागिता बहुत बार नज़र आई है।

      अंक विज्ञान के अनुसार पाकस्तान से पाकिस्तान नाम करने से पाक का सन्युक्तांक ५ से ६ हो गया जो भारत का मूलांक है। इस तरह भारत इसपर हावी रहेगा या होगा। ऐसी ही स्थिति भारत और चीन के बीच भी है, भारत का मूलांक ६ है तथा चीन का 'चाइना' शब्द के आधार पर ६ सन्युतांक है। इस तरह भारत के लिए यह अनुकूल ग्रह स्थिति है; इस ग्रहीय स्थिति के कारण भारत चीन पर हावी रहेगा अथवा चीन भारत का समर्थन करेगा। अगर चीन समर्थन नहीं भी करता है फिर भी भारत हावी रहेगा।

स्वर अंक आधारित विश्लेषण 

      एक और रोमांचक तथ्य स्वर अंक के आधार पर गणना और विश्लेषण करने पर पता चलता है। स्वर अंक से भारत और पाकिस्तान समान हैँ मगर चीन बलवान है। इसलिए भारत जबतक भारत के नाम से पुकारा जाता रहा, चीन का दबदबा अचानक बढ़ा और उस ने भारत का तिब्बत हड़प लिया। स्वर विज्ञान से तिब्बत भी चीन से स्वरांक में ऋणी है इसलिए वह उस का गुलाम बन गया।

      स्वरांक का पुकारू नाम पर अधिक प्रभावी होता है। मसलन किसी का सर्टिफिकेट नाम कुछ भी हो मगर जिस नाम से सम्बोधित करते उस की तंद्रा उसे सब से पहले सचेत करे अथवा जिस नाम से अधिक स्वयं में सक्रिय हो, उस नाम का प्रथम अक्षर ही स्वरांक प्रधान होता है।

      भारत कालांतर में इंडिया के नाम से प्रचलित व सम्बोधित हुआ और हो रहा है। इस नाम के अनुसार चीन और पाकिस्तान दोनो ही भारत के ऋणी हैँ। स्वरांक विधि अनुसार दोनो अधिकतम पॉइंट के साथ ऋणी हैँ। इसलिए समय के अनुसार भारत बनाम इंडिया ने तिब्बत घटना के बाद भी चीन के मुक़ाबले आनुपातिक रूप से अतिशय वृद्धि कर ली है तथा पहले के मुक़ाबले कमजोर स्थिति से सबलता से हो खड़ा हो गया है।

      स्वरांक विधि वस्तुतः उच्चारण आधारित पद्धति है। अतः किसी के वर्णमाला के प्रथम अक्षर की जगह उस के उच्चारण में आ रहे अक्षर को प्रधानता दी जाती है। मसलन, स्कूल को सकूल पढ़ते हैँ मगर इस्कूल बोलते हैँ। उच्चारण चूँकि इस्कूल है, अतः स्वर विज्ञान में इस्कूल अनुसार ही गणना होगी। स्कूल के 'स्' की जगह इस्कूल के 'इ' को प्रथम अक्षर के रूप में लेकर गणना की जाएगी।

      लग्न, राशि, अंक, स्वर आधारित अध्य्ययन, गणना, तुलनात्मक आकलन आदि से विश्लेषण करने पर पता चलता है कि इन में आखिर इतना परस्पर विवाद क्यों होता है।

बुधवार, 30 अप्रैल 2025

पश्चिम बंगाल के दीघा में बना भव्य जगन्नाथ मन्दिर Jagannath Temple At Digha West Bengal Inaugrated

जगन्नाथ धाम, दीघा





      
      पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर के दीघा में बने जगन्नाथ मंदिर का आज बुधवार, ३० अप्रील २०२५ (अक्षय तृतीया) को शुभ मुहूर्त में उद्घाटन हुआ है। आज मंदिर में देवताओं की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा हुई। इस के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यज्ञ, हवन और पूजा के लिए एक दिन पहले मंगलवार को ही दीघा पहुँच गयी थीं।

      ओडिशा के पुरी में बने १२वीं सदी के मंदिर की तर्ज पर बने दीघा के जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करीब बीस एकड़ में किया गया है। इस के लिए राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से लाल बलुआ पत्थर मँगाए गए थे।

      पश्चिम बंगाल सरकार मंदिर के उद्घाटन के बाद सालाना रथ यात्रा आयोजित करने की योजना बना रही है। दीघा में पहली ऐसी यात्रा जून में आयोजित होने की संभावना है। यात्रा में इस्तेमाल होनेवाले रथ पहले ही बनाए जा चुके हैं और उन्हें तैयार रखा गया है। पुरी से दीघा करीब ३५० किलोमीटर दूर है।

     दीघा के जगन्नाथ धाम का निर्माण 'हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन' (HIDCO) द्वारा किया गया है। राज्य सरकार ने इस पर करीब २५० करोड़ रुपये खर्च किये हैं। इस का पूरा प्रबन्धन अब 'इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस' (इस्कॉन) को सौंपा जाएगा।

      पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह, दीघा के मंदिर भी चार मंडप (हॉल) बनाए गए हैं। इन के नाम- विमान (गर्भगृह), जगमोहन, नट मंडप (नृत्य हॉल) और भोग मंडप हैं। दीघा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियाँ पुराने पुरी जगन्नाथ मंदिर की तरह ही बनाई गई हैं लेकिन ये पत्थर से बनी हैं। चारों दिशाओं में प्रवेश द्वार बने हैं। मुख्य द्वार से प्रवेश करने के बाद अरुण स्तंभ है, फिर सिंह द्वार है और इस के ठीक सामने व्याघ्र द्वार है। हर दरवाजे के पास सीढ़ियाँ और छतरी बनी है।

      हर दरवाजे को शंख, चक्र और कमल से सजाया गया है। मंदिर के गुंबद से लेकर हर दरवाजे पर रंग-बिरंगी लाइटिंग लगाई गई है। पुरी मंदिर की तरह, दीघा जगन्नाथ मंदिर के ऊपर हर शाम झंडा फहराये जाने की परम्परा आरम्भ की गयी है।

जगन्नाथ धाम, दीघा की प्रमुख बातें


मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

भारत व पाकिस्तान युद्ध : ज्योतिषीय गणना से निकला सच India & Pak War : Pakistan Will Be Destroyed, Truth Revealed By Astrological Calculations

भारत की कुण्डली

      जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में धर्म पूछकर हिन्दुओं की हत्या किये जाने को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते खराब हो गये हैं। राजनयिकों की संख्या में कटौती, नागरिकों की वापसी, वीजा में छूट पर रोक, नये वीजा पर प्रतिबन्ध, सीमा पर सैन्य गतिविधियों में वृद्धि, द्विपक्षीय सन्धियों के निलम्बन जैसी कार्रवाइयाँ दोनों देशों की ओर से हुई हैं। आपसी सम्बन्ध निरन्तर बिगड़ रहे हैं। ऐसे में ज्योतिष अमित कुमार नयनन ने इस सन्दर्भ को ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर गणना कर यह आलेख प्रस्तुत किया है...

      भारत की कुण्डली के अनुसार, भारत की महादशा चंद्र १० वर्षीय से मंगल ७ वर्षीय की ओर अग्रसर है; महादशा जुलाई २०२५ में चंद्र से मंगल में प्रवेश कर जाएगी । चंद्र एक शांतिपूर्ण शीतल ग्रह हैँ मगर मंगल स्वयं ही युद्धप्रिय ग्रह ही नही बल्कि स्वयं ही योद्धा ग्रह हैँ। इसलिए मंगल की ७ वर्षीय महादशा अपनी दशा में कई बार युद्ध स्थितियों को जन्म दे रही है। भारत के लिए यह युद्ध की महादशा है। 

मंगल महादशा का गम्भीर प्रभाव 

      मंगल का सीधा सम्बन्ध भाई, भूमि से होता है, इसलिए संलगन क्षेत्रों से भूमि एवं युद्ध का स्पष्ट सूचक है। भारत की कुण्डली में मंगल मिथुन राशि में हैँ। मिथुन पश्चिम दिशा का सूचक है, अतः इस दशा मैं पश्चिम, उत्तर-पश्चिम व दक्षिण-पश्चिम से विशेष तौर पर संघर्ष होगा। मंगल राहु के नक्षत्र और राहु के उपनक्षत्र में ही हैँ तथा राहु भारत के लगन में उच्च होकर स्थित हैँ। अतः इतना तो स्पष्ट है कि भारत सुरक्षित रहेगा एवं इस के प्रभुत्व का विश्व लोहा मानेगा।

बड़े नेताओं पर खतरा

      मंगल और राहु दोनो की दृष्टि संतान भाव पर है, इसलिए यह भारत के शीर्षस्थ नेताओं यहाँ तक कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या समतुल्य उच्च शासकीय लोग के लिए खतरे की घण्टी है। अतः इस मामले में पूर्ण सतर्कता बरतनी होगी अन्यथा अकस्मात् गंभीर घटना हो सकती है। 

