-शीतांशु कुमार सहाय
घर की कोठरी में बेइज्जती हो तो केवल 2 को ही पता चलता है- एक बेइज्जत करने वाला और दूसरा बेइज्जत होने वाला। ऐसे में बाहर आकर सीना चौड़ा किया जा सकता है, चेहरे पर मुस्कान कायम रखने की कोशिश की जा सकती है। पर, जब बेइज्जती भरी सभा में हो तब? तब तो वह भी कुछ कह जायेगा जो कभी सामने खड़ा होने से भी घबराता था। कुछ ऐसा ही हुआ है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ राजगीर में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के चिन्तन शिविर में। जदयू अध्यक्ष शरद यादव के साथ दल के नेता चिन्तन में डूबे थे, अपने-अपने चिन्तन को मंच से अभिव्यक्त भी कर रहे थे कुछ जाने-माने नेता। इसी दौरान जब राष्ट्रीय जनता दल से जदयू में आये शिवानन्द तिवारी की बारी आयी तो वे बेवाकी से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी की लगे तारीफ करने। वे रूके बिना नीतीश की खिलाफत भी करने लगे। नीतीश-सरकार के एक मंत्री नरेन्द्र सिंह ने भी तिवारी के सुर-में-सुर मिलाया। यों जदयू का अन्तर्कलह पटल पर आ गया। इस अन्तर्कलह के केन्द्र में हैं नरेन्द्र मोदी।
राज्य की जनता ने भाजपा-जदयू गठबन्धन को बहुमत दिया था। बीच में ही जब सरकार से भाजपा पृथक हुई तो कलह का अन्देशा लगाया गया था। वह अन्देशा हाल के महीनों में सच सिद्ध हो रहा है। राज्य में कलह बढ़ा मतलब अपराध में बेतहाशा वृद्धि हुई। पर, एक अन्देशा जो लगाया नहीं गया था, वह भी सामने आया, जदयू में कलह हो गया। पटना में नरेन्द्र मोदी की हुंकार रैली के दिन हुए धमाकों के बाद भाजपा-जदयू नेताओं के बीच राजनीतिक खींचतान के दरम्यान जदयू में बगावती सुर उठे हैं। राजगीर में जदयू के चिन्तन शिविर में पार्टी नेता शिवानन्द तिवारी व मंत्री नरेन्द्र सिंह ने मंच से जमकर बगावती तेवर दिखाये। पर, नीतीश ने अपने भाषण में पार्टी के नेताओं के बगावती तेवरों पर चुप्पी साधे रखी। उन्होंने नरेन्द्र मोदी व भाजपा को निशाना बनाया और मोदी के झूठ गिनाये, उन्हें अहंकारी बताया। अपने दल के अन्तर्कलह पर उनकी जुबान नहीं चली। पर, जब तिवारी की जुबान चली तो बस चलती ही गयी। उन्होंने आरोपों की झड़ी लगा दी- नीतीश ने दल में दूसरी पंक्ति का नेता पनपने ही नहीं दिया, वे जमीनी नेता हैं ही नहीं और पुराने साथियों को भूलकर चाटुकारों से घिरे हैं। मोदी के संघर्ष के कारण स्वयं को तिवारी ने मोदी का प्रशंसक बताया। यही नहीं, मोदी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गुण कूट-कूटकर भरे होने के कारण उनसे डरने की बात भी स्वीकारी शिवानन्द ने। वे इससे पहले भी कई बार बगावती तेवर दिखाते रहे हैं लेकिन उनका यह अब तक का नीतीश कुमार पर सबसे बड़ा हमला है। इससे पार्टी की मुश्किलें बढ़ गयी हैं।
इस बीच नीतीश मंत्रिमण्डल के एक सदस्य नरेन्द्र सिंह ने भी मंच से ही नीतीश की कार्यशैली पर निशाना साधा। आरोपों की झड़ी लगाने में वे तिवारी को भी पीछे छोड़ गये। गर्म तेवर के साथ गरजते हुए सिंह ने कहा कि पार्टी में खून-पसीना बहाने वालों की अनदेखी हो रही है और दरबार लगाने वालों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उनका निशाना नीतीश का बहुचर्चित जनता दरबार है। सिंह की दहाड़ से नीतीश और शरद पर भी असर पड़ा; क्योंकि उन्होंने यह भी कह डाला कि बगावती तेवर के बदले यदि वे सरकार या दल से निकाले भी जाते हैं तो उन्हें कोई फिक्र नहीं है। एक टूटता है तो एक जुड़ता है। एक रोता है तो एक हँसता है। इसी तर्ज पर जदयू के सम्भावित टूट का फायदा लेने को भाजपा तैयार है। तभी तो नीतीश-सरकार में भाजपा कोटे से मंत्री रहे गिरिराज सिंह ने तिवारी के लिए भाजपा के दरवाजे खोले। वैसे जदयू नेता केसी त्यागी पार्टी में बगावत से इनकार कर रहे हैं। पर, धुआँ उठा है तो आग की सम्भावना से इनकार कैसे किया जा सकता है!
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