गुरुवार, 18 मार्च 2021

न्यूज पोर्टल, ऑनलाइन कंटेंट व ऑनलाइन फिल्मों पर भारत सरकार की नज़र New Law on News Portal, Online Content & Online Movies in India

    हाल के दिनों में इंटरनेट (Internet) पर कई विवादित सामग्रियों के चलते सामाजिक सौहार्द बिगड़े और धार्मिक-राजनीतिक विवाद भी हुए। इसलिए भारत सरकार ने इंटरनेट पर परोसी जानेवाली सामग्रियों पर नकेल कसने के लिए कानून का सहारा लेना उचित समझा और नवम्बर २०२० में नया कानून बनाया गया जिस का अब असर देखने लगा है। 

    भारत में प्रिंट मीडिया का ख्याल प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया रखता है, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) समाचार चैनलों की निगरानी करता है, विज्ञापन के लिए एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया है जबकि फिल्मों को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) प्रमाण पत्र देता है। इन से इतर वर्तमान में डिजिटल सामग्री को नियंत्रित करनेवाला कोई कानून या स्वायत्त निकाय भारत में नहीं है।

    ऑनलाइन मीडिया को रेगुलेट करने को लेकर भारत सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है। देशभर में चलनेवाले ऑनलाइन न्यूज पोर्टल, ऑनलाइन कंटेंट प्रोग्राम और ऑनलाइन धारावाहिक और फिल्में अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत आयेंगे। बुधवार, ११ नवम्बर २०२० को भारत सरकार ने ऑनलाइन न्यूज पोर्टलों, ऑनलाइन कंटेंट प्रोवाइडर्स को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत लाने की अधिसूचना जारी की। इस का मतलब हुआ कि अब अमेजन और नेटफ्लिक्स जैसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को सूचना और प्रसारण मंत्रालय रेगुलेट करेगा।

    राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा हस्ताक्षरित इस अधिसूचना में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद ७७ के खंड तीन में निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए भारत सरकार ने (कार्य आबंटन) नियमावली, १९६१ को संशोधित करते हुए यह फैसला किया है। अधिसूचना के साथ ही यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया। इसके साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध फिल्म, दृश्य-श्रव्य और समाचार व समसामयिक विषयों से संबंधित सामग्रियों की नीतियों के विनियमन का अधिकार मिल गया है। अधिसूचना के मुताबिक, इन नियमों को भारत सरकार (कार्य आवण्टन) ३५७वाँ संशोधन नियमावली, २०२० कहा जाएगा। ये एक ही बार में लागू होंगे।'

    केन्द्रीय मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि भारत सरकार ने ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध समाचार, करंट अफेयर्स सामग्री को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में लाने का फैसला लिया है। यह निश्चय ही सराहनीय कदम है।

शनिवार, 13 मार्च 2021

मंगल-पाठ Mangal-Paath


-शीतांशु कुमार सहाय

इस जगत में, उस जगत में, सर्वत्र मंगल छा जाय।

हो अमंगल नहीं किसी का, ज्ञान-मंगल मिल जाय।।

जिस गुरुदेव ने धर्म दिया है, उन का मंगल होय रे।

ज्ञान-मार्ग पर चलना सिखाया, गुरु का मंगल होय रे।

जिस जननी ने जन्म दिया है, उस का मंगल होय रे।

पाला-पोसा और बढ़ाया, उस पिता का मंगल होय रे।

इस जगत में, उस जगत में, सर्वत्र मंगल छा जाय।

हो अमंगल नहीं किसी का, ज्ञान-मंगल मिल जाय।।

तेरा मंगल, इन का मंगल, उन का मंगल होय रे।

सब का मंगल, सब का मंगल, सब का मंगल होय रे।

इस जगत के सब दुखियारे प्राणी का मंगल होय रे।

जल में, थल में और गगन में सब का मंगल होय रे।

इस जगत में, उस जगत में, सर्वत्र मंगल छा जाय।

हो अमंगल नहीं किसी का, ज्ञान-मंगल मिल जाय।।

अन्तर्मन की गाँठें खुले, तन-मन निर्मल होय रे।

राग-द्वेष-मद-मोह मिट जाय, भ्रान्ति न रह पाय रे।

धर्म-कर्म का राज बढ़े और पाप पराजित होय रे।

इस वसुधा के सब कोने में, सदाचार लहराये रे।

इस जगत में, उस जगत में, सर्वत्र मंगल छा जाय।

हो अमंगल नहीं किसी का, ज्ञान-मंगल मिल जाय।।

तेरा मंगल, मेरा मंगल, सब का मंगल होय रे।

न अमंगल हो किसी का, सब का मंगल होय रे।

घर में मंगल, बाहर मंगल, चहुँओर मंगल होय रे।

शुद्ध धर्म जन-जन में जागे, घर-घर शान्ति समाय रे।

इस जगत में, उस जगत में, सर्वत्र मंगल छा जाय।

हो अमंगल नहीं किसी का, ज्ञान-मंगल मिल जाय।।

(सर्वाधिकार सुरक्षित)

गुर्वष्टकम् Gurwashtakam इन श्लोकों में छिपी है गुरु की महिमा


प्रस्तोता : गुरुपादकिंकर शीतांशु कुमार सहाय


शरीरं सुरूपं तथा वा कलत्रं यशश्चारु चित्रं धनं मेरुतुल्यम्।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।१।।


शरीर रूपवान हो, पत्नी भी रूपसी हो और सत्कीर्ति चारों दिशाओं में विस्तारित हो, मेरु पर्वत के तुल्य अपार धन हो, किन्तु गुरु के श्रीचरणों में यदि मन आसक्त न हो, तो इन सारी उपलब्धियों से क्या लाभ?


कलत्रं धनं पुत्रपौत्रादि सर्व्वं गृहं बान्धवाः सर्वमेतद्धि जातम्।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।२।।


सुन्दरी पत्नी, धन, पुत्र, पौत्र, घर और स्वजन आदि प्रारब्ध से सर्वसुलभ हों, किन्तु गुरु के श्रीचरणों में मन की आसक्ति न हो, तो इस प्रारब्ध-सुख से क्या लाभ?


षडङ्गादिवेदो मुखे शास्त्रविद्या कवित्वादि गद्यं सुपद्यं करोति।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।३।।


वेद और षट्वेदांगादि शास्त्र जिसे कण्ठस्थ हों, जिस में सुन्दर काव्य-निर्माण की प्रतिभा हो, किन्तु उस का मन यदि गुरु के श्रीचरणों के प्रति आसक्त न हो, तो इन सद्गुणों से क्या लाभ?


विदेशेषु मान्यः स्वदेशेषु धन्यः सदाचारवृत्तेषु मत्तो न चान्यः।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।४।।


जिसे विदेश में आदर मिलता हो, अपने देश में जिस का नित्य स्वागत किया जाता हो और जो सदाचार-पालन में भी अनन्य स्थान रखता हो, यदि उस का भी मन गुरु के श्रीचरणों के प्रति अनासक्त हो, तो इन सद्गुणों से क्या लाभ?


क्षमामण्डले भूपभूपालवृन्दैः सदा सेवितं यस्य पादारविन्दम्।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।५।।


जिन महानुभाव के चरणकमल पृथ्वीमण्डल के राजा-महाराजाओं से नित्य पूजित रहा करते हों, किन्तु उन का मन यदि गुरु के श्रीचरणों में आसक्त न हो, तो इस सद्भाग्य से क्या लाभ?


यशो मे गतं दिक्षु दानप्रतापाद् जगद्वस्तु सर्व्वं करे सत्प्रसादात्।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।६।।


दानवृत्ति के प्रताप से जिन की कीर्ति जगत में व्याप्त हो, अति उदार गुरु की सहज कृपादृष्टि से जिन्हें संसार के सारे सुख-ऐश्वर्य हस्तगत हों, किन्तु उन का मन यदि गुरु के श्रीचरणों में आसक्तिभाव न रखता हो, तो इन सारे ऐश्वर्यों से क्या लाभ?


न भोगे न योगे न वा वाजिराज्ये न कान्तासुखे नैव वित्तेषु चित्तम्।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं तः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।७।।


जिस का मन भोग, योग, अश्व, राज्य, धनोपभोग और स्त्री-सुख से कभी विचलित न हुआ हो, फिर भी गुरु के श्रीचरणों के प्रति आसक्त न बन पाया हो, तो इस मन की अटलता से क्या लाभ?


अरण्ये न वा स्वस्य गेहे न कार्य्ये न देहे मनो वर्तते मेऽत्यनर्थैः।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।८।।


जिस का मन वन या अपने विशाल भवन में, अपने कार्य या शरीर में तथा अमूल्य भण्डार में आसक्त न हो, पर गुरु के श्रीचरणों में भी यदि वह मन आसक्त न हो पाये, तो उस की सारी अनासक्तियों का क्या लाभ?


अनर्घ्याणि रत्नानि मुक्तानि सम्यक् समालिङ्गिता कामिनी यामिनीषु।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।९।।


अमूल्य मणि-मुक्तादि रत्न उपलब्ध हों, रात्रि में समलिंगिता विलासिनी पत्नी भी प्राप्त हो, फिर भी मन गुरु के श्रीचरणों के प्रति आसक्त न बन पाये, तो इन सारे ऐश्वर्य-भोगादि सुखों से क्या लाभ?