केतु की महादशा का कुप्रभाव 

      यहाँ यह जानने की बात है कि केतु की महादशा में ही इंदिरा गाँधी की हत्या हुई थी। केतु स्वयं विस्फोटक ग्रह हैँ। विदित हो कि राहु और केतु की अपनी कोई राशि नहीं होती, इसलिए जिन राशियों मैं बैठते एवं जिन से भी संयुक्त या प्रभावित होते हैँ, उन का भी फल देने लग जाते हैँ। अतः स्वयं विस्फोटक होने तथा अग्नि ग्रह मंगल की राशि मैं बैठने से तथा मंगल के कुटुम्ब भाव मैं बैठने तथा संतान भाव पर दृष्टि डालने से उक्त (इन्दिरा गाँधी की हत्या) घटना ने जन्म लिया था। इस में मंगल का व्यय भाव का मालिक होने से भी आग में घी का काम किया था। इसलिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री वगैरह देश के मुख्य शीर्ष शासकीय व्यक्तियों को विशेष रूप से सचेत रहना ही होगा। इस में भी यह मंगल की महदशा में मंगल, राहु, शनि, बुध, केतु की अन्तर्दशा मे होंगी। इन में केतु के अतिरिक्त सारी दशाएँ मंगल महादशा के पूर्वार्द्ध अर्थात् पहले साढ़े ३ साल के अंदर पड़ती हैँ। अतः २०२५ जुलाई से सतर्कता ज़रूरी है। राष्ट्र को तो कुछ नहीं होगा, इस का कोई बाल भी बांका नहीं कर पाएगा मगर कोई अनहोनी घटना शीर्ष अधिकारियों को लेकर हो सकती है।

जम्मू-कश्मीर की स्थिति 

      वर्तमान में कश्मीर की कुण्डली के अनुसार, कश्मीर में ७ जून २०२५ तक स्थिति खराब रहेगी। हालाँकि विपरीत घटनाओं का असर कश्मीर पर कमोबेश सितम्बर २०२५ तक भी है।

पाकिस्तान की ग्रह-दशा

पाकिस्तान की कुण्डली

     पाकिस्तान की कुण्डली के अनुसार, वह २९ अप्रैल २०२५ से ७ जून २०२५ तक कठिन और बेहद कठिन दौर से गुजरेगा। २०२५ जुलाई तक भी बहुत सुधार की उम्मीद नहीं है। १५ अगस्त २०२५ तक भारत से विवाद चरम पर होगा तथा १६ सितम्बर २०२५ तक भारत पाकिस्तान संघर्ष का सम्पूर्ण परिणाम सभी तरह से स्पष्ट हो जाएगा। भारत की कुण्डली बलवान है, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के साथ बलूचिस्तान भी पाकिस्तान के हाथ से जाता दीख रहा है। पाकिस्तान की सम्प्रभुता पर भी आँच आएगी।

भारत के लिए 

मंगल महादशा में सतर्कता की अवधि

मंगल - मंगल : २०२५ जुलाई-दिसंबर २०२५

मंगल - राहु : २०२५ दिसंबर-जनवरी २०२७

मंगल - शनि : २०२७ दिसंबर-जनवरी २०२९

मंगल - बुध : २०२९ जनवरी-जनवरी २०३०

मंगल - केतु : २०३० जानवरी-जून २०३०

चीन का हस्तक्षेप 

      इस प्रकरण में चीन का हस्तक्षेप ७ जून २०२५ तक रहेगा। मई के प्रथम सप्ताह से चीन पाकिस्तान का साथ देगा। राहु और केतु जून में अगले १ साल ६ माह तक के लिए कुम्भ-सिंह राशि में गोचर कर रहे हैँ। भारत-पाक के  लिए यह एक चुनौतीपूर्ण दौर होगा; क्योंकि दोनो की नवमांश कुंडली में राहु और केतु इन्हीं राशियों मे हैँ। मई २०२५ तक चीन का हस्तक्षेप अधिक रहेगा तथा ७ जून २०२५ के बाद चीन इस मामले मे कमजोर पड़ जाएगा।

      चीन की ग्रहचाल एवं गतिविधि से इस मामले में चीन की प्रत्यक्ष या परोक्ष संलिप्त्ता संभव है। ऐसा संभव है कि उस ने इस प्रकरण मे पाक का साथ दिया हो और प्रॉक्सी वार खेल रहा हो, मगर विश्व तथा भारत के अंदर व बाहर से मिल रहे पूर्ण समर्थन को देख उस की रणनीतिक हार हुई हो। भारत को इस सिरे पर पूर्ण ध्यान रखना चाहिए। मुख्यातः इस बात पर ध्यान हो कि बिना चीन की मदद के पाकिस्तान में इतना बड़ा कदम उठाने की कूबत नहीं है। भूखे-दरिद्र पाक को उकसाकर समृद्ध होते भारत तथा जम्मू-कश्मीर एवं उत्तर भारत की सकारात्मक होती बयार को डिस्टर्ब करना चाहता हो। गुप्त रूप से भी पाकिस्तान को चीन की तरफ से भारत के विरुद्ध सहायता मिल सकती है। 

भारत-पाक युद्ध : महादशा-अंतर्दशा

      भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तीन युद्धों में ग्रहों की महादशा और अन्तर्दशा देखिये। इस बार जो दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति है, वैसी स्थिति में भी २०२५ की वर्तमान ग्रह-स्थिति प्रदर्शित की गयी है। 

१९४८ : शनि-शनि

१९६५ : बुध-बुध

१९७१ बुध-सूर्य

१९९९ : शुक्र-बृहस्पति

२०२५ : चंद्र-सूर्य और मंगल-मंगल

रविवार, 23 मार्च 2025

श्रेष्ठ अभिनय व शानदार व्यक्तित्व के लिए याद किये जायेंगे राकेश पाण्डेय

 

पटना में फिल्म 'लल्लू बिहारी' की शूटिंग के दौरान राकेश पाण्डेय के साथ शीतांशु

-शीतांशु कुमार सहाय 

श्रेष्ठ अभिनेता राकेश पाण्डेय अब हमारे बीच नहीं रहे लेकिन मुझ जैसे सैकड़ों सहकर्मियों और लाखों प्रशंसको के मानस पटल पर सदा-सर्वदा जीवित रहेंगे। अपने लाखों पाठकों की ओर से मैं उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ और परिजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ!

हिंदी सिनेमा और भोजपुरी फिल्मों में अहम योगदान देने वाले प्रसिद्ध दिग्गज अभिनेता राकेश पांडे का शुक्रवार, 21 मार्च की सुबह दिल का दौरा पड़ने की वजह से निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने मुंबई के जुहू स्थित आरोग्यनिधि अस्पताल में सुबह 8:50 बजे अंतिम सांस ली, जहां उनका इलाज आईसीयू में चल रहा था। अंतिम संस्कार 22 मार्च को मुंबई के शास्त्री नगर श्मशान घाट पर किया गया जिस में परिवार और करीबी परिचित मौजूद थे। 

राकेश पांडे ने हिंदी और भोजपुरी सिनेमा में अपने यादगार अभिनय से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। 1970 के दशक में फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले राकेश पांडे ने अपने प्रभावशाली अभिनय से कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया। उन्होंने वर्ष 1971 में श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित फिल्म ‘सुधा सुहागन’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। हालांकि, उन्हें असली पहचान 1974 में आई फिल्म ‘अनुभव’ से मिली, जिसमें उन्होंने अभिनेत्री तनुजा के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी। यह फिल्म अपने गहरे सामाजिक संदेश और बेहतरीन अभिनय के लिए जानी जाती है।

राकेश पांडे ने अपने कॅरियर में कई हिंदी फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें शामिल हैं :-

‘अनुभव’ (1974) – तनुजा के साथ मुख्य भूमिका में

‘रजनीगंधा’ (1974) – अमोल पालेकर और विद्या सिन्हा के साथ

‘घर’ (1978) – विनोद मेहरा और रेखा के साथ

‘साजन बिना सुहागन’ (1978)

‘अहिंसा’ (1979)

हिंदी और भोजपुरी फिल्मों के अलावा, राकेश पांडे ने कुछ टेलीविजन शो और थिएटर में भी अभिनय किया। उनका अभिनय सहज और वास्तविकता से जुड़ा होता था, जिससे दर्शक उनसे गहराई से जुड़ पाते थे।

राकेश पांडे ने भोजपुरी सिनेमा में भी अपनी अलग पहचान बनाई और कई लोकप्रिय फिल्मों का हिस्सा रहे। उनके अभिनय और दमदार डायलॉग डिलीवरी ने उन्हें भोजपुरी दर्शकों का भी चहेता बना दिया। उन का योगदान भारतीय सिनेमा के लिए अमूल्य रहेगा, और उनकी यादगार फिल्में हमेशा उन के शानदार करियर की गवाही देंगी।

