शनिवार, 4 अप्रैल 2020

गुरु वन्दना : गुर्वष्टकम् : गुरु के सम्मान में आदि शंकराचार्य ने लिखा GURU VANDANA : Gurvashtakam : By Ancient Shankaracharya in the Honour of Guru

आदि शंकराचार्य द्वारा रचित 
प्रस्तोता : शीतांशु कुमार सहाय

शरीरं सुरूपं तथा वा कलत्रंयशश्चारु चित्रं धनं मेरुतुल्यम्।गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।१।।


         शरीर रूपवान हो, पत्नी भी रूपसी हो और सत्कीर्ति चारों दिशाओं में विस्तारित हो, मेरु पर्वत के तुल्य अपार धन हो, किन्तु गुरु के श्रीचरणों में यदि मन आसक्त न हो, तो इन सारी उपलब्धियों से क्या लाभ?

कलत्रं धनं पुत्रपौत्रादि सर्व्वंगृहं बान्धवाः सर्वमेतद्धि जातम्।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।२।।


         सुन्दरी पत्नी, धन, पुत्र, पौत्र, घर और स्वजन आदि प्रारब्ध से सर्वसुलभ हों, किन्तु गुरु के श्रीचरणों में मन की आसक्ति न हो, तो इस प्रारब्ध-सुख से क्या लाभ?

षडङ्गादिवेदो मुखे शास्त्रविद्या कवित्वादि गद्यं सुपद्यं करोति।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।३।।


         वेद और षट्वेदांगादि शास्त्र जिसे कण्ठस्थ हों, जिस में सुन्दर काव्य-निर्माण की प्रतिभा हो, किन्तु उस का मन यदि गुरु के श्रीचरणों के प्रति आसक्त न हो, तो इन सद्गुणों से क्या लाभ?

विदेशेषु मान्यः स्वदेशेषु धन्यःसदाचारवृत्तेषु मत्तो न चान्यः।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।४।।


         जिसे विदेश में आदर मिलता हो, अपने देश में जिस का नित्य स्वागत किया जाता हो और जो सदाचार-पालन में भी अनन्य स्थान रखता हो, यदि उस का भी मन गुरु के श्रीचरणों के प्रति अनासक्त हो, तो इन सद्गुणों से क्या लाभ?

क्षमामण्डले भूपभूपालवृन्दैःसदा सेवितं यस्य पादारविन्दम्।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।५।।


         जिन महानुभाव के चरणकमल पृथ्वीमण्डल के राजा-महाराजाओं से नित्य पूजित रहा करते हों, किन्तु उन का मन यदि गुरु के श्रीचरणों में आसक्त न हो, तो इस सद्भाग्य से क्या लाभ?

यशो मे गतं दिक्षु दानप्रतापाद्जगद्वस्तु सर्व्वं करे सत्प्रसादात्।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।६।।


         दानवृत्ति के प्रताप से जिन की कीर्ति जगत में व्याप्त हो, अति उदार गुरु की सहज कृपादृष्टि से जिन्हें संसार के सारे सुख-ऐश्वर्य हस्तगत हों, किन्तु उन का मन यदि गुरु के श्रीचरणों में आसक्तिभाव न रखता हो, तो इन सारे ऐश्वर्यों से क्या लाभ?

न भोगे न योगे न वा वाजिराज्येन कान्तासुखे नैव वित्तेषु चित्तम्।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।७।।


         जिस का मन भोग, योग, अश्व, राज्य, धनोपभोग और स्त्रीसुख से कभी विचलित न हुआ हो, फिर भी गुरु के श्रीचरणों के प्रति आसक्त न बन पाया हो, तो इस मन की अटलता से क्या लाभ?

अरण्ये न वा स्वस्य गेहे न कार्य्येन देहे मनो वर्तते मेऽत्यनर्थैः।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।८।।


         जिस का मन वन या अपने विशाल भवन में, अपने कार्य या शरीर में तथा अमूल्य भण्डार में आसक्त न हो, पर गुरु के श्रीचरणों में भी यदि वह मन आसक्त न हो पाये, तो उस की सारी अनासक्तियों का क्या लाभ?

अनर्घ्याणि रत्नानि मुक्तानि सम्यक्समालिङ्गिता कामिनी यामिनीषु।

गुरोरङ्घ्रिपद्मे मनश्चेन्न लग्नं ततः किं ततः किं ततः किं ततः किम्।।९।।


         अमूल्य मणि-मुक्तादि रत्न उपलब्ध हों, रात्रि में समलिंगिता विलासिनी पत्नी भी प्राप्त हो, फिर भी मन गुरु के श्रीचरणों के प्रति आसक्त न बन पाये, तो इन सारे ऐश्वर्य-भोगादि सुखों से क्या लाभ?