गुरोरष्टकं यः पठेत् पुण्यदेही तिर्भूपतिर्ब्रह्मचारी च गेही।

लभेद्वाञ्छितार्थं पदं ब्रह्मसंज्ञं गुरोरुक्तवाक्ये मनो यस्य लग्नम्।।१०।।


गुरु के वचन में मन से प्रीति रखनेवाले जो यती, राजा, ब्रह्मचारी और गृहस्थ इस गुरु अष्टक का पाठ करते हैं, वे पुण्यशाली शरीरधारी वाञ्छित फल व ब्रह्मपद को प्राप्त कर लेते हैं।

ज़रूर जानिये राहुकाल का रहस्य Know About Rahukaal & Timing

-शीतांशु कुमार सहाय   
    सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के समय में से आठवें भाग का स्वामी राहु है, जिसे 'राहुकाल' कहते हैं। यह प्रत्येक दिन ९० मिनट का होता है। भारतीय शास्त्रों में राहुकाल को अशुभ माना गया है। इस काल में आरम्भ किये गये कार्यों में सफलता के लिए अत्यधिक प्रयास करने पड़ते हैं, अकारण समस्याएँ आती हैं या कार्य पूरे नहीं हो पाते। राहुकाल में किये गये कार्य विपरीत व अनिष्ट फल प्रदान करते हैं। इस काल में कोई शुभ कार्य आरम्भ नहीं करना चाहिये। राहु को छाया ग्रह माना गया है। यह ग्रह अशुभ फल प्रदान करता है। इसलिए राहुकाल भी अशुभ फल देता है।  
    राहुकाल का विशेष प्रभाव रविवार, मंगलवार और शनिवार को होता है। अन्य दिनों में राहुकाल का प्रभाव कम होता है।
    राहुकाल का समय किसी स्थान के सूर्योदय व वार पर निर्भर करता हैं। सरलता के लिए सूर्योदय को यदि ६ बजे का माना जाय तो प्रत्येक वार के लिए राहुकाल इस तरह होगा-
रविवार : 
सायं ४:३० से ६:०० बजे तक।
सोमवार : 
प्रात:काल ७:३० से ९:०० बजे तक।
मंगलवार : 
अपराह्न ३:०० से ४:३० बजे तक।
बुधवार : 
दोपहर १२:०० से १:३० बजे तक।
बृहस्पतिवार : 
दोपहर १:३० से ३:०० बजे तक।
शुक्रवार : 
प्रात:१०:३० से दोपहर १२:०० तक।
शनिवार : 
प्रात: ९:०० से १०:३० बजे तक।

शनिवार, 6 मार्च 2021

इस विश्वविख्यात शिव मन्दिर के शीर्ष पर त्रिशूल नहीं होता There is No Trident on the Top of This World Famous Shiva Temple



वैद्यनाथधाम
-शीतांशु कुमार सहाय

    आम तौर पर शिवमन्दिरों के शीर्ष पर त्रिशूूल लगाये जाते हैं। पर, संसार में एकमात्र शिवमंदिर भारत के झारखण्ड राज्य के देवघर नगर में है। यह शिवमन्दिर विश्वविख्यात है। यहाँ वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। इस वैद्यनाथ मन्दिर के शीर्ष पर त्रिशूल न होकर पंचशूल है।  

    भारत के १२ ज्योतिर्लिंगों में झारखण्ड के देवघर जिले में स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग शामिल है। विश्व के सभी शिव मंदिरों के शीर्ष पर त्रिशूल लगा दीखता है मगर वैद्यनाथधाम परिसर के शिव, पार्वती, लक्ष्मी-नारायण व अन्य सभी मंदिरों के शीर्ष पर पंचशूल लगे हैं।

पंचशूल की पूजा
    कहा जाता है कि रावण पंचशूल से ही अपने राज्य लंका की सुरक्षा करता था। चूँकि वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को लंका ले जाने के लिए कैलाश से रावण ही लेकर आया था पर विणाता को कुछ और ही मंजूर था। ज्योतिर्लिंग ले जाने की शर्त्त यह थी कि बीच में इसे कहीं नहीं रखना है मगर दैव योग से रावण को लघुशंका का तीव्र वेग असहनशील हो गया और वह ज्योतिर्लिंग को भगवान के बदले हुए चरवाहे के रूप को ज्योतिर्लिंग देकर लघुशंका करने लगा। वह चरवाहा ज्योतिर्लिंग को जमीन पर रख दिया। इस तरह चरवाहे के नाम वैद्यनाथ पर वैद्यनाथधाम का निर्माण हुआ।

    यहाँ प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि से २ दिनों पूर्व बाबा मंदिर, माँ पार्वती व लक्ष्मी-नारायण के मंदिरों से पंचशूल उतारे जाते हैं। इस दौरान पंचशूल को स्पर्श करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। जैसा कि नीचे के चित्रों में आप को दिखाई पड़ेगा--

पंचशूल को स्पर्श करने के लिए भक्तों की भीड़

    वैद्यनाथधाम परिसर में स्थित अन्य मंदिरों के शीर्ष पर स्थित पंचशूलों को महाशिवरात्रि के कुछ दिनों पूर्व ही उतार लिया जाता है। सभी पंचशूलों को नीचे लाकर महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व विशेष रूप से उन की पूजा की जाती है और तब सभी पंचशूलों को मंदिरों पर यथा स्थान स्थापित कर दिया जाता है। इस दौरान बाबा व पार्वती मंदिरों के गठबंधन को हटा दिया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन नया गठबंधन किया जाता है। गठबंधन के लाल पवित्र कपड़े को प्राप्त करने के लिए भी भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

    महाशिवरात्रि के दौरान बहुत-से श्रद्धालु सुल्तानगंज से काँवर में गंगाजल भरकर १०५ किलोमीटर पैदल चलकर और ‘बोल बम’ का जयघोष करते हुए वैद्यनाथधाम पहुँचते हैं।

बुधवार, 10 फ़रवरी 2021

दस उपायों से सफल जीवन का आनन्द पायें Enjoy Successful Life With Ten Measures

 -शीतांशु कुमार सहाय

    आनन्द एक ऐसा शब्द है जिस का विपरीतार्थक शब्द नहीं होता। आनन्द की प्राप्ति ही जीवन का उद्देश्य है। जीवन में आनन्द की अनुभूति के उपाय कई ग्रन्थों में बताये गये हैं। यहाँ मैं ‘श्रीमद्देवीभागवत पुराण’ की चर्चा कर रहा हूँ। इस ग्रन्थ में आदिशक्ति ने अपने दुर्गा अवतार के दौरान बताया है कि मनुष्य किस प्रकार दस उपायों के सहारे जीवन को आनन्दपूर्ण बना सकता है। सफल जीवन का आनन्द लेने के लिए आप भी नीचे बताये गये दस उपायों पर अमल करें और इस सम्बन्ध में अपने मित्रों-रिश्तदारों को भी बतायें।    

तपः सन्तोष आस्तिक्यं दानं देवस्य पूजनम्।
सिद्धान्तश्रवणं चैव ह्रीर्मतिश्च जपो हुतम्।।

    श्रीमद्देवीभागवत पुराण के उपर्युक्त श्लोक में भगवती दुर्गा ने समझाया है कि तप, सन्तोष, आस्तिकता, दान, देवपूजन, शास्त्र के सिद्धान्तों को सुनना, लज्जा, सद्बुद्धि, जप और हवन करने से सहज ही जीवन को आनन्दपूर्ण बनाया जा सकता है।

    अब इन दस बिन्दुओं को संक्षेप में समझते हैं-     

    १. तप- परिश्रम को तप कहते हैं। आत्मप्रगति के लिए किया गया वैसा परिश्रम जिस से किसी को हानि न हो, मन शान्त और इच्छाएँ सीमित होने लगें, उसे ही तप या तपस्या कहा जाता है। योग की भाषा में इसे ध्यान कहते हैं। तप या ध्यान से जहाँ मन शान्त होता है, वहीं कई लौकिक और अलौकिक लाभ होते हैं। ध्यान से मन एकाग्र होता है, केन्द्रित हो जाता है। इस कारण किसी भी विषय को समझने और जटिल मुद्दों को सुलझाने में सहायता मिलती है। कई मानसिक और शारीरिक रोगों का भी नाश तप यानी ध्यान से सम्भव है। मन के शान्त, एकाग्र और केन्द्रित होने से जीवन की प्रत्येक समस्या का समाधान आसानी से निकाला जा सकता है। 

    २. सन्तोष- सन्तुष्टि का ही पर्याय है सन्तोष। जिस के पास सन्तोष है, उसे सन्तोषी कहा जाता है। आप भी सन्तोषी बनेंगे तो जीवन आनन्दपूर्ण होने लगेगा। तप यानी ध्यान से जब मन शान्त होने लगता है, तब सन्तोष का फल प्राप्त होना आरम्भ होता है। यह सर्वविदित है कि इच्छाएँ अनन्त हैं। प्रत्येक इच्छा को पूरा कर पाना सम्भव नहीं है। जब इच्छाएँ पूरी नहीं होतीं तो दुःख होता है। दुःख की यह स्थिति असन्तोष के कारण उत्पन्न होती है। असन्तोष के कारण मनुष्य लालच और घृणा जैसी कई बुराइयों का शिकार हो जाता है और ग़लत यानी असामाजिक कार्य करने लगता है। इस तरह जीवन कष्टपूर्ण हो जाता है। सन्तोष की भावना मन में रखें और आनन्द का अनुभव करें।

    ३. आस्तिकता- सफल जीवन के लिए आस्तिकता की भावना होना बहुत ही ज़रूरी है। आस्तिकता का सामान्य अर्थ है- गुरु और भगवान के प्रति सम्मान और उन में विश्वास रखना। आनन्दपूर्ण जीवन जीना है तो आप हमेशा गुरु के बताये मार्ग पर चलें और देवी-देवताओं का स्मरण करते रहें, उन की पूजा करंे। अनावश्यक भूखे रहकर गुरु या भगवान की पूजार्चना करना आवश्यक नहीं है। जो ऐसा करते हैं, वे आस्तिकता का ढोंग कर रहे हैं। ऐसा करने से उन्हें पुण्य नहीं मिलेगा; क्योंकि वह भूखा रखकर भगवान के दिये हुए शरीर को अनावश्यक कष्ट पहुँचाते हैं। पूजा या तप के दौरान भूखे व्यक्ति का ध्यान गुरु या भगवान की छवि पर कम और भोजन पर ज़्यादा होता है। इस कारण भी वह पुण्य का भागीदार नहीं होता। इसलिए आस्तिकता की प्रक्रिया को निभाने के दौरान भगवान विष्णु के नौवें अवतार भगवान बुद्ध के बताये मध्यम मार्ग का ही अनुसरण कीजिये।  