राकेश पांडे का जन्म 9 अप्रैल 1940 को भारत के हिमाचल प्रदेश में हुआ था। उन्होंने अपना एक्टिंग करियर 1969 में फिल्म 'सारा आकाश' से शुरू किया था। इसमें उन्होंने समर की भूमिका निभाई थी। इन्होंने हिंदी से लेकर भोजपुरी सिनेमा में लंबे समय काम किया और सफलता हासिल की। इन्होंने 1978 में 'मेरा रक्षक' में मंगल की भूमिका निभाई थी। जिससे उन्हें ज्यादा पहचान मिली थी।


बुधवार, 22 जनवरी 2025

जूना अखाड़ा : डेढ़ हजार तोग ने नागा संन्यास की दीक्षा ली, उन्नीस महिलाएँ भी बनीं नागा संन्यासी Naga Sangnyasi



     बुधवार १८ जनवरी २०२५ को प्रयागराज के महाकुंभ में १५०० पुरुषों ने पिण्डदान सहित स्वयं ही अपना पूरा श्राद्ध कर्म किया और नागा संन्यासी बनने के लिए दीक्षा ग्रहण की। 

      इस अवसर पर १९ महिलाएँ भी महाकुम्भ में नागा संन्यासी बनने की दीक्षा लेंगी। इन सब को गुरु परंपरा के अनुसार ही दीक्षा दी जायेगी।

      सभी पुरुषों ने पंच दशनाम जूना अखाड़े से जुड़कर हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच नागा संन्यासी बनने की दीक्षा ली।

      जूना अखाड़े के रमता पंच के श्री महंत रामचंद्र गिरि, दूधाधारी महाराज, निरंजन भारती और मोहन गिरि की देखरेख में पहले सभी लोगों का मुंडन संस्कार किया गया। इस के बाद सभी ने १०८ बार गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाई। इस के उपरान्त गंगा पूजन किया औऱ अपना, माता-पिता सहित सात पीढ़ियों का पिणडदान किया। 

      पिण्डदान के बाद सभी ने एक स्वर में स्वयं को सांसारिक मोह-माया से अलग करते हुए सांसारिक तौर पर स्वयं के मृत होने की घोषणा कर दी।

शुक्रवार, 10 जनवरी 2025

विश्व हिन्दी दिवस World Hindi Day

-शीतांशु कुमार सहाय 

      प्रतिवर्ष १० जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह दिन हिन्दी भाषा की बढ़ती वैश्विक पहचान और सम्मान को दर्शाने के लिए समर्पित है। वर्ष २००६ में भारत के तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने १० जनवरी को 'विश्व हिन्दी दिवस' के रूप में मनाने की आधिकारिक शुरुआत की। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है कि हिन्दी की अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता बढ़े और इसे अधिक प्रतिष्ठा मिले।

      विश्व हिन्दी दिवस का आयोजन दुनियाभर में हिन्दीभाषियों, हिन्दी प्रेमियों और भाषा के प्रवर्तकों द्वारा किया जाता है, जिस से यह एक महत्त्वपूर्ण अवसर बन जाता है, हिन्दी के महत्त्व को स्वीकार करने और प्रचारित करने का।

      भारत के अलावा विश्व के अनेक देशों में हिन्दी बोली और समझी जाती है। वर्तमान में हिन्दी अपने एक मजबूत स्थान पर है और निरन्तर प्रचारित व प्रसारित हो रही है।

शुक्रवार, 3 जनवरी 2025

इस महीने बदलेंगे भाजपा के २९ प्रदेश अध्यक्ष 29 State Presidents of BJP Will Change This Month

-शीतांशु कुमार सहाय

      २९ राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के चुनाव हेतु भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव अधिकारियों की घोषणा कर दी। किस राज्य में कौन चुनाव करायेंगे, इस की सूची इस प्रकार है :-

१) मनोहर लाल खट्टर (केन्द्रीय मंत्री) : बिहार
२) केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव : गुजरात
३) केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान : कर्नाटक
४) केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल : उत्तर प्रदेश
५) केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान : मध्य प्रदेश 
६) गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी : राजस्थान
७) केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू : सिक्किम
८) केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत : असम
९) सर्बानंद सोनोवाल : अरुणाचल प्रदेश
१०) केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी : केरल
११) केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह : हिमाचल प्रदेश
१२) राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े : छत्तीसगढ़
१३) तमिलनाडु की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती तमिलिसाई सुंदरराजन : अंडमान निकोबार
१४) पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर : लद्दाख
१५) सांसद संजय जायसवाल : ओडिशा
१६) सुनील बंसल : गोवा
१७) पीसी मोहन : आन्ध्र प्रदेश
१८) सरदार नरेन्द्र सिंह रैना : चण्डीगढ़
१९) विनोद तावड़े : छत्तीसगढ़
२०) डाॅ. राधा मोहन दास अग्रवाल : दादर-नगर हवेली और दमन-दीव
२१) अरुण सिंह : हरियाणा
२२) पूर्व सांसद संजय भाटिया : जम्मू-कश्मीर
२३) पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष हिमाचल प्रदेश जयराम ठाकुर : लद्दाख
२४) पूर्व केन्द्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन : लक्षद्वीप 
२५) केन्द्रीय राज्य मंत्री जाॅर्ज कूरियन : मेघालय
२६) महिला मोर्चा की अध्यक्ष श्रीमती वानती श्रीनिवासन : मिजोरम
२७) पूर्व केन्द्रीय मंत्री बी मुरलीधरन : नागालैण्ड
२८) राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ : पुदुचेरी
२९) गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय भाई रूपाणी : राजस्थान
      १५ जनवरी २०२५ तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्षों और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों का चुनाव पूरा करने की समय सीमा तय की गयी है। इस के बाद, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जायेगी। प्रत्याशा है कि इस महीने के आखिर तक भाजपा के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है। 

सोमवार, 30 दिसंबर 2024

आचार्य किशोर कुणाल को पद्य-श्रद्धांजलि A Poetic Tribute To Acharya Kishor Kunal


-शीतांशु कुमार सहाय

हे किशोर कुणालजी, करते नमन अपार।
एक-दो गिनती नहीं, कीर्ति तेरे हज़ार।।
सत्य-धर्म के मार्ग पर चलते रहे हैं आप।
श्रीराम और हनुमान के प्रिय रहे हैं आप।।

राम द्वार के तुम थे सेवक,
हनुमान के भक्त निराले।
मानव सेवा में तत्पर थे,
तुम तो थे बड़े ही भोले।।

पटना के हनुमान मन्दिर का,
तुम ने जीर्णोद्धार किया है। 
अयोध्या के श्रीराम मन्दिर में, 
सेवा तुम ने बहुत दिया है।।

सेवा के तुम प्रतिमूर्ति थे,
मानवता के कीर्ति पताका।
थे प्रशासक अतुलनीय तुम, 
स्वास्थ्य-रक्षक बेमिसाल तुम।।

कार्य करण और कारक थे तुम, 
हम सब के प्रेरक थे तुम। 
अतुलित कार्य किये थे जग में, 
सेवा-भाव था तेरे रग-रग में।।

करते प्रणाम हम धरतीवासी,
करो स्वीकार हे परलोकवासी।
सहकर कष्ट लक्ष्य तुम पाये,
यही प्रेरणा हमें सिखाये।।

छोड़ गये जो काज अधूरे,
प्रण लेते हैं करेंगे पूरे।
रामायण मन्दिर भव्य बनेगा,
भारत तुझ को भुला न सकेगा।।

आचार्य किशोर कुणालजी, नमन आप को हम सब का है।
सत्य-धर्म का मार्ग दिखाया, वन्दन आप को हम सब का है।।

शनिवार, 7 दिसंबर 2024

सशस्त्र सेना झण्डा दिवस : बिहार सरकार ने की सैन्य अनुग्रह राशि और सम्मान राशि में भारी वृद्धि Armed Forces Flag Day : Bihar Government Huge Increase In Military Ex-gratia And Honor Amount

बिहार सरकार द्वारा बिहार निवासी शौर्य पुरस्कार विजेताओं को दी जानेवाली राशि में वृद्धि

-शीतांशु कुमार सहाय 

     भारत में 'सशस्त्र सेना झण्डा दिवस' प्रतिवर्ष सात दिसम्बर को मनाया जाता है। इस की शुरुआत सन् १९४९ ईस्वी में हुई। भारत की सुरक्षा में संलग्न वीर सैनिकों के प्रति कृतज्ञता, श्रद्धा और सम्मान प्रकट करते हुए उन के और उन के परिजनों के कल्याण की कामना के लिए सशस्त्र सेना झण्डा दिवस मनाया जाता है। 

     इस दिन अवकाश प्राप्त सैन्य सेवा कर्मियों और वीरगति को प्राप्त सैनिकों के परिजनों के कल्याणार्थ राशि एकत्र किये जाते हैं। कोई भी व्यक्ति सैनिकों या उन के परिजनों के कल्याणार्थ दान थे सकता है। राज्य सरकारों के सैनिक कल्याण कोष या केन्द्रीय सरकार के कोष में धनराशि का दान दिया जा सकता है। 