गुरोरष्टकं यः पठेत् पुण्यदेही यतिर्भूपतिर्ब्रह्मचारी च गेही।

लभेद्वाञ्छितार्थं पदं ब्रह्मसंज्ञंगुरोरुक्तवाक्ये मनो यस्य लग्नम्।।१०।।


         गुरु के वचन में मन से प्रीति रखनेवाले जो यती, राजा, ब्रह्मचारी और गृहस्थ इस गुरु-अष्टक का पाठ करते हैं, वे पुण्यशाली शरीरधारी वाञ्छित फल व ब्रह्मपद को प्राप्त कर लेते हैं।

जीवन के घटनाक्रमों को समझना आवश्यक It is Necessary to Understand Life's Chronology

-शीतांशु कुमार सहाय
         अगर आप का जीवन ख़ुशहाल है, भौतिक रूप से साधनसम्पन्न है, तो भी उस की सीमा निर्धारित है। वास्तव में प्रकृति में कुछ भी स्थिर और अनन्त नहीं है; क्योंकि प्रकृति ही स्थिर और अनन्त नहीं है। सब कुछ प्रतिक्षण बदल रहे हैं। किसी वस्तु या घटना की निरन्तरता सृष्टि के लिए उचित नहीं है और जब मनुष्य अपनी हठधर्मिता से कृत्रिम निरन्तरता जारी रखने का प्रयास करता है तो अनर्थ हो जाता है। मीठे भोजन की निरंतरता मधुमेह, तो नमकीन की निरन्तरता उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है। ऐसे कई उदाहरण आप इस विश्व में देख सकते हैं। 
         एक बार की बात है बलराम और श्रीकृष्ण को मथुरा छोड़ना पड़ा था और जंगल में भटकना पड़ रहा था। उन के पास पर्याप्त भोजन और आराम का समय भी नहीं था। तब बलरामजी ने श्रीकृष्ण से प्रश्न किया- "हमारे साथ ये सब क्यों हो रहा है, जबकि तुम मेरे साथ हो?" 
         भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया, "जब जीवन आप के साथ बहुत अच्छी तरह घटित होता है, तो आप शिकायत नहीं करते। जब आप कुछ विशेष स्थितियों को अच्छा और शेष को बुरा मानते हैं या कुछ स्थितियों को मनचाहा और बाकी को अवांछित मानते हैं। क्या उस समय आप स्वयं से पूछते हैं कि आप के साथ ये सब क्यों हो रहे हैं?" 
         द्वापर युग के इन दो भाइयों ने अपनी लौकिक लीला के इस वार्तालाप में जीवन का गूढ़ रहस्य समझाया है। हालाँकि यह वार्तालाप और लम्बी है, तथापि यहाँ आलोच्य सन्दर्भ में उस अपूर्व वार्तालाप का इतना ही अंश पर्याप्त है। 
         वास्तव में आप जीवन को केवल जीवन के रूप में नहीं देखते। जैसे ही आप आध्यात्मिकता में कदम रखते हैं, जीवन आप के साथ ज़बर्दस्त तरीके से घटित होता है। मतलब यह कि सब कुछ तेजी से घटित होता हुआ, भागता हुआ प्रतीत होता है। अगर आप किसी वस्तु की पहचान अच्छा या बुरा के रूप में नहीं करते, तो आप देखेंगे कि जीवन अत्यन्त तीव्रता से घटित हो रहा है। अच्छी या बुरी जैसी श्रेणी केवल आप बनाते हैं। सच तो यह है कि न कुछ अच्छी है और न कुछ बुरी, केवल जीवन घटित होता है। कुछ लोग उस का आनन्द उठाते हैं, कुछ लोग उसे झेलते हैं। हम बस इस बात का ध्यान रख सकते हैं कि हर कोई इस का आनन्द उठाये। मूलभूत स्तर के दृष्टिकोण से देखें तो इस धरती पर होनेवाली घटनाएँ कोई महत्त्व नहीं रखतीं। मैं चाहता हूँ कि आप अच्छे और बुरे की पहचान के बिना अपने जीवन की ओर देखें। जीवन अत्यन्त तीव्रता से घटित हो रहा है।
परमसत्ता, जिसे भगवान कहते हैं, ईश्वर कहते हैं। वह परमसत्ता दीखती नहीं लेकिन उस के कई रूप दिखायी देते हैं। प्रकृति उसी सत्ता का दृश्यमान रूप है। प्रकृति के अन्तर्गत ही जीवन और घटनाएँ दिखायी देती हैं। 
अगर आप आध्यात्मिकता की ओर मुड़ना चाहते हैं, तो इस का मतलब है कि प्राकृतिक रूप से आप जीवन के एक बड़े अंश की चाह करते हैं। इसे यों समझें कि जीवन में जिस वस्तु को भी पाने का प्रयास करते हैं, वह जीवन का एक बड़ा हिस्सा पाने की कोशिश होती है। 