    ४. दान- भौतिक या अभौतिक वस्तुओं का दान देने का विधान धर्म में है। भोजन, वस्त्र, आवास या सुख-सुविधाओं की वस्तुओं के दान भौतिक दान की श्रेणी में हैं। गुरु द्वारा दिया गया ज्ञान, किसी को पढ़ाना, ज्ञान की बात सिखाने और रहस्य समझाने जैसी घटनाएँ अभौतिक दान हैं। किसी को दी गयी वस्तु के बदले में यदि द्रव्य या शुल्क लिये जायें तो वह दान की श्रेणी में नहीं आता। ग्रन्थों में कहा गया है कि अगर दायें हाथ से दान दिये जायें तो बायें हाथ को भी पता न चले, मतलब यह कि दान का कदापि प्रचार नहीं करना चाहिये। जो अपने का दानवीर के रूप में प्रचारित करते हैं, उन्हें दान का पुण्य प्राप्त नहीं होता। वास्तव में दान करने से पुण्य मिलता है और ग्रहों के दोष भी दूर होते हैं।

    ५. देवपूजन- आदिशक्ति अर्थात् भगवान ने अपने को कई देवी-देवताओं के रूप में व्यक्त किया है। सृष्टि के अलग-अलग कार्यों के संचालन के लिए उन्होंने अलग-अलग रूप धारण किये जिन्हें देव या देवी के कई नामों से जाना जाता है। भगवान ने श्रीमद्भगवद्गीता’ में स्पष्ट कहा है कि देवताओं या देवियों के रूप में भी लोग उन्हें ही पूजते हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट हुआ कि सभी देवी-देवता एक ही हैं, केवल नाम अलग हैं। देवपूजन से पारिवारिक सुख-शान्ति के साथ पुण्य की प्राप्ति होती है। पर, आनन्दपूर्ण जीवन के लिए इच्छापूर्ति या कामनाओं की सिद्धि के लिए देवपूजन नहीं करना चाहिये। हालाँकि देवपूजन से कामनाओं की पूर्ति होती है मगर निष्काम देवपूजन अधिक फलदायी होता है। 

    ६. शास्त्र के सिद्धान्तों को सुनना- धर्म ग्रन्थों, पुराणों और अन्य शास्त्रों में ज्ञान के भण्डार भरे पड़े हैं। ये ज्ञान जीवन को सार्थक और आनन्दपूर्ण बनाने में सक्षम हैं। इसलिए शास्त्रों का अध्ययन अवश्य करना चाहिये और उन में निहित ज्ञान को आत्मसात् करना चाहिये। अगर पढ़ना सम्भव न हो तो किसी अच्छे जानकार से शास्त्रों के सिद्धान्त सुनकर शास्त्रसम्मत कार्य ही कीजिये और जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस कीजिये। शास्त्रों के नियमों पर चलने से दुःख दूर होते हैं और जीवन सुखमय बनता है। आधुनिकता में रमे हुए लोग शास्त्रों के सिद्धान्तों को बेकार समझने की भूल कर बैठते हैं जबकि सच यह है कि शास्त्रों की बातें आज भी उतने ही उपयोगी हैं, जितने तब थे। जीवन की कठिनाइयों को दूर करने क उपाय ग्रन्थों में दिये गये हैं। कोरोना काल में पूरे विश्व ने भारतीय ग्रन्थों में दी गयी स्वास्थ्यपरक सिद्धान्तों को आज के सन्दर्भ में भी पूरी तरह सच पाया और उन्हें अपनाकर कोविड-१९ (COVID-19) के संक्रमण से बचे रहे। हाथ मिलाकर अभिवादन करने की आधुनिक रीति को छोड़कर लोग भारतीय ग्रन्थों में दी गयी हाथ जोड़कर प्रणाम या नमस्कार करने की शैली को अपनाया। यही नहीं कहीं बाहर से घर में आने पर हस्तप्रक्षालन (हाथों की सफाई) और पादप्रक्षालन (पैरों की सफाई) के सिद्धान्त को अपनाकर ही पूरे संसार के लोग नोवेल कोरोना विषाणु (Novel Corona Virus) के संक्रमण को रोकने में सक्षम हो पाये। ग्रन्थ की बातों पर अमल करने से पुण्य की भी प्राप्ति होती है।       

    ७. लज्जा- लज्जा व्यापक अर्थ वाला शब्द है- बड़ों से लज्जा, छोटों से लज्जा, कानून से लज्जा, समाज से लज्जा। जीवन को खुशनुमा बनाये रखने के लिए व्यवहार में लज्जा का समावेश होना आवश्यक है। माँ दुर्गा ने समझाया है कि जिस मनुष्य में लज्जा का भाव नहीं होता वह असामाजिक होता है। लज्जाहीन अर्थात् बेशर्म लोग की तुलना पशु से की गयी है जो किसी भी तरह का दुष्कर्म कर सकता है। दुष्कर्मी स्वयं भी अपमानित होता है और परिजनों को भी अपमानित होना पड़ता है। लज्जा या शर्म ही मनुष्य को सही और ग़लत, उचित और अनुचित में फ़र्क करना सिखाती है। अगर आप अपने व्यवहार में लज्जा को शामिल करेंगे तो हर जगह आप की प्रतिष्ठा होगी। 

    ८. सद्बुद्धि- बुद्धि दो प्रकार के होते हैं- सद्बुद्धि और दुर्बुद्धि। जो विकास और सही मार्ग पर ले जाये, वह सद्बुद्धि है और जो ग़लत मार्ग की ओर प्रेरित करे, वह दुर्बुद्धि है। बुद्धि हमारी विचार-शक्ति को प्रभावित करती है। सद्बुद्धि से अच्छा सोच और दुर्बुद्धि से बुरा सोच प्रकट होता है। जैसा सोच होगा, वैसा ही स्वभाव होगा। स्वभाव ही कार्य को प्रभावित करता है। भगवती दुर्गा ने सद्बुद्धि अपनाने का आदेश दिया है। सद्बुद्धि वाला मनुष्य धर्म का पालन करनेवाला होता है और उस की बुद्धि कभी ग़लत कार्य की ओर नहीं जाती। इसलिए हमेशा सद्बुद्धि के अनुसार कार्य करना चाहिये। किसी भी मनुष्य को अच्छा या बुरा उस की बुद्धि ही बनाती है। अच्छा सोच रखनेवाला मनुष्य जीवन में सदैव सफल होता है। बुरे विचारवाले लोग कभी उन्नति नहीं कर पाते। 

    ९. जप- कलियुग में भगवान के नाम का जप अन्य युगों की अपेक्षा अधिक कल्याणकारक बताया गया है। इस कारण पाप कटते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। भगवान के नाम का जप, उन के मन्त्र का जप और उन के गुणों का कीर्तन करने सेे मन के दुर्गुण मिटते हैं, शान्ति मिलती है और विचार शुद्ध होने लगते हैं। इस प्रकार भगवान की कृपा मिलती है और जीवन की बाधाएँ नष्ट हो जाती हैं। सही कार्य को बार-बार करना भी जप की श्रेणी में ही आता है। इसलिए भगवती दुर्गा ने समझाया है कि उन्हें या उन के किसी अन्य रूप के नाम या मन्त्र का जप भले न करें लेकिन सही कार्य करते रहें तो वह सदैव प्रसन्न रहती हैं और कृपा बरसाती रहती हैं। 

    १०. हवन- हवन का भी व्यापक अर्थ है। सामान्य तौर पर पूजा या यज्ञ के दौरार्न अिग्न में दी गयी आहुति को हवन कहते हैं। ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ में भगवान श्रीकृष्ण ने हवन और यज्ञ के कई रूपों की व्याख्या की है। योगी किसी वस्तु से या किसी कुण्ड में हवन नहीं करते। वे शरीर के अन्दर ही पंचवायु का आपस में हवन कर मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। सामान्य गृहस्थ किसी भी शुभ कार्य के अवसर पर हवन करते हैं। जिस देवी या देवता के नाम से हवन किया जाता है, उन्हें हवन में डाली गयी सामग्रियाँ सूक्ष्म रूप से प्राप्त हो जाती हैं। देवी ‘स्वाहा’ देवी-देवताओं को और देवी ‘स्वधा’ पितरों को सूक्ष्म रूप से हवन सामग्रियाँ पहुँचाती हैं। अग्नि किसी भी वस्तु को उस के मूल तत्त्व में बदल देती है। हवन करने से पर्यावरण शुद्ध होता है, घर-समाज में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और जीवन आनन्दमय हो जाता है। कुछ लोग हवन के धुएँ से हवा में प्रदूषण बढ़ने की बात करते हैं। पर, सच यह है कि भारतीय शास्त्रों में वर्णित हवन प्रक्रिया से वातावरण शुद्ध होता है। इसे कई देशों के वैज्ञानिकों ने भी प्रायोगिक रूप से सच ठहराया है। हवन का एक अर्थ बुरी आदतों को तिलांजलि देना भी है। कर्म की अग्नि में बुरी आदतों को जला देना चाहिये। 

शनिवार, 23 जनवरी 2021

पराक्रम दिवस (२३ जनवरी) : नेताजी से जुड़े वो छ: पन्ने.....ए हिस्ट्री ऑफ इण्डियन नेशन आर्मी १९४२-४५ Parakram Divas (23 January) : Those Six Pages Associated With Netaji ... A History of Indian Nation Army 1942-45

 

शीतांशु कुमार सहाय 

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म २३ जनवरी, १८९७ ईस्वी को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उन के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ कटक के प्रसिद्ध अधिवक्ता थे। प्रभावती और जानकीनाथ बोस की कुल १४ संतानें थीं, जिन में ६ बेटियाँ और ८ बेटे थे। सुभाष उन की नौवीं संतान और पाँचवें बेटे थे। 

नेताजी की पराक्रमी सेना ‘आजाद हिन्द फौज’ के शौर्य को आधार बनाकर लिखी गयी एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक के छ: पन्ने आज तक गोपनीय बने हुए हैं। भारत सरकार द्वारा संकलित इस पुस्तक के छ: पन्नों को केन्द्रीय गृह मन्त्रालय ने गोपनीय घोषित कर दिया। इस कारण यह पुस्तक समस्त भारतवासियों  की उत्सुकता का विषय बनी हुई है। 