     बिहार सरकार ने सात दिसम्बर २०२४ अर्थात् सशस्त्र सेना झण्डा दिवस को अखबारों में विज्ञापन देकर अनुग्रह राशि और शौर्य पुरस्कार विजेताओं को दी जानेवाली राशि में भारी वृद्धि की घोषणा की है। 

     अनुग्रह राशि को ११ लाख से बढ़ाकर २१ लाख रुपये कर दी गयी है। इसी तरह सशस्त्र सैन्य सेवा से निवृत्त दिव्यांग सैनिकों को दी जानेवाली अनुग्रह राशि में ३०० प्रतिशत की वृद्धि की गयी है। इस मद में अब ५० हजार रुपये के बदले दो लाख रुपये दिये जायेंगे।

     विभिन्न सैन्य पुरस्कारों से सम्मानित होनेवाले बिहार निवासी सैनिकों को बिहार सरकार अपनी तरफ से भी सम्मान राशि प्रदान करती है। इस मद की सभी श्रेणियों में भी वृद्धि की गयी है। परमवीर चक्र पानेवाले बिहारी सैनिक या उन के परिजन को पहले दस लाख रुपये दिये जाते थे लेकिन अब एक हज़ार प्रतिशत अधिक यानी एक करोड़ रुपये प्रदान किये जायेंगे। 

     सैन्यकर्मियों को उत्कृष्ट कार्य-प्रदर्शन पर शौर्य पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। बिहार निवासी शौर्य पुरस्कार विजेताओं को बिहार सरकार अब पहले की अपेक्षा अधिक धनराशि देकर सहयोग करेगी। 

     बिहार सरकार अभी तेरह जिलों में सैनिक कल्याण कार्यालय संचालित कर रही है। अब बारह अन्य जिलों में भी सैनिक कल्याण कार्यालय खोलने का निर्णय लिया गया है। 

शनिवार, 12 अक्टूबर 2024

अमीरी की सीमा-रेखा ही खत्म करेगी गरीबी : बन्धु Only The Boundary Line of Richness Will Eliminate Poverty : Bandhu

-प्रदेश कार्यकारिणी का हुआ गठन 

-संजय कुमार अध्यक्ष मनोनीत 

     लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) की जयन्ती पर शुक्रवार को राजधानी में एक बार फिर से जनता पार्टी ने अपनी ताकत दिखायी। 1977 में जयप्रकाश नारायण ने ही राष्ट्रीय राजनीतिक विकल्प के रूप में जनता पार्टी का गठन किया था। मोरारजी देसाई के नेतृत्व में एक समय पार्टी ने देश को मजबूत और विकासवादी सरकार दी लेकिन आज यह दल अपने सिमटी हुई है। 

     लोकनायक की जयन्ती के अवसर पर जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश बन्धु पटना आये। उन्होंने आयकर गोलम्बर स्थित जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने दुहराया कि पार्टी जेपी के समाजवादी सिद्धांतों को जन-जन तक पहुँचायेगी।

     जेपी की प्रतिमा पर माल्यार्पण से पूर्व जयप्रकाश बन्धु ने कार्यकर्ताओं और पार्टी के पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए पार्टी की नीतियों और उद्देश्यों की चर्चा की। बन्धु ने कहा कि जबतक भारत की सरकार गरीबी रेखा खिंचती रहेगी, तबतक देश का, देशवासियों का विकास नहीं हो सकता है। जिस दिन भारत में अमीरी की सीमा-रेखा खिंची जायेगी, उस दिन गरीबी खत्म हो जायेगी। बन्थु ने कहा कि जनता पार्टी न धर्म की राजनीति करती है और न ही जाति की। उन्होंने लोकतन्त्र में वंशवादी परम्परा को घातक बताया। 

     इस अवसर पर जनता पार्टी की नयी प्रान्तीय कार्यकारिणी की घोषणा की गयी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयप्रकाश बन्धु और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अनुज शर्मा की उपस्थिति में कार्यकर्ताओं के बीच राष्ट्रीय सचिव सन्तोष श्रीवास्तव ने बिहार कार्यकारिणी की घोषणा की। बिहार प्रदेश जनता पार्टी के अध्यक्ष के पद पर संजय कुमार नियुक्त किये गये। दो उपाध्यक्ष धीरज कुमार और प्रमोद कुमार बनाये गये हैं। हर्ष कुमार को प्रदेश महासचिव जबकि शिव नारायण सिंह प्रवक्ता मनोनीत किये गये हैं। 

     इस दौरान मुन्ना केसरी, शैलेश कुमार, शालिनी कुमारी, रवि कुमार, सनोज कुमार, मनोज निषाद, पवन कुमार सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की उपस्थिति थी।


गुरुवार, 8 अगस्त 2024

कल्कि 2898 एडी के निर्माण से पूर्व अमित कुमार नयनन की प्रकाशित रचनाएँ Published Works of Amit Kumar Nayanan Before The Production of Kalki 2898 AD


सुप्रिय पाठकों, आप सात अगस्त 2024 के पोस्ट में पढ़ चुके हैं कि हिन्दी कहानीकार अमित कुमार नयनन ने अपनी कहानी के चोरी होने का आरोप चर्चित फिल्म 'कल्कि 2898 एडी' के निर्देशक और निर्माता पर लगाया है। साथ ही उन्होंने इस सम्बन्ध में कई प्रमाण भी दिये हैं। अपने प्रमाणों के आधार पर अमित कुमार नयनन ने पटना जिला एवं सत्र न्यायालय में एक मुकदमा भी दायर किया है। नयनन की ओर से अधिवक्ता संजय कुमार सिंह हैं। इस के पूर्व फिल्म के निर्माण से जुड़े लोगों को कानूनी नोटिस भी भेजी गयी थी जिस पर कोई प्रत्युत्तर प्राप्त नहीं हुआ। 

     इस सम्बन्ध में अधिवक्ता संजय कुमार सिंह का कहना है कि आखिर कोई कहानीकार अपनी रचना किस प्रकार सुरक्षित रखे? काॅपीराइट वाली कहानियों को भी चुराकर अपनी रचना बताकर लोग फिल्म बना रहे हैं। यह निश्चित रूप से अपराध है। क्यों फिल्म वाले कहानीकार को क्रेडिट नहीं देना चाहते? अधिवक्ता संजय कुमार सिंह ने आश्चर्य जताया कि हाल के दशकों में निर्देशक ही कहानीकार हो गये हैं।  फिल्मी दुनिया से किस षड्यन्त्र के तहत कहानीकार दूर कर दिये गये? आखिर इस के पीछे राज क्या है? उन्होंने कहा कि मुकदमे के ट्रायल के दौरान इस राज पर से पर्दा उठाया जायेगा। उन्होंने कहा कि अमित कुमार नयनन द्वारा दायर मुकदमा सभी कहानीकारों के हक़ में है। 

फिल्म 'कल्कि 2898 एडी' के निर्माण की घोषणा से पूर्व अमित कुमार नयनन की सम्बन्धित रचनाएँ https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/ और https://aknayan.blogspot.com/ पर प्रकाशित हुई थीं। इन रचनाओं को आप नीचे दिये गये लिंक पर पढ़ सकते हैं.....

1) The Great God : The Additional Features--- http://aknayan.blogspot.com/2024/08/the-great-god-additional-features.html

2) कोरोना वायरस Coronavirus--- https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/2020/04/coronavirus.html

3) कोरोना वायरस (2) Coronavirus (Episode-2)--- https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/2020/04/coronavirus-episode-2.html

4) कोरोना वायरस (3) कलियुग के ऋषियों की तपस्या का परिणाम--- https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/2020/05/coronavirus-3-result-of-sagess-penance.html

5) Corona Thought (1)--- https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/2020/05/coronavirus-thought-1.html

6) Corona Thought (2)--- https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/2020/05/coronavirus-thought-2.html

7) त्रेता का नेता Treta Ka Neta--- https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/2020/05/blog-post.html

8) ए प्रभु A Prabhu--- https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/2020/05/blog-post_7.html

9) अवतार पुरुष Avatar Purush--- https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/2020/05/avatar-purush.html

10) Madmax--- http://aknayan.blogspot.com/2023/09/madmax.html

11) अमित कुमार 'नयनन' की वृहद् रचना 'द गाॅड' का प्रकाशन शीघ्र--- https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/2017/04/amit-kumar-nayans-massive-composition.html?m=0

     अमित कुमार नयनन का स्पष्ट रूप से यह आरोप है कि उन की वेबसाइट पर उपर्युक्त प्रकाशित रचनाओं में से तथ्यों को चुराकर बिना उन की सहमति के और बिना उन्हें पारिश्रमिक दिये 'कल्कि 2898 एडी' में उपयोग किये गये हैं। यह आपराधिक कृत्य है। 

