शीतांशु कुमार सहाय
सभी दलों ने एड़ी-चोटी का प्रयास लगा दिया है लोकसभा चुनाव में जीत के वास्ते। इस संदर्भ में तकनीकों का भी व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। अपने को हर क्षेत्र में अव्वल साबित करने की होड़ मची है। इसी सिलसिले में इण्टरनेट का भी खूब उपयोग हो रहा है। विभिन्न दलों ने इण्टरनेट पर प्रचार के लिए विशेषज्ञों की टीम गठित कर ली है। सभी सोशल साइटों को पर प्रचार के मुहिम चलाये जा रहे हैं। पर, इसमें आगे कौन और पीछे कौन है, यह बताया है गूगल इण्डिया ने। अगले साल मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले गूगल इंडिया द्वारा कराये एक सर्वेक्षण से पता चला है कि देश के 40 प्रतिशत से अधिक शहरी युवा अब तक इस बात का फैसला नहीं कर पाये हैं कि उन्हें किस राजनीतिक दल को मतदान करना है। इससे यह भी स्पष्ट हुआ कि पिछले 6 महीनों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित किये गये गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी इण्टरनेट पर सबसे अधिक सर्च किये गये हैं। निश्चय ही यह काँग्रेस के लिए निराशाजनक है।
वास्तव में देश की अर्थव्यवस्था इन दिनों लचर स्थिति में है। आम आदमी महंगाई से दो-चार हो रहा है। हर ओर भयंकर भ्रष्टाचार है। लोगों की बचत में लगातार गिरावट आ रही है। इसका जिम्मेवार सीधा काँग्रेस को मान रहे हैं देशवासी। देशवासियों की यह मान्यता भी गलत नहीं कही जा सकती। इसका कारण है कि केन्द्र में काँग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) की सरकार काबिज है। लिहाजा लोगों का मोह काँग्रेस से भंग हुआ है। यही नहीं, आम लोग राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ हैं। पर, संप्रग की सरकार ने राजनीति में अपराधियों की घुसपैठ को रोकने वाले सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को बदलने के लिए एक अध्यादेश बनाया और राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेज दिया। सरकार के इस कदम की देश-विदेश में आलोचना हुई। काफी छीछालेदर के बाद भी प्रधानमंत्री ने इसे वापस न लिया मगर राहुल गाँधी की खिलाफत के तुरन्त बाद ही इसे वापस ले लिया। इस प्रकरण के बाद भी काँग्रेस अपने उपाध्यक्ष राहुल को हीरो नहीं बना सकी और गूगल के सर्वेक्षण में वे नरेन्द्र मोदी से पीछे ही नजर आये। इस सूची में तीसरे स्थान पर काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी, चौथे स्थान पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह तथा पाँचवें स्थान पर भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाकर दिल्ली विधान सभा चुनाव से नवम्बर में राजनीतिक करियर शुरू करने जा रहे अरविन्द केजरीवाल हैं। सूची में छठे स्थान पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मौजूद हैं। सबसे अधिक सर्च किये गये राजनीतिक दलों की सूची में भी नरेन्द्र मोदी की भाजपा ही शीर्ष पर है। काँग्रेस दूसरे, अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी तीसरे, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी चौथे तथा शिवसेना पाँचवें स्थान पर हैं।
विदित हो कि 2014 का लोकसभा आम चुनाव कई मायनों में अनोखा होगा। इसमें 2 बातें सबसे अहम हैं। एक तो यह कि इसमें इण्टरनेट का सर्वाधिक उपयोग होगा और दूसरा यह कि मतदाताओं को प्रत्याशियों को अस्वीकृत करने का भी अधिकार होगा। प्रत्याशियों को अस्वीकृत करने के अधिकार का प्रथमतः उपयोग मतदाताओं द्वारा नवम्बर-दिसम्बर में होने वाले 5 राज्यों में चुनाव के दौरान किया जाएगा। गूगल के सर्वेक्षण ने राजनीतिक गलियारे में गर्माहट ला दिया है। इसमें 108 लोकसभा सीटों के मतदाताओं के विचार लिये गये। चुनाव के दौरान इण्टरनेट के उपयोग का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि वर्तमान सर्च पिछले चुनाव की अपेक्षा 800 प्रतिशत अधिक है।
गूगल सर्वेक्षण में ये हैं टॉप 10 नेता/नेत्री-
1) नरेन्द्र मोदी,
2) राहुल गांधी,
3) सोनिया गांधी,
4) मनमोहन सिंह,
5) अरविंद केजरीवाल,
6) जयललिता,
7) अखिलेश यादव,
8) नीतिश कुमार,
9) सुषमा स्वराज और
10) दिग्विजय सिंह।
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