ऐसा कहा जाता है कि उन पन्नों में नेताजी के विमान हादसे से जुड़ी ऐसी जानकारियाँ हैं जो उन की मृत्यु के ७६ साल बाद भी रहस्य बनी हुई हैं। भारत के इस महान स्वतन्त्रता सेनानी की आज १२५वीं जयन्ती है। कुछ दिनों पूर्व भारत सरकार ने घोषणा की कि नेताजी की जयन्ती अब प्रतिवर्ष 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनायी जायेगी। आज यानी २३ जनवरी २०२१ ईस्वी को नेताजी की जयन्ती 'पराक्रम दिवस' के रूप में पहली बार मनायी जा रही है।     

पराक्रम दिवस के अवसर पर कई राजनीतिक दलों ने केन्द्र सरकार से नेताजी पर संकलित उस पूरी पुस्तक को सार्वजनिक करने की माँग उठायी है, जिस के ६ पृष्ठ प्रतिबन्धित हैं।

इस पुस्तक का नाम ‘ए हिस्ट्री ऑफ इण्डियन नेशन आर्मी १९४२-४५’ है। इस पुस्तक को जाने-माने इतिहासकार प्रफुल्ल चंद गुप्ता की निगरानी में तैयार किया गया था। इसे १९४९-५० के दौरान रक्षा मन्त्रालय के इतिहास विभाग ने दस्तावेज के तौर पर संकलित किया था। कुछ समय बाद ही भारत सरकार ने इस पुस्तक के पृष्ठ संख्या १८६ से १९१ तक को गोपनीय करार दे दिया। 

तृणमूल काँग्रेस ने इस ‘ए हिस्ट्री ऑफ इण्डियन नेशन आर्मी १९४२-४५’ के गैर-संपादित और विस्तृत ड्राफ्ट को सार्वजनिक किये जाने की माँग की है। तृणमूल काँग्रेस सांसद सुखेंदु शेखर रॉय का दावा है कि पुस्तक के वे छ: पन्ने सम्भवत: बता सकते हैं कि विमान दुर्घटना के समय नेताजी बचकर निकल गये थे। उन्होंने इस सम्बन्ध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है।

१८ अगस्त १९४५ ईस्वी को ताइवान की राजधानी ताइपेई में हुई एक विमान दुर्घटना के बाद नेताजी सुभाष चन्द्र बोस लापता हो गये थे। इस घटना की पड़ताल को लेकर तीन जाँच आयोग बैठे। इन में दो जाँच आयोगों ने दावा किया कि दुर्घटना के बाद नेताजी की मृत्यु हो गयी थी। न्यायमूर्ति एमके मुखर्जी की अध्यक्षता वाले तीसरे जाँच आयोग का दावा था कि विमान घटना के बाद नेताजी जीवित थे। इस विवाद ने बोस के परिवार के सदस्यों के बीच भी विभाजन ला दिया था।

२०१६ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुभाष चन्द्र बोस से जुड़ी सौ गोपनीय फाइलों का डिजिटल संस्करण सार्वजनिक किया था। ये दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अभिलेखागार में मौजूद हैं। इसी आधार पर ये ६ पन्ने भी सार्वजनिक किये जाने की माँग हो रही है।

गुरुवार, 14 जनवरी 2021

योग : वज्रासन : गैस की परेशानी व गर्भाशय के विकार होंगे दूर, वश में होगी कामशक्ति Vajrasana : No Gas Problems & Uterine Disorders, Sex Power Will Be Tame


        वज्रासन बहुत ही लाभदाक आसन है। यह आसन शरीर को मजबूती प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध है। पाचन प्रणाली, आमाशय और पेट के रोगों को ठीक करने में वज्रासन सहायक है। पेट के छाले, अल्सर, बार-बार अपच की शिकायत, खट्टी डगारें आना, हाइड्रोसिल, अत्यधिक रक्तप्रवाह से अण्डकोष की वृद्धि जैसी व्याधियों से शरीर को मुक्त रखता है वज्रासन। उच्च रक्तचाप को सामान्य करता है और रीढ़ को मजबूती प्रदान करता है। वज्रासन करने से महिलाओं को यूटेरस (गर्भाशय) के रोग और मासिक धर्म की अनियमितता से छुटकारा मिलता है। यह आसन शरीर को सुन्दर और सुडौल बनाता है। अधिक दिनों तक यह आसन करने से कामशक्ति वश में हो जाती है। गर्भवती महिलाएँ इसआसन में बैठेंगी तो सामान्य प्रसव (नॉर्मल डिलिवरी) में सहायता मिलती है।

        वज्रासन करने की पूरी और सही विधि जानने के लिए वीडियो देखिये-

वज्रासन का वीडियो

योग : पद्मासन : प्रजनन तन्त्र, सेक्स की कमजोरी, रीढ़ और पेट रोग में लाभदायक Padmasana : Reproductive System, Weakness of Sex, Beneficial in Spine & Stomach Diseases


        पद्मासन से कई शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ हैं। इस आसन को करने से शरीर और मन को स्थिर करने में सहायता मिलती है। मस्तिष्क में उठनेवाले अनावश्यक विचार शान्त होते हैं। शरीर मजबूत होता है। जाँघ और घुटनों सहित पूरे पैर, कमर, आमाशय, रीढ़ के निचले भाग, मूत्र तन्त्र और प्रजनन तन्त्र की कमजोरी और रोग को पद्मासन दूर करता है। 
        सेक्स की कमजोरी यदि दवा से ठीक नहीं हुई तो पद्मासन ज़रूर कीजिये, लाभ होगा। यह आसन अपच को दूर करता है और स्नायु को मजबूत बनाता है। 

        पद्मासन से और भी कई लाभ हैं। इस आसन को करने की विधि इस के वीडियो को देखकर जानिये- 

पद्मासन का वीडियो

शुक्रवार, 1 जनवरी 2021

नववर्ष २०२१ की हार्दिक शुभकामना और बधाई Happy New Year 2021

 नवकिरणों के साथ नववर्ष २०२१ नये उत्साह को लेकर आप को नवस्फूर्ति प्रदान करने आया है।

आप सब को नववर्ष दिवस २०२१ की शुभकामना और बधाई!

यह वर्ष आप के लिए मंगलदायक हो!

इति शुभम्!

मंगलवार, 29 दिसंबर 2020

योग : अंग संचालन के अभ्यास-२ हाथ, हाथ की अँगुलियों, कलाई, केहुनी, कन्धा, गर्दन, आँख, मुँह, ओंठ और जबड़ों के यौगिक अभ्यास Yoga Expressions For Healthy Hands, Fingers, Wrists, Arms, Neck, Eyes, Mouth & Lips

निवेदन करता हूँ कि योग को आप
अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करें।

            अंग संचालन के अभ्यास के अन्तर्गत इस वीडियो में समझाया गया है कि पैरों के अभ्यास के बाद अन्य अंगों और जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए योग के किन अभ्यासों को और किस प्रकार किया जाय।

            हाथ, हाथ की अँगुलियों, कलाई, केहुनी, कन्धा, गर्दन, आँख, मुँह, ओंठ और जबड़ों के यौगिक अभ्यास ज़रूर कीजिये और गैस्ट्रिक व जोड़ों के दर्द का अन्त तुरन्त कीजिये।

वीडियो देखें

सोमवार, 28 दिसंबर 2020

योग : अंग संचालन के अभ्यास (१) : पैर और घुटनों के दर्द होंगे गायब Yoga Exercises For Organs (1) : Leg & Knee Pain Will Disappear


 -शीतांशु कुमार सहाय 

            शरीर में 5 प्रकार के वायु निरन्तर प्रवाहित हो रहे हैं। ये वायु हैं- व्यान, समान, अपान, उदान और प्राण। इन्हें सम्मिलित रूप से ‘पञ्चवायु’ कहते हैं। इसी तरह शरीर में पाँच उपवायु के प्रवाह भी निरन्तर जारी हैं। पाँच उपवायु के नाम हैं- देवदत्त, वृकल, कूर्म, नाग और धनञ्जय। ये पाँच वायु और पाँच उपवायु शरीर के विभिन्न अंगों में फँस जाते हैं। अगर इन्हें मुक्त नहीं किया गया तो अंगों में दर्द या जोड़ों में दर्द होने लगते हैं। इसलिए स्वस्थ जीवन के लिए अंग संचालन के यौगिक अभ्यास अवश्य करना चाहिये। अंग संचालन के अभ्यास को वायुमुक्ति का अभ्यास भी कहते हैं। 

            पैर, पैर की अँगुलियों, घुटना, जाँघ और कमर के अभ्यास कैसे करने चाहिये, वीडियो देखकर सीखिये और कीजिये।

वीडियो देखें


बुधवार, 25 नवंबर 2020

दुष्कर्म की प्राथमिकी दर्ज न करने पर आरक्षी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होगी Non-registration Of FIR For Rape Will Bring Strict Action Against The Accused Officers FIR Essential In Rape Case


भारत में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को लेकर केन्द्रीय  गृह मंत्रालय ने अक्एतूबर २०२० में एडवाइजरी जारी की है। पिछले कुछ दिनों में, खासतौर से हाथरस कांड में जिस तरह शुरुआती स्‍तर पर पुलिस से लापरवाही हुई, उन कमियों को दूर करने के लिए मंत्रालय ने कहा है। पीड़‍िताओं को अक्‍सर थाने के चक्‍कर काटने पड़ते हैं। गृह मंत्रालय ने साफ कहा है कि एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी न की जाए। अपनी एडवाइजरी में गृह मंत्रालय ने कहा है कि एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। मंत्रालय ने आईपीसी और सीआरपीसी के प्रावधान गिनाते हुए कहा कि राज्‍य/केंद्रशासित प्रदेश इन का पालन सुनिश्चित करें। गृह मंत्रालय ने चेतावनी देते हुए कहा क‍ि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्‍त से सख्‍त कार्रवाई की जानी चाहिए।

महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में पुलिस की संवदेनहीनता अक्‍सर सामने आती रही है। एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी की शिकायतें खूब आती हैं। इसके अलावा मेडिकल टाइम पर न होना, जान-बूझकर केस को कमजोर बनाना, मामले को टालने की शिकायतें भी आम हैं। पुलिस अक्‍सर रेप के मामलों में जरूरी फोरेंसिक प्रक्रिया का पालन नहीं करती। इससे महत्‍वपूर्ण सबूत नष्‍ट हो जाते हैं और केस कमजोर हो जाता है। गृह मंत्रालय ने जिस तरह से अपनी एडवाइजरी में जांच प्रक्रिया पर जोर दिया है, उससे साफ है कि पुलिस की कार्यशैली से वह संतुष्‍ट नहीं है। इसलिए एडवाइजरी जारी करनी पड़ी

गृह मंत्रालय की एडवाइजरी पर एक नज़र  :

    संज्ञेय अपराध की स्थिति में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। कानून में 'जीरो एफआईआर' का भी प्रावधान है (अगर अपराध थाने की सीमा से बाहर हुआ है)।
    IPC की धारा 166 A(c) के तहत, एफआईआर दर्ज न करने पर अधिकारी को सजा का प्रावधान है।
    सीआरपीसी की धारा 173 में बलात्‍कार से जुड़े मामलों की जांच दो महीनों में करने का प्रावधान है। गृह मंत्रालय ने इस के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया है जहां से मामलों की मॉनिटरिंग हो सकती है।
    सीआरपीसी के सेक्‍शन 164-A के अनुसार, बलात्‍कार/यौन शोषण की मामले की सूचना मिलने पर 24 घंटे के भीतर पीड़‍िता की सहमति से एक रजिस्‍टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर मेडिकल जांच करेगा।
    इंडियन एविडेंस ऐक्‍ट की धारा 32(1) के अनुसार, मृत व्‍यक्ति का बयान जांच में अहम तथ्‍य होगा।
    फोरेंसिंक साइंस सर्विसिज डायरेक्‍टोरेट ने यौन शोषण के मामलों में फोरेंसिंक सबूत इकट्ठा करने, स्‍टोर करने की गाइडलाइंस बनाई हैं। उनका पालन हो।
सरकार की ओर से बताया गया है कि दुष्कर्म, यौन शोषण व हत्या जैसे संगीन अपराध होने पर फोरेंसिंक साइंस सर्विसिज डायरेक्‍टोरेट ने सबूत इकट्ठा करने गाइडलाइन बनाई है. ऐसे मामलों में फॉरेंसिक सबूत इकट्ठा करने के लिए गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य है।
    अगर पुलिस इन प्रावधानों का पालन नहीं करती तो न्‍याय नहीं हो पाएगा। अगर लापरवाही सामने आती है तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्‍त से सख्‍त कार्रवाई होनी चाहिए।
एडवाइजरी में बताया गया है कि इंडियन एविडेंस एक्‍ट की धारा 32(1) के तहत मृत व्‍यक्ति का बयान जांच में अहम तथ्‍य होगा।

शनिवार, 26 सितंबर 2020

बिहार विधानसभा आम निर्वाचन २०२० : प्रत्याशी इस प्रकार कर सकेंगे प्रचार Bihar Assembly General Election 2020 : Candidates Will be Able to Campaign in This Way


राजनीतिक दलों के प्रत्याशी और निर्दलीय चुनाव लड़नेवाले उम्मीदवार इस प्रकार कर सकेंगे प्रचार :-

 1) डोर टू डोर अभियान- किसी भी अन्य प्रतिबंध (ओं) के अधीन, जिसमें मौजूदा COVID-19 दिशा-निर्देश शामिल हैं, उम्मीदवारों सहित 5 (पांच) व्यक्तियों का एक समूह, सुरक्षा कर्मियों को छोड़कर, यदि कोई हो, तो डोर टू डोर प्रचार करने की अनुमति है।
2) रोड शो - वाहनों का काफिला 10 वाहनों के बजाय हर 5 (पांच) वाहनों के बाद तोड़ा जाना चाहिए (सुरक्षा वाहनों को छोड़कर, यदि कोई हो)। वाहनों के काफिले के दो सेटों के बीच का अंतराल 100 मीटर के अंतराल के बजाय आधा घंटा होना चाहिए। (रिटर्निंग आफिसर की हैंडबुक 2019 के पैरा 5.8.1 के अधिशेष में)
3) चुनाव बैठक - सार्वजनिक सभाओं / रैलियों का आयोजन COVID-19 दिशानिर्देशों के पालन के अधीन किया जा सकता है। जिला निर्वाचन अधिकारी को इस उद्देश्य के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
(ए) जिला निर्वाचन अधिकारी, पहले से, स्पष्ट रूप से चिह्नित प्रवेश / निकास बिंदुओं के साथ सार्वजनिक सभा के लिए समर्पित आधारों की पहचान करें।
(ख) ऐसे सभी चिन्हित आधारों में, जिला निर्वाचन अधिकारी को, अग्रिम रूप से, उपस्थित लोगों द्वारा सामाजिक दूरियां सुनिश्चित करने के लिए मार्कर लगाने चाहिए।
(ग) नोडल जिला स्वास्थ्य अधिकारी इस प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी सीओवीआईडी ​​-19 संबंधित दिशानिर्देशों का जिले के सभी संबंधितों द्वारा पालन किया जाता है।
(घ) जिला निर्वाचन अधिकारी और जिला पुलिस अधीक्षक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उपस्थित लोगों की संख्या सार्वजनिक आपदाओं के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक न हो।
(() डीईओ को चाहिए कि वे सेक्टर हेल्थ रेगुलेटर की देखरेख करें कि इन बैठकों के दौरान COVID-19 निर्देशों / दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है।
(च) संबंधित राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन सभी गतिविधियों के दौरान फेस मास्क, सैनिटाइजर, थर्मल स्कैनिंग आदि जैसे सभी COVID-19 संबंधित आवश्यकताएं पूरी हों।
(छ) आयोग द्वारा पहले से तय किए गए तरीके से सुविधा ऐप का उपयोग करके सार्वजनिक स्थानों का आवंटन किया जाना चाहिए।
(ज) निर्देशों का पालन नहीं करना - सीओवीआईडी ​​-19 के उपायों का उल्लंघन करने वाला कोई भी व्यक्ति आईपीसी की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई के अलावा, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 51 से 60 के प्रावधानों के अनुसार आगे बढ़ने के लिए उत्तरदायी होगा। और अन्य कानूनी प्रावधान, जैसा कि गृह मंत्रालय के आदेश संख्या 40-3 / 2020-DM-I (A) दिनांक 29 जुलाई, 2020 में निर्दिष्ट है। जिला निर्वाचन अधिकारी को इसे सभी संबंधितों के संज्ञान में लाना चाहिए।
 4) आयोग द्वारा पहले से तय किए गए तरीके से सुविधा ऐप का उपयोग करके सार्वजनिक स्थानों का आवंटन किया जाना चाहिए।

बिहार विधानसभा आम निर्वाचन 2020 : कब कहाँ होंगे मतदान Bihar Legislative General Election 2020 : When, Where Will be Voting


बिहार विधानसभा आम निर्वाचन 2020 के पहले चरण का मतदान  28 अक्टूबर, दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर और तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर को होगा। चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आयेंगे।

पहले चरण का मतदान – 28 अक्टूबर


       बिहार में पहले चरण में 28 अक्टूबर को 71 विधानसभा सीटों पर मतदान होंगे। ये सीटें हैं- कहलगाँव, सुल्तानगंज, अमरपुर, धौरैया, बाँका, कटोरिया, बेलहर, तारापुर, मुँगेर, जमालपुर, सूर्यगढ़ा, लखीसराय, शेखपुरा, बरबीघा, मोकमा, बाढ़, मसौढ़ी, पालीगंज, बिक्रम, संदेश, बड़हरा, आरा, अगिआँव, तरारी, जगदीशपुर, शाहपुर, ब्रहमपुर, बक्सर, डुमरांव, राजपुर, रामगढ़, मोहनियां, भभुआ, चैनपुर, चेनारी, सासाराम, करगहर, दिनारा, नोखा, डिहरी, काराकट, अरवल, कुर्था, जहानाबाद, घोसी, मखदुमपुर, गोह, ओबरा, नवीनगर, कुटुम्बा, औरंगाबाद, रफीगंज, गुरूआ, शेरघाटी, इमामगंज, बाराचट्टी, बोधगया, गया टाउन, टिकारी, बेलागंज, अतरी, वजीरगंज, रजौली हिसुआ, नवादा, गोबिंदपुर, वारसलीगंज, सिकंदरा, जमुई, झाझा और चकाई।
 

दूसरे चरण का मतदान – 3 नवंबर


       दूसरे चरण में उत्तर बिहार के जिलों की 94 विधानसभा सीटों पर मतदान होंगे। ये सीटें हैं- नौतन, चनपटिया, बेतिया, हरसिद्धि, गोविंदगंज, केसरिया, कल्याणपुर, पिपरा, मधुबन, शिवहर, सीतामढ़ी, रून्नीसैदपुर, बेलसंड, मधुबनी, राजनगर, झंझारपुर, फुलपरास, कुशेश्वरस्थान, गौड़ाबौराम, बेनीपुर, अलीनगर, दरभंगा ग्रामीण, मीनापुर, कांटी, बरूराज, पारू, साहेबगंज, बैकुण्ठपुर, बरौली, गोपालगंज, कुचायकोट, भोरे, हथुआ, सिवान, जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, दरौंदा, बड़हरिया गौरेयाकोठी, महराजगंज, एकमा, मांझी, बनियापुर, तरैया, मढ़ौरा, छपरा, गरखा, अमनौर, परसा, सोनपुर, हाजीपुर, लालगंज, वैशाली, महुआ, राजा पाकार, राधोपुर, महनार, उजियारपुर, मोहिउद्दीननगर, विभूतिपुर, रोसड़ा, हसनपुर, चेरिया बरियारपुर, बछवाड़ा, तेघड़ा, मटिहानी, साहेबपुर कमाल, बेगूसराय, बखरी, अलौली, खगड़िया, बेलदौर, परबत्ता, बिहपुर, गोपालपुर, पीरपैंती, कहलगाँव, भागलपुर, सुल्तानगंज, नाथनगर, अस्थावाँ, बिहारशरीफ, राजगीर, इस्लामपुर, हिल्सा, नालंदा, हरनौत, बख्तियारपुर, दीघा, बाँकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, फतुहा, दानापुर, मनेर और फुलवारी सीट। 