     फिल्म 'कल्कि 2898 एडी' पर कहानी चोरी के आरोप वाला 7 अगस्त 2024 का पोस्ट इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ें.....

https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/2024/08/2898-kalki-2898-ad-accused-of-story.html?m=0

बुधवार, 7 अगस्त 2024

योग दिवस : विश्वगुरु का आधुनिक अभियान 2015 से आरम्भ



-शीतांशु कुमार सहाय
     विश्व ने रविवार 21 जून 2015 को प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया। पूरे विश्व के लोग इस दिन भारतीय योगियों के आदेश पर झुकते रहे, उठक-बैठक करते रहे, हाथ-पैर मोड़ते रहे और अपूर्व शान्ति के लिए सृष्टि के प्रथम अक्षर ‘ऊँ’ का पवित्र उच्चारण कर धरती से अन्तरिक्षपर्यन्त पावनता का वातावरण कायम करते रहे। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, जब विश्वविरादरी एक साथ एक ही कार्य किया हो। इस विश्व कीर्तिमान से हम भले ही प्रसन्न हो जायें और प्रसन्न होने का विषय भी है, पर हमसे अधिक प्रसन्नता उसे है जिसने हमें धरती पर भेजा। जगद्नियन्ता भगवान मनुष्य के इस सामूहिक प्रयास से निश्चित ही बेहद प्रसन्न हैं; क्योंकि ऐसी सकारात्मक सामूहिकता विश्वविरादरी ने इससे पूर्व कभी नहीं दिखायी। विश्व को ज्ञान का प्रथम प्रकाश देनेवाला भारत ‘विश्वगुरु’ के रूप में जाना जाता रहा है। अपने उसी रूप को पुनः भारत ने प्रदर्शित किया है, बिना किसी आर्थिक लाभ लिये ही विश्व को योग का अमूल्य उपहार प्रदान किया है। विश्वव्यापी अशान्ति के बीच अमोघ शान्ति का मूलमन्त्र दिया है। शस्त्रास्त्रों की होड़ को समाप्त करने का सूत्र दिया है। पतित होकर गर्त्त में गिर रहे मनुष्य को पावनता के शिखर पर पहुँचने का सोपान उपलब्ध कराया है। रिश्ते-नातों को भूलकर हर किसी से काम-पिपासा को तृप्त करनेवालों को तृप्ति का नया साधन सुलभ कराया है, जहाँ की नैतिकता कभी अनैतिकता का अवलम्बन प्राप्त नहीं करती।
मनुष्य को भगवान बनानेवाले योग के विश्व दिवस के आगाज का समय बड़ा ही पावन है। अभी विश्व में प्रचलित सबसे प्राचीन वैज्ञानिक दिनपत्री (कैलेण्डर) विक्रम सम्वत् के अनुसार 21 जून 2015 को आषाढ़ अधिमास की पंचमी तिथि है। अधिमास को मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं जिस दौरान देवाराधना का विशेष महत्त्व होता है। यों हिजरी सम्वत् 1436 का सबसे पवित्र महीना रमजान चल रहा है और प्रत्येक मुसलमान इस पूरे महीने में (योग के नियमानुसार ही) संयमित-संस्कारित जीवन व्यतीत करते हैं, अल्लाह की उपासना में समय बिताते हैं। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि योग दिवस मनाने पर जब संयुक्त राष्ट्रसंघ में मतदान हुआ तो विश्व के 177 देशों ने भारत के इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था जिनमें 47 इस्लामी देश हैं। वैसे भी सनातनी (हिन्दू) से अधिक योग मुसलमान करते हैं जो प्रतिदिन 5 बार वज्रासन में बैठकर अल्लाह की खिदमत करते हैं, नमाज पढ़ते हैं और चरण स्पर्श की मुद्रा में सिर भी झुकाते हैं। इसी तरह भारतीय निर्देशन में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर विश्व ने असीम शान्ति के लिए परवरदीगार के सामने सिर झुकाया।
भारतीय मनीषियों द्वारा प्रदत्त अमूल्य सांस्कृतिक उपहार योग को आत्मसात् कर विश्व के सभी देश धन्य हो गये! धन्य हैं भारत के वे सभी योगी भी जिन्होंने सभी देशों में जाकर 21 जून 2015 को उन देशों के निवासियों को योग करवाया और इसके मर्म को समझाया। हालाँकि अँग्रजों ने लगभग 200 वर्षों तक भारत को न केवल लूटा; बल्कि इसके तमाम तकनीकों, उत्पादन इकाइयों, राष्ट्रीय व धार्मिक एकता को तहस-नहस किया। यों निर्यातक देश भारत आयातक बन गया। विश्वगुरु भारत दीन-हीन दीखने लगा। पर, अब स्थितियाँ बदल रही हैं, इसमें प्रत्येक भारतीय अपना सहयोग दे तो फिर से भारत विश्वगुरु बन सकता है। वैसे 21 जून 2015 को विश्वविरादरी को योग के भारतीय वरदान से अभिसिक्त कर हमने विश्वगुरु बनने की राह पर एक आधुनिक कदम आगे बढ़ा दिया है। शीघ्र ही हम आयुर्वेद के प्रति भी ऐसा ही करनेवाले हैं और उसके बाद कई और कदम बढ़ाये जायेंगे, बस सरकार के सही कदम का साथ देते जाइये। कई ऐसी बातें हैं जिन्हें बोलकर या लिखकर बताना उचित नहीं, सही समय पर सही व्यावहारिक कदम ही उठाये जायेंगे और यही उचित भी है। मैं 1991 से लगातार योग कर रहा हूँ और औषधिविहीन जीवन जी रहा हूँ। बहुत आवश्यक होने पर ही औषधि का सेवन करता हूँ। ....तो मानिये मेरी सलाह और प्रतिदिन योग करें और योग के पश्चात् श्रीमद्भगवद्गीता के कुछ श्लोक अर्थ सहित अवश्य पढ़ें, शेष कार्य भगवान करते जायेंगे। इति शुभम्!


कल्कि 2898 एडी पर कहानी चोरी का आरोप, मुकदमा दर्ज Kalki 2898 AD Accused of Story Theft, Case Registered

 

     अमित कुमार नयनन की बहुप्रतिक्षित रचना 'टीजी -द गाॅड-द ग्रेट गाॅड' एक अद्भुत व अभूतपूर्व रचना है। यह वर्षों के रिसर्च से तैयार अमूल्य रचना है। इस की सुरक्षा हेतु कोर्ट में सन् 2008 से ही 8 कहानियों के लिए सूचना-पत्र दर्ज है। इस अति महत्त्वपूर्ण रचना पर फिल्म निर्माण के लिए सन् 2008 ईस्वी से प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन को वर्षों से उन के विश्वस्त सूत्रों के माध्यम से अमित कुमार नयनन द्वारा प्रेषित की जा रही थी। इतना कुछ होने के बावजूद नयनन की यह कहानी चोरी कर ली गयी और इस पर एक चर्चित फिल्म का निर्माण किया गया जो पिछले दिनों 'कल्कि 2898 एडी' के नाम से प्रदर्शित की गयी। कथित चोरी की कहानी पर बनी यह फिल्म करोड़ों रूपये की कमाई कर चुकी है। 

     अमित कुमार नयनन का कहना है कि 20 सितंबर 2008 को अमिताभ बच्चन के वेबसाइट 'बिग अड्डा डाॅट काॅम' पर उन्होंने बच्चन से संपर्क किया था तथा 'टाइमजी' के नाम से स्वयं और अमिताभ बच्चन के बीच नाट्य-भूमिका भी लिखी थी। इस रचना को 12 मार्च 2009 को उन्होंने बच्चन के पते पर भेजा था तथा अगले दिन 13 मार्च 2009 को फिल्म राइटर्स एसोसिएशन से उसे रजिस्टर्ड भी कराया था। तब से आजतक रिसर्च के दौरान कहानी जितनी बार भी परिवर्तित और परिवर्द्धित हुई, वह अंश भी विश्वस्त सूत्रों के माध्यम से अमिताभ बच्चन तक पहुँचायी गयी। ऐसा अमित कुमार नयनन कहते हैं। दशकों के रिसर्च से बनी अपनी कहानी के चोरी होने से व्यथित अमित आगे कहते हैं कि वह रचना के अपग्रेडेड वर्जन का भी 13 अगस्त 2013 को रजिस्ट्रेशन कराया। इस के बाद 11 फरवरी 2014 को इस कहानी का काॅपीराइट रजिस्ट्रेशन हुआ। कहानी की सुरक्षा के तमाम कानूनी प्रक्रियाओं के बाद भी अमित को बिना सूचित किये उन की कहानी पर  चोरी-छिपे 'प्रोजेक्ट के' के नाम से फिल्म बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी और प्रदर्शित होते समय नाम बदलकर 'कल्कि 2898 एडी' कर दिया गया। लेखक की जगह अमित कुमार नयनन का नाम नहीं है; बल्कि पर्दे पर और सभी प्रचार सामग्रियों पर निर्देशक नाग अश्विन ने अपना ही नाम प्रदर्शित किया है। फिल्म मे प्रभास, अमिताभ बच्चन, कमल हासन, दीपिका पादुकोण, दिशा पाटनी और ब्रह्मानंदम मुख्य भूमिकाओं में शामिल हैं। 

     अमित कुमार नयनन के अनुसार, उन की विस्तृत शोध पर आधारित इस कहानी को एक फिल्म में समेट पाना सम्भव नहीं है। नयनन की इस  बात और बल मिला जब 'कल्कि 2898 एडी' का निर्माण करनेवाली संस्था वैजयन्ती मूवीज और निर्माता सी. अश्विनी दत्त की ओर से इस के दूसरे भाग की शूटिंग होने की बात स्वीकारी। 

     उल्लेखनीय है कि अमित कुमार नयनन की रचना 'ए प्रभु', 'त्रेता का नेता', 'अवतार पुरुष' और 'कोरोनावायरस भाग-1, 2, 3' का हिन्दी वर्जन तथा 'कोरोनावायरस' का अँग्रेजी वर्जन के साथ ही 'कोराना थाॅट 1, 2' के इनपुट्स का भी इस रचना में समावेश है। इन सभी रचनाओं के भी रजिस्ट्रेशन के कागजात अमित कुमार नयनन के पास उपलब्ध है। नयनन की तमाम रचनाएँ वेबसाइट https://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.com/ पर 2020 से ही मौजूद है। साथ ही टीजी - द गाॅड-द ग्रेट गाॅड/ अमित कुमार नयनन के संपादन से संबंधित अधिसूचना वेबसाइट पर 2 अप्रैल 2017 को स्पष्ट रूप से जारी की गयी थी।

     अमित कुमार नयनन की सम्बन्धित कई रचनाओं को आप इस वेबसाइट पर भी देख सकते हैं।  

     अमित कुमार नयनन बताते हैं कि उन की बहुप्रतीक्षित रचना 'टीजी - द गाॅड-द ग्रेट गाॅड' एक अद्भुत और अभूतपूर्व रचना है। यह काफी रिसर्च से तैयार अमूल्य रचना है। अमित की बात मानें तो सन् 2008 ईस्वी से अमिताभ बच्चन को उन के विश्वस्त सूत्रों के माध्यम से लगातार प्रेषित की जा रही थी जो लीक हो गयी या लीक कर दी गयी।  तत्पश्चात् प्राप्त सम्पर्क सूत्रों के माध्यम से इस पर वार्ता चल रही थी। तभी इस बीच प्रोड्यूसर तलाशने के क्रम में यह रचना अवैध रूप से वैजयन्ती मूवीज के हाथ लग गयी। अमित स्पष्ट कहते हैं कि उन की रचना  'टीजी - द गाॅड-द ग्रेट गाॅड' को व इस में निहित तथ्यों व तत्त्वों को अवैध तरीके से 'कल्कि 2898 एडी' में रूपांतरित किया गया है। 

     नयनन ने कहा, वैजयन्ती मूवीज के प्रोड्यूसर सी अश्विन दत्त ने अपने सन-इन-ला नाग अश्विन को प्रमोेट करने के लिए इस रचना का अवैध इस्तेमाल किया। उन्होंने अपने डायरेक्टर सन-इन-ला को डायरेक्शन के अलावा अभूतपर्व कहानी का लाभ देने के लिए राइटर का भी लाभ देने के क्रम में ऐसा किया। वैजंयंती मूवीज की 'कल्कि 2898 एडी' की निर्माण प्रक्रिया आरंभ से ही संदेह के घेरे में रही है। मुहूर्त के समय इस फिल्म का नाम 'प्रभास 21' फिर 'प्रोजेक्ट के' रखा गया। लगभग एक साल बाद जब शूटिंग पूरी हो गयी, तब इसे साइंस फिक्शन बताया गया। अन्तिम नामकरण के दौरान  'कालचक्र' नाम पर भी विचार किया गया और अन्ततः 'कल्कि 2898 एडी' के नाम से प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शन के दौरान इसे साइंस मिथ फिक्शन बताया गया। पूर्व के नाम और विषय-वस्तु से मिथ कम्बीनेशन का पता नहीं चलता था। नयनन आगे कहते हैं कि अपनी गोपनीयता को बचाये रखने के लिए इन्होंने पहला ट्रेलर जो साइंस बेस्ड था,  उसे तो पहले जारी किया मगर दूसरा ट्रेलर काफी देर से फिल्म रिलीज से मात्र 6 दिन पूर्व 21 जून 2024 को जारी किया। 

     वैजयंती मूवीज द्वारा ऑफिशियल न्यूज जारी नहीं होने के कारण अमित कुमार नयनन पहले कोई कारण बताओ नोटिस वगैरह नहीं भेज पाए मगर वैजयंती मूवीज के प्रथम ट्रेलर रिलीज के बाद 7 जून 2024 को वैजयंती मूवीज को लीगल नोटिस भेजा। फिल्म प्रदर्शन तथा उस के बाद भी कुछ दिनों तक उत्तर का इंतजार किया मगर कोई उतर न आने के बाद 11 जुलाई 2024 को पटना सिविल कोर्ट में टीएस 298/24 मुकदमा दायर किया। 

     

सोमवार, 24 जून 2024

25 जून : आपातकाल के ५० साल / June 25 : Emergency ' Golden Jubilee', The Murder of Democracy

 

इन्दिरा गाँधी और लाल कृष्ण आडवाणी 



-शीतांशु कुमार सहाय

     भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी को जब 12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राजनारायण की चुनाव संबंधी याचिका पर फैसला सुनाया कि चुनाव संबंधी भ्रष्टाचार के लिए वह दोषी हैं तब उन की लोकसभा की सदस्यता समाप्त हो गयी। इंदिरा गाँधी ने इस फ़ैसले को मानने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की घोषणा की और 26 जून को आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी गई। पूरे देश में लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) सहित तमाम जागरूक लोग ने 25 जून 1975 को इंदिरा गाँधी के इस्तीफे की माँग को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान की सभा में हिस्सा लिया। जेपी ने तालियों के बीच रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियाँ ‘‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’’ का उद्बोधन किया। 25 जून को ही जेपी ने घोषणा की कि इंदिरा गाँधी को इस्तीफे के लिए मजबूर करने के लिए अहिंसक प्रदर्शन और सत्याग्रह किया जायेगा। जेपी ने सेना और पुलिस को गैर-कानूनी आदेशों का पालन नहीं करने की सलाह दी। जेपी और आम जनता की आवाज तथा माँगों को कुचलने के लिये इंदिरा गाँधी ने 25 जून कीे मध्य रात्रि में बिना मंत्रिमंडल की सलाह के आंतरिक आपातकाल लगाने की प्रस्ताव पर राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद को हस्ताक्षर करने को बाध्य किया। इस के साथ ही कानून की दृष्टि से समानता का अधिकार एवं मौलिक अधिकारों के कार्यान्वयन के लिए न्यायालय में अपील करने के अधिकारों को राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 359 के अंतर्गत निरस्त करने के संबंध में आदेश जारी कर दिया। 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक का 21 मास की अवधि में भारत में आपातकाल घोषित था। 

न्यायालय के आदेश को न मानी इन्दिरा 

      मामला 1971 में हुए लोकसभा चुनाव का था जिस में उन्होंने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी राज नारायण को पराजित किया था लेकिन चुनाव परिणाम आने के चार साल बाद राज नारायण ने हाईकोर्ट में चुनाव परिणाम को चुनौती दी। उन की दलील थी कि रायबरेली से इंदिरा गाँधी ने चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग किया, तय सीमा से अधिक खर्च किए और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए ग़लत तरीकों का इस्तेमाल किया। अदालत ने इन आरोपों को सही ठहराया। इस के बावजूद इंदिरा गाँधी टस-से-मस नहीं हुईं। यहाँ तक कि काँग्रेस पार्टी ने भी बयान जारी कर कहा कि इंदिरा का नेतृत्व पार्टी के लिए अपरिहार्य है। आकाशवाणी पर प्रसारित अपने संदेश में इंदिरा गाँधी ने कहा, "जब से मैं ने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील क़दम उठाए हैं, तभी से मेरे ख़िलाफ़ गहरी साजिश रची जा रही थी।" 

26 जून को आंतरिक आपातकाल की घोषणा

      26 जून 1975 को इंदिरा गाँधी ने देश में आंतरिक आपातकाल की घोषणा कर दी एवं लोकनायक जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, नानाजी देशमुख, जॉर्ज फर्नांडिस, राजनारायण, मधु लिमये और काँग्रेसी युवा तुर्क नेता चन्द्रशेखर, रामधन, कृष्णकांत, मोहन धारिया तथा देश के वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर सहित लाखों विरोधी दल के नेता कार्यकर्ता, सामाजिक संगठन के लोग एवं पत्रकार को जेल में डाल दिया गया। अखबारों पर सेंसरशिप लगा दी गयी। नागरिकों के मूलभूत अधिकारों को स्थगित कर दिया गया। जय प्रकाश नारायण ने अपनी-जेल डायरी में व्यथित हृदय से लिखा था, ’’लोकतंत्र के क्षितिज को विस्तृत करने की बात तो एक ओर रह गयी और मानों लोकतंत्र ही एकाएक काल का ग्रास बन गया।’’ इस प्रकार दुनिया के सब से बड़े लोकतंत्र को तानाशाही में बदल डाला गया। 