तीसरे चरण का मतदान – 7 नवंबर


       तीसरे चरण में बिहार की 78 विधानसभा सीटों पर मतदान होंगे। ये सीटें हैं- वाल्मीकिनगर, रामनगर, नरकटियागंज, बगहा, लौरिया, सिकटा, रक्सौल, सुगौली, नरकटिया, मोतिहारी, चिरैया, ढाका, रीगा, बथनाहा, परिहार, सुरसंड़, बाजपट्टी, हरलाखी, बेनीपट्टी, खजौली, बाबूबरही, बिस्फी, लौकहा, निर्मली, पिपरा, सुपौल, त्रिवेणीगंज, छातापुर, नरपतगंज, रानीगंज, फारबिसगंज, अररिया, जोकाहाट, सिकटी, बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज, कोचाधामन, अमौर, बायसी, कसबा, बनमनखी, रूपौली, धमदाहा, पूर्णिया, कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी, बरारी, कोढ़ा, आलमनगर, बिहारीगंज, सिंधेश्वर, मधेपुरा, सोनबरसा, सहरसा, सिमरी बख्तियारपुर, महशी, हायाहाट, बहादुरपुर, केवटी, जाले, गायघाट, औराई, मीनापुर, बोचहाँ, सकरा, कुढ़नी, मुजफ्फरपुर, महुआ, पातेपुर, कल्याणपुर, वारिसनगर, समस्तीपुर, मोरवा और सरायरंजन सीट।

शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

वीरता व सेवा पुरस्कार २०२० की घोषणा Gallantry and Service Awards 2020 Announced

भारत में वीरता और सेवा पुरस्कारों की घोषणा हो गयी है। वीरता यानी गैलेंटरी पुरस्कारों की सूची में पहले स्थान पर जम्मू-कश्मीर पुलिस है। उन के खाते में ८१ मेडल गए हैं। दूसरे स्थान पर सीआरपीएफ (५५ मेडल) और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश पुलिस (23 मेडल) है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने वीरता और सेवा (सर्विस) पुरस्कारों की सूची जारी की है।

सूची इस प्रकार है-

आंध्र प्रदेश पुलिस को १६,

अरुणाचल प्रदेश पुलिस को ४,

असम पुलिस को २१,

छत्तीसगढ़ पुलिस को १४,

गोवा पुलिस को १,

गुजरात पुलिस को १९,

हरियाणा पुलिस को १२,

हिमाचल प्रदेश पुलिस को ४,

झारखंड पुलिस को २४,

कर्नाटक पुलिस को १८,

केरल पुलिस को ६,

मध्य प्रदेश पुलिस को २०,

महाराष्ट्र पुलिस को ५८,

मणिपुर पुलिस को ७,

मिजोरम पुलिस को ३,

नगालैंड को १,

ओडिशा को १४,

पंजाब को १५,

राजस्थान को १८,

सिक्किम को २,

तमिलनाडु को २३,

तेलंगाना को १४,

त्रिपुरा को ६,

उत्तर प्रदेश पुलिस को १०२,

उत्तराखंड को ४,

पश्चिम बंगाल को २१,

अंडमान निकोबार पुलिस को २,

चंडीगढ़ पुलिस को १,

जम्मू-कश्मीर पुलिस को ९६,

दिल्ली पुलिस को ३५,

लक्षद्वीप पुलिस को २,

पुदुचेरी पुलिस को १,

असम राइफल्स को १०,

बीएसएफ को ५२,

सीआईएसएफ को २५,

सीआरपीएफ को ११८,

आईटीबीपी को १४,

एनएसजी को ४,

एसएसबी को १२,

आईबी को ३६,

सीबीआई को ३२ और

एसपीजी को ५ वीरता और सेवा पुरस्कार मिले हैं।

विदित हो कि इस साल यानी २०२० में २१५ वीरता यानी गैलेंटरी अवार्ड और ७११ सेवा यानी सर्विस एवार्ड बाँटे गये हैं।

बुधवार, 8 जुलाई 2020

भागलपुर में 9 से 12 व पटना में 10 से 16 जुलाई 2020 तक फिर लाॅकडाउन Lockdown in Patna From 10 to 16 July 2020

  • बिहार की राजधानी पटना में लगातार मिल रहे कोरोना संक्रमित मरीजों को देखते हुए जिला प्रशासन ने 10 से 16 जुलाई तक शहर को फिर से लॉकडाउन कर दिया है। डीएम कुमार रवि ने सात दिनों के लिए लॉकडाउन लगाने का आदेश बुधवार शाम को जारी किया। इस दौरान आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी सरकारी व निजी कार्यालय, धार्मिक स्थान आदि बंद रहेंगे। जिला प्रशासन ने इसके लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।

  • जारी आदेश के अनुसार लॉकडाउन के दौरान जिले में सुबह 6 से 10 बजे तक और शाम में 4 से 7 बजे तक अनिवार्य सेवा की दुकानें खुलेंगी। इसमें राशन, दूध, दवा जैसी जरूरी दुकानें शामिल हैं। बैंक, पेट्रोल पंप, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, ई-कॉमर्स से होम डिलीवरी को छूट दी गई है। जरूरी सामान की आपूर्ति को लेकर होम डिलीवरी पर जोर दिया गया है।  

  • वहीं सभी पूजा स्थलों को भी आमलोगों के लिए बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा कंटेनमेंट जोन के बाहर के सारी गतिविधियां अनलॉक 2 के लिए जारी दिशा निर्देश के अनुसार ही चलेंगे। राजधानी पटना में बुधवार को रिकॉर्ड 237 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पहचान की गईं। वर्तमान समय में चार प्रकार के व्यक्तियों का टेस्ट हो रहा है। इसमें पहला मरीज के कांटेक्ट में आने वाले लोग शामिल हैं। दूसरा कंटेनमेंट जोन में रहने वाले लोग, तीसरा हेल्थ वर्कर तथा चौथा जिनमें बीमारी के लक्षण दिख रहे हैं। संपर्क चेन के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मियों को सहभागी एवं सक्रिय बनाने का निर्देश दिया।


मंगलवार, 30 जून 2020

भारत में ये ५९ मोबाइल ऐप्लीकेशन्स प्रतिबन्धित 59 Chinese Mobile Apps Restricted in India

Here is the list of apps blocked by the government of India :

1. TikTok
2. Shareit
3. Kwai
4. UC Browser
5. Baidu map
6. Shein
7. Clash of Kings
8. DU battery saver
9. Helo
10. Likee
11. YouCam makeup
12. Mi Community
13. CM Browers
14. Virus Cleaner
15. APUS Browser
16. ROMWE
17. Club Factory
18. Newsdog
19. Beutry Plus
20. WeChat
21. UC News
22. QQ Mail
23. Weibo
24. Xender
25. QQ Music
26. QQ Newsfeed
27. Bigo Live
28. SelfieCity
29. Mail Master
30. Parallel Space
31. Mi Video Call – Xiaomi
32. WeSync
33. ES File Explorer
34. Viva Video – QU Video Inc
35. Meitu
36. Vigo Video
37. New Video Status
38. DU Recorder
39. Vault- Hide
40. Cache Cleaner DU App studio
41. DU Cleaner
42. DU Browser
43. Hago Play With New Friends
44. Cam Scanner
45. Clean Master – Cheetah Mobile
46. Wonder Camera
47. Photo Wonder
48. QQ Player
49. We Meet
50. Sweet Selfie
51. Baidu Translate
52. Vmate
53. QQ International
54. QQ Security Center
55. QQ Launcher
56. U Video
57. V fly Status Video
58. Mobile Legends
59. DU Privacy