लालकृष्ण आडवाणी की आत्मकथा में आपातकाल

      ''8.00 बजे आकाशवाणी से समाचार सुनने के लिए मैंने रेडियो चलाया। मुझे आकाशवाणी समाचारवाचक की परिचित आवाज के स्थान पर इंदिरा गाँधी की ग़मगीन आवाज़ सुनायी दी। यह उन का राष्ट्र के नाम किया जानेवाला अचानक प्रसारण था, इस सूचना के साथ कि राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत आपातकाल घोषित कर दिया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आंतरिक अशांति से निबटने के लिए आपातकाल लागू करना आवश्यक था।''

-लालकृष्ण आडवाणी, 
वरिष्ठ भाजपा नेता एवं 
पूर्व उपप्रधानमंत्री, भारत

(यह वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की आत्मकथा 'मेरा देश मेरा जीवन' से लिया गया है। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का लोकार्पण 25 जून 2015 को भोपाल में श्रीश्री रविशंकर ने किया।)

http://sheetanshukumarsahaykaamrit.blogspot.in

बुधवार, 5 जून 2024

Lok Sabha General Elections 2024 FINAL RESULTS

ranslate text with your camera


  BJP leader and Prime Minister Narendra Modi got the mandate to become the Prime Minister for the third consecutive time. Counting of votes took place on 4 June 2024 and in the evening he thanked and addressed the public after the result of Lok Sabha General Election 2024 came in favour.
RESULTS :-

1) Bhartiya Janata Party (BJP) :- 240

2) Indian National Congress (INC) :- 99

3) Samajwadi Party (SP) :- 37

4) All India Trinamool Congress (AITC) :- 29

5) Dravida Munnetra Kazhagam (DMK) :- 22

6) Telugu Desam (TDP) :- 16

7) Janata Dal (United) JD(U) :- 12

8) Shiv Sena (Uddhav Balasaheb Thackrey) (SHSUBT) :- 9

9) Nationalist Congress Party Sharadchandra Pawar (NCPSP) :- 8

10) Shiv Sena (SHS) :- 7

11) Lok Janshakti Party (Ram Vilas) (LJPRV) :- 5

12) Yuvajana Sramika Rythu Congress Party (YSRCP) :- 4

13) Rashtriya Janata Dal (RJD) :- 4

14) Communist Party of India (Marxist) CPI(M) :- 4

15) Indian Union Muslim League (IUML) :- 3

16) Aam Aadmi Party (AAP) :- 3

17) Jharkhand Mukti Morcha (JMM) :- 3

18) Janasena Party (JSP) :- 2

19) Communist Party of India (Marxist-Leninist) (Liberation) CPI(ML)(L) :- 2

20) Janata Dal (Secular) JD(S) :- 2

21) Viduthalai Chiruthaigal Katchi (VCK) :- 2

22) Communist Party of India CPI :- 2

23) Rashtriya Lok Dal (RLD) :- 2

24) Jammu & Kashmir National Conference (JKN) :- 2

25) United People’s Party Liberal (UPPL) :- 1

26) Asom Gana Parishad (AGP) :- 1

27) Hindustani Awam Morcha (Secular) (HAMS) :- 1

28) Kerala Congress (KEC) :- 1

29) Revolutionary Socialist Party (RSP) :- 1

30) Nationalist Congress Party (NCP) :- 1

31) Voice of the People Party (VOTPP) :- 1

32) Zoram People’s Movement (ZPM) :- 1

33) Shiromani Akali Dal (SAD) :- 1

34) Rashtriya Loktantrik Party (RLTP) :- 1

35) Bharat Adivasi Party (BAP) :- 1

36) Sikkim Krantikari Morcha (SKM) :- 1

37) Marumalarchi Dravida Munnetra Kazhagam (MDMK) :- 1

38) Aazad Samaj Party (Kanshi Ram) (ASPKR) :- 1

39) Apna Dal (Soneylal) (ADAL) :- 1

40) AJSU Party (AJSUP) :- 1

41) All India Majlis-E-Ittehadul Muslimeen (AIMIM) :- 1

42) Independent :- 7

Total :- 543

गुरुवार, 4 अप्रैल 2024

जीवन के घटनाक्रमों को समझना आवश्यक Necessary To Understand The Events Of Life



-शीतांशु कुमार सहाय 

      कृपया समय निकालकर पूरा पढ़ें और कुछ समझ में आये तभी लाइक या कमेण्ट करें। जब आप इसे पूरा पढ़ेंगे, तो कुछ मेरे बारे में और बहुत-सी बातें अपने सन्दर्भ में समझ पायेंगे। हड़बड़ाहट में नहीं, समझ-समझकर पढ़िये....

      अगर आप का जीवन ख़ुशहाल है, भौतिक रूप से साधनसम्पन्न है, तो भी उस की सीमा निर्धारित है। वास्तव में प्रकृति में कुछ भी स्थिर और अनन्त नहीं है; क्योंकि प्रकृति ही स्थिर और अनन्त नहीं है। सब कुछ प्रतिक्षण बदल रहे हैं। किसी वस्तु या घटना की निरन्तरता सृष्टि के लिए उचित नहीं है और जब मनुष्य अपनी हठधर्मिता से कृत्रिम निरन्तरता जारी रखने का प्रयास करता है तो अनर्थ हो जाता है। मीठे भोजन की निरंतरता मधुमेह, तो नमकीन की निरन्तरता उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है। ऐसे कई उदाहरण आप इस विश्व में देख सकते हैं। 

      एक बार की बात है बलराम और श्रीकृष्ण को मथुरा छोड़ना पड़ा था और जंगल में भटकना पड़ रहा था। उन के पास पर्याप्त भोजन और आराम का समय भी नहीं था। तब बलरामजी ने श्रीकृष्ण से प्रश्न किया- "हमारे साथ ये सब क्यों हो रहा है, जबकि तुम मेरे साथ हो?" 

      भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया, "जब जीवन आप के साथ बहुत अच्छी तरह घटित होता है, तो आप शिकायत नहीं करते। जब आप कुछ विशेष स्थितियों को अच्छा और शेष को बुरा मानते हैं या कुछ स्थितियों को मनचाहा और बाकी को अवांछित मानते हैं। क्या उस समय आप स्वयं से पूछते हैं कि आप के साथ ये सब क्यों हो रहे हैं?" 

      द्वापर युग के इन दो भाइयों ने अपनी लौकिक लीला के इस वार्तालाप में जीवन का गूढ़ रहस्य समझाया है। हालाँकि यह वार्तालाप और लम्बी है, तथापि यहाँ आलोच्य सन्दर्भ में उस अपूर्व वार्तालाप का इतना ही अंश पर्याप्त है। 

      वास्तव में आप जीवन को केवल जीवन के रूप में नहीं देखते। जैसे ही आप आध्यात्मिकता में कदम रखते हैं, जीवन आप के साथ ज़बर्दस्त तरीके से घटित होता है। मतलब यह कि सब कुछ तेजी से घटित होता हुआ, भागता हुआ प्रतीत होता है। अगर आप किसी वस्तु की पहचान अच्छा या बुरा के रूप में नहीं करते, तो आप देखेंगे कि जीवन अत्यन्त तीव्रता से घटित हो रहा है। अच्छी या बुरी जैसी श्रेणी केवल आप बनाते हैं। सच तो यह है कि न कुछ अच्छी है और न कुछ बुरी, केवल जीवन घटित होता है। कुछ लोग उस का आनन्द उठाते हैं, कुछ लोग उसे झेलते हैं। हम बस इस बात का ध्यान रख सकते हैं कि हर कोई इस का आनन्द उठाये। मूलभूत स्तर के दृष्टिकोण से देखें तो इस धरती पर होनेवाली घटनाएँ कोई महत्त्व नहीं रखतीं। मैं चाहता हूँ कि आप अच्छे और बुरे की पहचान के बिना अपने जीवन की ओर देखें। जीवन अत्यन्त तीव्रता से घटित हो रहा है।

      परमसत्ता, जिसे भगवान कहते हैं, ईश्वर कहते हैं। वह परमसत्ता दीखती नहीं लेकिन उस के कई रूप दिखायी देते हैं। प्रकृति उसी सत्ता का दृश्यमान रूप है। प्रकृति के अन्तर्गत ही जीवन और घटनाएँ दिखायी देती हैं। 