सोमवार, 29 जून 2020

भारत की कुण्डली का सच

-अमित कुमार नयनन 

भारत की कुण्डली वृष लग्न की है और इस की राशि कर्क है। वृष स्थिर तो कर्क चर राशि है अतः स्थिर व चरात्मक दोनों प्रवृति का इस की प्रवृति व प्रकृति में समावेश होगा। वृष व कर्क दोनों ही राशियाँ स्वभाव से मृदु हैं, अतः इस देश की प्रकृति मृदु व स्नेहशील होगी व इस में सहनशीलता व विवेकशीलता अन्य देशों की अपेक्षा अधिक रहेगी। लग्नेश शुक्र का राशीश चन्द्र के साथ तृतीय भाव में युति इस के दीर्घकालिक अवस्था को सबलता से दर्शाता है । लग्न में लग्नेश शुक्र मित्र राहु अपनी उच्च राशि में बैठा है। इस प्रकार लग्न के लिए यह एक अच्छी स्थिति है। लग्नेश का तृतीय पराक्रम स्थान में सूर्य, चन्द्र, बुध, शनि के साथ बैठना व केतु से देखा जाना इस देश के विविध लोग और सभ्यता व संस्कृति के दर्शन को सरल तरीके से इंगित करता है। तृतीय में विविध प्रकृति के पंचग्रह की युति कुछ हद तक संत या एकाकी योग को भी बताता है। इस में भी संदेह नहीं कि भारत धर्म और अध्यात्म का धनी देश है। इस प्रकार इस की विविधता में एकता का बल लक्षित होता है जो कि पूर्णतया सही है।
     भारत भौगोलिक रूप से तीन दिशाओं पूर्व, पश्चिम, दक्षिण दिशा की ओर जल से घिरा प्रायद्वीप है जिस के एकमात्र उत्तर में विशालकाय हिमालय व भूखण्ड आदि हैं।
भारत की कुण्डली में तृतीय पराक्रम स्थान जितना प्रबल है, उतना ही चतुर्थ जनता, अचल सम्पत्ति व भूमि स्थान कमजोर है। तृतीय स्थान में जो ग्रह बल, पराक्रम आदि की वृद्धि कर रहे हैं, वही ग्रह जनता, अचल संपत्ति व भूमि के लिए बाधा भी दे रहे हैं; क्योंकि तृतीय स्थान, चतुर्थ स्थान का व्यय स्थान है। यह युति चूँकि कर्क राशि में बन रही है, अतः उत्तर दिशा भारत के लिए इस मामले में सदा चिन्ता का मसला रहेगा। तृतीय स्थान में पंचग्रह युति जहाँ बल व पराक्रम के लिए अच्छी है, वहीं यह अचल संपत्ति व भूखंड के लिए बिल्कुल सही नहीं है। इसी कारण तृतीयस्थ शनि महादशा  में पाक व चीन युुद्ध हुआ व तिब्बत एवं कैलाश व मानसरोवर जैसे भूखंड इस वक्त चीन के कब्जे में हैं। अतः कुल ९ महादशा ग्रहों में इन पाँच ग्रहों की दशा में सीमा विवाद अक्सर बना रहेगा। कुल १२० साल की महादशा में शनि १९ साल, बुध १७ साल, शुक्र २० साल, सूर्य ६ साल व चन्द्र १० साल आते हैं जो ८२ साल अर्थात् कुल दशा का दो-तिहाई से भी अधिक साल आते हैं। अतः संक्षेप में भारत को अपने दशाकाल में अक्सर सीमा व भूमि विवाद बना रहेगा और इन पाँच ग्रहों की दशा में यह विशेष होगा।
भारत की आज़़ादी के समय ज्योतिषियों द्वारा आज़ादी का निर्धारित किया गया समय पूर्ण शुभ न होने के कारण आज यह स्थिति है। यही पंचग्रह यदि लग्न, दशम् या एकादश में होते तो देश की स्थिति कुछ और होती। फिर भी बल व पराक्रम का स्थान मजबूत होने के कारण यह एक मजबूत देश है और रहेगा। 
चन्द्र महादशा
      २१ मई २०१५ से २१ मई २०२५ तक चल रही चन्द्र महादशा में चन्द्र महादशा की चन्द्र अंर्तदशा २१ मई २०१६ तक व्यतीत हो चुकी है। इस के उपरांत चन्द्र महादशा में मंगल अंतर्दशा से लेकर चन्द्र महादशा में अन्य समस्त अंतर्दशा का फल निम्न उल्लेखित है।
      चन्द्र महादशा की १० साल की महादशा पूर्णता के पश्चात् २१ मई २०२५ से ७ साल की मंगल महादशा २१ मई २०३२ तक चलेगी।
चन्द्र महादशा बनाम अंतर्दशा फल
भारत की जन्मकुण्डली में इस वक्त चन्द्र की महादशा चल रही है। यह स्वबल, पराक्रम, संचार की दशा है मगर साथ ही भूमि के लिए व्ययशील होने के कारण भूविवाद की उलझनें बनी रहेंगी। इस के साथ यह मानसिक कार्य, नेवी व स्त्रीशक्ति के लिए विशेष लाभ लेकर आयेगी। चन्द्र महादशा में मंगल की अंर्तदशा २१ मई २०१६ से २१ दिसंबर २०१६ तक रही है। मंगल द्वितीय भाव में व्ययेश होकर बैठा है, अतः अनपेक्षित विदेशी, एनआरआई, परदेस से सहयोग व आर्थिक लाभ अपेक्षित है। संतति भाव पर मंगल की दृष्टि खेल मुख्य रूप से आक्रामक खेलों के नजरिये से शुभ है। यद्यपि मंगल मारकत्व प्रभाव से भी देख रहा है, अतः खेल या फिल्म जगत की विशेष हस्ती का वियोग आदि अपेक्षित है। मंगल सप्तम का स्वामी होने के कारण साझेदारी, आयात निर्यात, इंटरनेशनल व्यापार आदि में प्रसार देता रहा है। मंगल का प्रभाव २१ दिसंबर २०१६ तक है। तत् चन्द्र महादशा में राहु की अन्तर्दशा २१ दिसंबर २०१६ से २१ जून २०१८ तक जारी रही। राहु लग्न में उच्च का हो तृतीयस्थ शुक्र का फल भी देता रहा। इस प्रकार यह संचार व्यवस्था के लिए अतिशुभ रहा। परिवहन, कूरियर, टेलिमीडिया, मीडिया जैसे क्षेत्रों में विशेष विकास होगा। फिल्म जगत के लिए भी यह एक शुभ व सुखद दौर रहा। इस प्रकार १८ माह की यह अंतर्दशा अपने शुभ प्रभाव के साथ जारी रही। तत् १६ माह की वृहस्पति अंतर्दशा का दौर २१ जून २०१८ से २१ अक्टूबर २०१९ तक मिश्रित रहा। एक ओर तो यह आर्थिक लाभ कराता रहा है मगर साथ ही साझेदार या साझेदारी या अन्यत्र समस्या भी देता रहा है। इसे मिश्रित कहा जा सकता है। तत् १९ माह के शनि अंतर्दशा का दौर २१ अक्टूबर २०१९ से २१ मई २०२१ तक होगा। यह भूविवाद, आतंकवाद आदि मुद्दों का समय है। यह देश में उथल-पुथल को भी दर्शा रहा है। यद्यपि समस्याओं का अंततः समाधान होगा मगर विशेषतः उत्तर-पश्चिम, पूर्वोत्तर भारत व विदेशी क्षेत्र में भारत को सावधान रहना होगा। सीमा विवाद के मामले में भारत को पूर्ण रूप से सतर्क रहने की ज़रूरत है। तत् 17 माह की बुध अंतर्दशा २१ मई २०२१ से २१ अक्टूबर २०२२ तक व्यापारिक संदर्भ की अतिशुभ दशा है। इस दरम्यान बैंकिंग सेक्टर, स्टॉक मार्केट, मनी मैटर्स, आर्थिक क्षेत्र में मुख्यतः प्रसार होगा। तत् ७ माह की केतु अंतर्दशा २१ अक्टूबर २०२२ से २१ मई २०२३ तक मिश्रित आक्रामक तेवर के साथ आयेगी। अच्छा व बुरा दौर आकस्मिक प्रभाव के साथ होगा। आकस्मिक उठापटक व अप्रत्याशित घटनाक्रम का समय है। तत् २० माह की शुक्र अंतर्दशा २१ मई २०२३ से २१ जनवरी २०२५ तक कला, सिनेमाई, मीडिया, संचार, परिवहन आदि के लिए सुफल लेकर आएगा। यह दौर मुख्यतः लव, रोमांस, स्त्री संबंधी सम मनोरंजक फिल्मों का होगा व ऐक्शन का कम प्रभाव होगा, ऐसी फिल्में ज्यादा प्रसार व उपलब्धि अर्जित करेंगी व भारतीय सिनेमा को समृध करेंगी। तत् ६ माह की सूर्य अंर्तदशा २१ जनवरी २०२५ से २१ जुलाई २०२५ भूविवाद के साथ स्वबल व पराक्रम की दशा भी होगी। यह एक राजनैतिक विकलता व सफलता का दौर होगा। 
     इसी के साथ तत् चन्द्र महादशा की १० साल की महादशा की अवधि पूर्णता उपरांत ७ साल की मंगल महादशा का आरंभ होगा।।

बुधवार, 10 जून 2020

कोरोना हाइलाइट्स Corona Highlights

-अमित कुमार नयनन 
     कोरोना ने काफी कम समय में कई बड़े कारनामे किये हैं। इस के सम्पूर्ण सन्दर्भ को एक बार में तो नहीं विश्लेषित किया जा सकता, फिर भी इस के कुछ विशेष विशेषताओं पर तो एक नज़र डाली ही जा सकती है।

कोरोना : एक जैविक हथियार

     इतिहास में हम ने विविध प्रकार के संहारक अस्त्र-शस्त्र के बारे में सुना है। पौराणिक काल में प्रक्षेपास्त्र, आग्नेयास्त्र, ब्रह्मास्त्र और कलियुग में परमाणु बम, रासायनिक बम, वायरस बम आदि। इसी प्रकार कोरोना एक वायरस बम है। कोरोना एक जैविक हथियार है। कोरोना एक सामरिक अस्त्र है। 

कोरोना : साइलेण्ट कीलर

     कोरोना सायलेण्ट किलर के रूप में अपनी शीघ्रगामी शुरुआत करते हुए अचानक ही विश्व-पटल पर अपनी दस्तक देते हुए सम्पूर्ण विश्व में छा गया।

कोरोना स्पीड

     कोरोना की स्पीड मस्त है। इस की स्पीड तो नाम और काम दोनों स्तर पर कुछ ऐसी है कि पलक झपकते ही समस्त विश्व पर जिस गति से छा गया, उतने ही अल्प काल में उस से भी बड़े ऐसे-ऐसे कारनामे किये कि बस पूछिये मत। इस के गवाह आप और हम सभी हैं। इसे दुहराकर, बोलकर और सोचकर अपने आप को तकलीफ मत दीजिये; क्योंकि इस का तो कुछ बिगाड़ सकते नहीं, इसलिए उल्टा और भी ज़्यादा तकलीफ स्वयं को ही होगी। बस कोरोना के गुण-धर्म का बखान करते जाइये, तकलीफ अपने आप कम होती जायेगी। कोई कहे-न-कहे मगर यह एक प्राकृतिक सत्य है कि अगर आप के अन्दर दुश्मन को हराने की औकात न हो तो उसे हीरो की तरह स्वीकार कर लेना ही बेहतर होता है। इस प्रकार अपनी नाकामी भी छिप जाती है, साथ ही दुश्मन की बड़ाई कर उच्च स्तर के मानवीय गुणों के अध्येता और प्रणेता भी बन जाते हैं। इस दुश्मन को भले आनेवाले दिनों में शायद हम हरा भी डालें मगर इतने अल्प काल में इस ने जो जुल्म, जो कहर हम पर ढाये हैं, वे हमें ताउम्र याद रहेंगे। इस की याद की बानगी तब ही मिट सकती है, जब इस से भी बड़ा दुःख आ जाय। तो फैसला आप पर है कि आप इस दुःख और उस दुःख में कौन-सा दुःख आत्मसात् कर ‘सुखी’ होना चाहते हैं! इस के बावजूद आप के हाथ में कुछ भी नहीं है; क्योंकि होनी आप के और हमारे वश में नहीं है, हमें केवल कामना करने की छूट मिली है। इसलिए इस छूट को लूट लीजिये!     