      अगर आप आध्यात्मिकता की ओर मुड़ना चाहते हैं, तो इस का मतलब है कि प्राकृतिक रूप से आप जीवन के एक बड़े अंश की चाह करते हैं। इसे यों समझें कि जीवन में जिस वस्तु को भी पाने का प्रयास करते हैं, वह जीवन का एक बड़ा हिस्सा पाने की कोशिश होती है। 

      जिस के पास कार नहीं होती, उसे लगता है कि कार वाले लोग बड़े ख़ुशकिस्मत होते हैं। कार निश्चित रूप से आरामदेह और सुविधाजनक होती है, मगर वह कोई ख़ुशकिस्मती नहीं है। अगर विश्व में कारें होती ही नहीं, तो किसी को कार पाने की इच्छा नहीं होती। समस्या यह है कि आप दूसरों से इस तरह अपनी तुलना करते हैं, तो यह विषाद का कारण बन जाता है। अगर जिन के पास कार नहीं है, वे कार वाले से अपनी तुलना न करें, तो उन्हें पैदल चलने या साइकिल चलाने में कोई समस्या नहीं होगी, कोई लज्जा नहीं होगी, किसी प्रकार का दुःख नहीं होगा।

      मैं अस्तित्व के रूप में जीवन की बात कर रहा हूँ। अभी, आप बहुत-सी ऐसी चीजों या घटनाओं को जीवन मानते हैं, जिन का वास्तव में जीवन की वास्तविकता से कोई वास्ता नहीं है। ऐसी तुलना या ऐसा सोच केवल एक विकृत मानसिक अवस्था है। कई दुःख केवल इसी कारण होते हैं। 

      जब आध्यात्मिक रास्ते पर चलते हैं, तो आन्तरिक स्थितियाँ बहुत तेज गति से परिवर्तित होती हैं। इस के कई कारण हैं। एक मूलभूत कारण प्रारब्ध है। इस जीवन के लिए जो कर्म मिले हैं, उसे ही प्रारब्ध कहते हैं। 

      सृष्टि बहुत करुणामयी है। अगर वह इसी जीवन में आप के सारे कर्म दे देती, जिसे संचित कर्म कहते हैं, तो आप मर जाते। बहुत लोग इसी जीवन की स्मृतियों को नहीं झटक पाते। मान लीजिये कि मैं आप को गहरी तीव्रता में आप के सौ जीवनकालों की याद दिला दूँ, तो अधिकतर लोग उस स्मृति का बोझ न सह पाने पर तुरंत प्राण त्याग देंगे। इसलिए, सृष्टि और प्रकृति आप को उतना प्रारब्ध देती है, जितना आप संभाल सकें। अगर आप प्रकृति द्वारा सौंपे गये कर्मों पर ही चलें और आप कोई नया कर्म उत्पन्न नहीं करते– जो संभव नहीं है, तो सौ जन्मों के कर्मों को नष्ट करने के लिए, आप को कम-से-कम सौ और जन्म लेने पड़ेंगे। इन सौ जीवनकालों की प्रक्रिया में हो सकता है कि आप और हज़ार जीवनकालों के लिए कर्म इकट्ठा लें।

      जब कोई आध्यात्मिक पथ पर होता है, तो वह अपने गंतव्य यानी मुक्ति पर पहुँचने की हड़बड़ी में होता है।  वह सौ या हज़ार जीवनकाल नहीं लेना चाहता, वह जल्दी अपने लक्ष्य को पा लेना चाहता है। अगर विशेष रूप में दीक्षा दी जाय, तो मुक्ति के आयाम खुलते हैं जो अन्यथा नहीं खुलते। अगर आप आध्यात्मिक रास्ते पर नहीं होते, तो हो सकता है कि आप अधिक आरामदेह और शांतिपूर्ण जीवन बिता रहे होते, मगर साथ ही एक निर्जीव जीवन भी जी रहे होते। जब आप के साथ कोई मूलभूत चीज घटित नहीं होती, तो आप जीवन से अधिक मृत्यु के निकट होते हैं। 

      आध्यात्मिक प्रक्रिया में प्रवेश का मतलब है, जीवन को वास्तविक रूप से अनुभव करने की इच्छा रखना। जहाँ तक दशकों में नहीं पहुँचा जा सकता, आध्यात्मिकता से वहाँ कुछ दिनों में पहुँचा जा सकता है। यह केवल कहने की बात नहीं है, यह जीवन की सच्चाई है। भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में यही समझाया है। 

      आध्यात्मिक व्यक्ति किसी घटना को अच्छा या बुरा नहीं मानता, उस का सरोकार केवल इस बात से होता है कि जीवन उस के लिए कितनी तीव्रता से घटित हो रहा है। अच्छाई और बुराई समाज से जुड़ी होती है, उन का जीवन से कोई लेना-देना नहीं। अगर आप गुरु प्रदत्त साधना करते हैं, तो आप अपने प्रारब्ध तक सीमित नहीं रहते। गुरु आप की स्थिति के अनुसार ही आप के कालचक्र को तेज करते हैं। दस जीवन के कर्मों को संभालना है तो जीवन की गति संसार से थोड़ी तेज होगी लेकिन अगर सौ जीवनकालों के कर्मों को अभी संभालना है, तो निश्चय ही जीवन बहुत तीव्रता से घटित होगा। ऐसे में संतुलन बनाये रखना बहुत आवश्यक होता है। इस दौरान यदि सामाजिक स्थितियों के असर में आकर किसी से अपनी तुलना करने लगे, तो जीवन जिस गति से घटित होता है, उस से यह लग सकता है कि जीवन में कुछ गड़बड़ है लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता।

      अगर आप आध्यात्मिक होना चाहते हैं, तो इस का मतलब है कि आप अभी जैसे हैं, उस में परिवर्तन चाहते हैं, चरम प्रकृति को अर्थात् परमसत्ता को पाना चाहते हैं, आप असीमित होना चाहते हैं, आप मुक्ति चाहते हैं। इस चाहत को पूरा करने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता है। साधना के माध्यम से गुरु आप में इस ऊर्जा की पूर्ति करते हैं। अत्यधिक ऊर्जा के कारण ही जीवन तेज गति से, ज़बर्दस्त गति से घटित होता है।

      इतने शब्दों को लिखने का एक ही मतलब है कि जीवन के घटनाक्रमों को समझना आवश्यक है। अगर जीवन में भौतिक दु:खों की बारम्बारता बनी हुई है तो समझना चाहिए कि आप को ईश्वर की निकटता शीघ्र मिलेगी। इस के लिए आडम्बर और प्रचार से दूर रहनेवाले एक गुरु की खोज कीजिये। 

      कृष्णं वन्दे जगद्गुगुरुम्।

शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2023

मोबाइल (दूरभाष) का पूरा नाम क्या है Full Form Of Mobile (Phone)

 -शीतांशु कुमार सहाय 

    मोबाइल की फुल फॉर्म "मॉडिफाइड ऑपरेशन बाइट इंटिग्रेशन लिमिटेड एनर्जी" (Modified Operation Byte Integration Limited Energy) है। जी हाँ, इतना लम्बा नाम ही है उस डिवाइस का जो आप के हाथ में रहती है।

गुरुवार, 5 अक्टूबर 2023

अकिलीज़ का योग में महत्त्वपूर्ण भूमिका Important Role Of Achillies In Yoga

 


-शीतांशु कुमार सहाय
 

      बायीं एँड़ी के ऊपर एक स्थान पर 'अकिलीज़' (Achilles) होता है। इस का पूरा नाम अकिलीज़ टेण्डन (Achilles tendon) है। इस पर दबाव बनाने से मस्तिष्क शान्त होता है। इस का स्पर्श यदि मूलाधार से हो तो अपूर्व लाभ होता है। इसलिए योगी बैठते समय पहले बायाँ पैर मोड़कर एँड़ी को गुदामार्ग पर लगाते हैं तो अकिलीज़ स्वतः मूलाधार से स्पर्श होने लगता है। इस के उपरान्त दायाँ पैर मोड़ते हैं।  

     हालाँकि दोनों पैरों की एँड़ियों के ऊपर अकिलीज़ होता है लेकिन बायीं अकिलीज़ का योग में महत्त्वपूर्ण भूमिका है।  

      Achilles tendon ऊत्तकों का मजबूत जोड़ है जो पिण्डली की मांसपेशियों को एँड़ी की हड्डियों से जोड़ता है। जब यह जोड़ टूट जाता है या फट जाता है, तो इसे Achilles tendon टूटना के रूप में जाना जाता है। यह घटना अधिकतर खिलाड़ियों, जिम में अधिक व्यायाम करनेवालों, अधिक दौड़ने से या तेज गति से यहाँ-वहाँ भागकर कार्य करनेवालों के साथ घटती है। 

      नियमित योग करने से अकिलीज़ टेण्डन के टूटने या फटने की घटना नहीं होती। सामान्य विज्ञान या चिकित्सा विज्ञान से बहुत ऊपर का विज्ञान है योग। आप भी ऊपर बताये गये स्थिति में बैठकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।