इण्टरनेशनल सुपस्टार कोरोना

     कोरोना इण्टरनेशनल सुपर स्टार यूँ ही नहीं बना। इस के लिए उस ने बड़े-बड़े कारनामे किये हैं। घर के घर, देश के देश, परदेस के परदेस- सबकुछ पलक झपकते साफ-सुथरे कर दिये हैं, तबाह कर दिये हैं। इस के लिए उस ने सारा जहां छान मारा है। दुनिया की गली-कूचों तक में कूच कर दुनिया के छक्के छुड़ा दिये हैं। इस के कारनामों के आगे दुनिया के बड़े-बड़े दिग्गजों ने घुटने टेक दिये हैं और हथियार डाल दिये हैं। कुछ ने तो बिना लड़े ही हथियार डाल दिये हैं।  
     कोरोना एक इण्टरनेशनल सुपरस्टार बन चुका है। अपनी फिल्म का वह केन्द्रीय पात्र है जो हीरो और विलेन दोनों है। कोरोना को एक स्टार, एक विलेन के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। इस विलेन स्टार को ख़ुद ही यह पता नहीं है कि उस की उत्पति कब, क्यूँ, कहाँ, किसलिए हुई?

विश्वप्रसिद्ध कोरोना

     कोरोना विश्वप्रसिद्ध हो गया। उस ने अति अल्पकाल में ही अपने कारनामों से ऐसा विश्वव्यापी तहलका मचाया कि उस की चर्चा विश्व के कोने-कोने में होने लगी। 

कोरोना जगत

     सम्पूर्ण जगत कोरोना की मुट्ठी में आ गया है। एक पल ऐसा लगा था कि पलक झपकते दुनिया को लील लेगा मगर उस की यह लीला अभी बाकी है। वायरस के रूप में लीला बाकी है जबकि कोरोना के रूप में अभी गुंजाइश बची है।
     कोरोना ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि आविष्कार जब तक आप की मुट्ठी में है तब तक तो सब ठीक है, मगर जब आप आविष्कार की मुट्ठी में आते हैं तब क्या होता है!?

मंगलवार, 9 जून 2020

कोरोना कथा Corona Story

-अमित कुमार नयनन
     इन्सान ने कोरोना की पटकथा पहले ही लिख दी थी। आज नहीं तो कल, यह तो होना ही था। वह कल, आज बन गया है।

कोरोना इतिहास

     कोरोना पहले भविष्य था, फिर वर्तमान बना और इस के बाद इतिहास भी बन चुका है। कोरोना इतिहास बन चुका है और न सिर्फ इतिहास बन चुका है; बल्कि इतिहास बना भी चुका है। साथ ही समस्त मानव जाति को इतिहास बनाने पर तुला भी है।

कोरोना अध्याय

     कोराना! कोरोना वायरस! विश्व इतिहास में एक अध्याय और जुड़ गया। इतिहास के पन्नों में एक नाम और जुड़ गया। इस का आना जितना हैरतअंगेज रहा, छाना उतना ही विस्फोटक भी।

कोरोना विज्ञान 

     कोरोना ने विज्ञान में जीव विज्ञान का क्या महत्त्व होता है, यह भी बतला दिया।

इतिहास स्वयं को दुहरा रहा है...

     ऐसा विश्व में पहली बार नहीं है। ऐसा विश्व में पहले भी कई बार हो चुका है। इतिहास स्वयं को दुहरा रहा है। 
वर्तमान साक्षी है कि इतिहास स्वयं को दुहरा रहा है। इतिहास साक्षी है कि ऐसी घटनाओं का निराकरण भी दैवीय सहायताओं और किसी नव अवतार या नव प्रयासों से ही हुआ है। इस वक़्त संसार भी इसी प्रक्रिया में लगा हुआ है और इष्ट-प्रार्थना, समग्र प्रयास में संलग्न है, मग्न है।

कोरोना जन्माजन्म

     कहा जाता है कि होनहार पूत के पाँव पालने में ही दीख जाते हैं। जो जीवन में कुछ कर गुजरते हैं उन की झलक शुरू में ही मिल जाती है। बिल्कुल फिल्म के ट्रेलर की तरह। इस का प्रमाण समस्त विश्व है: वर्तमान है जो इतिहास रच चुका है।।
     कोरोना का जन्म आम बच्चों की तरह नहीं था। इस की उत्पति धमाके की तरह हुई और इस का विस्तार तहलके की तरह। इस का पहला जन्मदिन ही बड़ी ‘धूमधाम’ से मना। इसे समस्त विश्व ने एकसाथ मनाया। इस के जन्मदिन का ‘धूम-धड़ाका’ अब भी जारी है, इस की ‘धमा-चौकड़ी’ जो अब भी जारी है! इस ने अपने कई प्रतिरूप विकसित कर विश्व जनसंख्या को पीछे छोड़ अपनी चाण्डालचौकड़ी जो विकसित कर ली और अब ‘चाण्डालचौकड़ी की धमाचौकड़ी’ भी अब जारी है।

कोरोना उत्पति

     कलियुग की 21वीं सदी के आरम्भ में कोरोना ने भू्रण रूप में विकसित होना शुरू किया जिस की विधिवत् घोषित उत्पति सन् 2019 ईस्वी को वुहान (चीन) में हुई।

कोरोना लावारिस

    इस शिशु के साथ सब से रोमांचक बात यह है कि इस को सभी गोद लेना चाहते हैं मगर अपना बच्चा कोई नहीं कहना चाहता। विश्व के सभी देश, यहाँ तक कि अच्छे-बुरे सभी, राजशाहों, तानाशाहों के साथ आतंकवादी, खूनी सभी हैं, इसे स्वशक्ति का हिस्सा बनाना चाहते हैं मगर यह नहीं चाहते कि कोई इसे उन की ईज़ाद कहे। इस का नाम और लाभ सभी लेना चाहते हैं मगर बदनामी कोई भी अपने सिर नहीं लेना चाहता।  
     कोरोना! एक ऐसा अनाथ शिशु है जिस का जन्म पूरी दुनिया के सामने हुआ, फिर भी उस की जन्मतिथि, जन्मस्थान, जन्मदाता वगैरह के रूप में विविध कयास लगाये जा रहे हैं। कोरोना एक ऐसा लावारिस बन चुका है, जिस के लिए ला-वारिस का जुमला भी अख़्तियार किया जा रहा है।
     इण्टरनेशनल कोर्ट में बात पहुँच गयी है। इस के जन्मदाता, जन्मतिथि, जन्मस्थान वगैरह के बारे में खंगाला जा रहा है मगर विश्व के सारे तथाकथित इस मसले पर भ्रम और मतविभिन्नता के शिकार हैं। कोरोना जैसी जन्म से ही हिट, सुपरहिट, मेगाहिट पर्सनैलिटी को कोई भी अपना नहीं कहना चाहता। इस नन्हें शिशु को माता-पिता के रहते अनाथ कहना गलत न होगा। या फिर यह कइयों की नाजायज़ औलाद है। इस लापता का पता ढूँढना ही होगा।

कोरोना बायोडाटा

     कोरोना ने अपने जन्म से पूर्व, जन्म के साथ और जन्म के बाद जिस प्रकार के कारनामे किये हैं, कोरोना की कुण्डली के आगे नाग की कुण्डली भी कम है। कोरोना का बायोडाटा, कोरोना की जन्मकुण्डली तलाश की जा रही है। इस का जन्म कब और कहाँ हुआ? इस के जन्मसमय, जन्मतिथि, जन्मस्थान के बारे में पता किया जा रहा है। इस के जन्म के उद्देश्य वगैरह को जानने के लिए इस के अन्य पहलुओं पर भी फोकस किया जा रहा है। इसलिए कोरोना का जन्म कब, कहाँ, क्यूँ, किसलिए हुआ, यह भी पता किया जा रहा है-
नाम : कोरोना
वैज्ञानिक नाम : कोरोना वायरस
पूरा नाम : नोवेल कोरोना वायरस
जन्मस्थान : चीन/अमेरिका..... 
जन्मतिथि : 1930, 2002-2003 (अमेरिका), सितम्बर से दिसम्बर 2019 (वुहान-चीन).....
स्वभाव : स्पर्श करना
लक्ष्य : शरीर के अंग-अंग में घुसकर हलचल मचा देना, दिल को लाचार कर देना, किडनी को नष्ट-भ्रष्ट कर देना, अन्ततोगत्वा यमराज के दर्शन करा ‘मोक्ष’ का मार्ग प्रशस्त कर देना.....।

कोरोना महामारी 

     कोरोना वैश्विक महामारी है। मगर यह बिन बुलायी आफ़त नहीं; बल्कि बुलायी आफ़त है। इस पर ‘आ बैल मुझे मार’ वाली कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है, बिल्कुल सही चरितार्थ होती है।
     कोरोना को जिस प्रकार वैश्विक महामारी घोषित कर प्रचारित किया जा रहा है, इसे वैश्विक कारिस्तानी कहकर प्रचारित किया जाय तो बिल्कुल सही सिद्ध होगा।
     कोरोना वायरस! असल में इस संक्रमण को वायरस संक्रमण के रूप में प्रचारित किया जा रहा है जबकि यह संक्रमण उस संक्रमण की देन है जो मानव मस्तिष्क से उपजी है। इसलिए यह मानव मस्तिष्क से उपजी मानवीय बनाम अमानवीय करतूतों की देन है। इसे अमानवीय करतूत कहा जाना बिल्कुल ग़लत न होगा; क्योंकि जब से इस की शुरुआत हुई है, यह आरम्भकाल से ही किसी-न-किसी की जान ले रहा है और इस का मीटर ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है।

कोरोना लक्षणम् 

     कोरोना के जो लक्षण हैं, आलसी और क्रोधी लोग के हैं। शरीर में, मांसपेशियों में दर्द होना, सिर में बेमतलब दर्द होना, जीभ में स्वाद न लगना, नाक में गन्ध महसूस न होना.....फलां-फलां बातों की पचहत्तर तरह की शिकायत.....खाँसी-जुकाम वगैरह आलसी और कामचोर लोग के लक्षण हैं। हृदय में दर्द, मस्तिष्क में तेज दर्द, पैरों में सूजन, साँस में समस्या, शरीर का कंपकंपाना, हृदयाघात वगैरह क्रोधी लोग के लक्षण हैं।