         जिस के पास कार नहीं होती, उसे लगता है कि कार वाले लोग बड़े ख़ुशकिस्मत होते हैं। कार निश्चित रूप से आरामदेह और सुविधाजनक होती है, मगर वह कोई ख़ुशकिस्मती नहीं है। अगर विश्व में कारें होती ही नहीं, तो किसी को कार पाने की इच्छा नहीं होती। समस्या यह है कि आप दूसरों से इस तरह अपनी तुलना करते हैं, तो यह विषाद का कारण बन जाता है। अगर जिन के पास कार नहीं है, वे कार वाले से अपनी तुलना न करें, तो उन्हें पैदल चलने या साइकिल चलाने में कोई समस्या नहीं होगी, कोई लज्जा नहीं होगी, किसी प्रकार का दुःख नहीं होगा।
         मैं अस्तित्व के रूप में जीवन की बात कर रहा हूँ। अभी, आप बहुत-सी ऐसी चीजों या घटनाओं को जीवन मानते हैं, जिन का वास्तव में जीवन की वास्तविकता से कोई वास्ता नहीं है। ऐसी तुलना या ऐसा सोच केवल एक विकृत मानसिक अवस्था है। कई दुःख केवल इसी कारण होते हैं। 
         जब आध्यात्मिक रास्ते पर चलते हैं, तो आन्तरिक स्थितियाँ  बहुत तेज गति से परिवर्तित होती हैं। इस के कई कारण हैं। एक मूलभूत कारण प्रारब्ध है। इस जीवन के लिए जो कर्म मिले हैं, उसे ही प्रारब्ध कहते हैं। 
सृष्टि बहुत करुणामयी है। अगर वह इसी जीवन में आप के सारे कर्म दे देती, जिसे संचित कर्म कहते हैं, तो आप मर जाते। बहुत लोग इसी जीवन की स्मृतियों को नहीं झटक पाते। मान लीजिये कि मैं आप को गहरी तीव्रता में आप के सौ जीवनकालों की याद दिला दूँ, तो अधिकतर लोग उस स्मृति का बोझ न सह पाने पर तुरंत प्राण त्याग देंगे। इसलिए, सृष्टि और प्रकृति आप को उतना प्रारब्ध देती है, जितना आप संभाल सकें। अगर आप प्रकृति द्वारा सौंपे गये कर्मों पर ही चलें और आप कोई नया कर्म उत्पन्न नहीं करते– जो संभव नहीं है, तो सौ जन्मों के कर्मों को नष्ट करने के लिए, आप को कम-से-कम सौ और जन्म लेने पड़ेंगे। इन सौ जीवनकालों की प्रक्रिया में हो सकता है कि आप और हज़ार जीवनकालों के लिए कर्म इकट्ठा लें।
         जब कोई आध्यात्मिक पथ पर होता है, तो वह अपने गंतव्य यानी मुक्ति पर पहुँचने की हड़बड़ी में होता है।  वह सौ या हज़ार जीवनकाल नहीं लेना चाहता, वह जल्दी अपने लक्ष्य को पा लेना चाहता है। अगर विशेष रूप में दीक्षा दी जाय, तो मुक्ति के आयाम खुलते हैं जो अन्यथा नहीं खुलते। अगर आप आध्यात्मिक रास्ते पर नहीं होते, तो हो सकता है कि आप अधिक आरामदेह और शांतिपूर्ण जीवन बिता रहे होते, मगर साथ ही एक निर्जीव जीवन भी जी रहे होते। जब आप के साथ कोई मूलभूत चीज घटित नहीं होती, तो आप जीवन से अधिक मृत्यु के निकट होते हैं। 
         आध्यात्मिक प्रक्रिया में प्रवेश का मतलब है, जीवन को वास्तविक रूप से अनुभव करने की इच्छा रखना। जहाँ तक दशकों में नहीं पहुँचा जा सकता, आध्यात्मिकता से वहाँ कुछ दिनों में पहुँचा जा सकता है। यह केवल कहने की बात नहीं है, यह जीवन की सच्चाई है। भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में यही समझाया है। 
         आध्यात्मिक व्यक्ति किसी घटना को अच्छा या बुरा नहीं मानता, उस का सरोकार केवल इस बात से होता है कि जीवन उस के लिए कितनी तीव्रता से घटित हो रहा है। अच्छाई और बुराई समाज से जुड़ी होती है, उन का जीवन से कोई लेना-देना नहीं। अगर आप गुरु प्रदत्त साधना करते हैं, तो आप अपने प्रारब्ध तक सीमित नहीं रहते। गुरु आप की स्थिति के अनुसार ही आप के कालचक्र को तेज करते हैं। दस जीवन के कर्मों को संभालना है तो जीवन की गति संसार से थोड़ी तेज होगी लेकिन अगर सौ जीवनकालों के कर्मों को अभी संभालना है, तो निश्चय ही जीवन बहुत तीव्रता से घटित होगा। ऐसे में संतुलन बनाये रखना बहुत आवश्यक होता है। इस दौरान यदि सामाजिक स्थितियों के असर में आकर किसी से अपनी तुलना करने लगे, तो जीवन जिस गति से घटित होता है, उस से यह लग सकता है कि जीवन में कुछ गड़बड़ है लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता।
         अगर आप आध्यात्मिक होना चाहते हैं, तो इस का मतलब है कि आप अभी जैसे हैं, उस में परिवर्तन चाहते हैं, चरम प्रकृति को अर्थात् परमसत्ता को पाना चाहते हैं, आप असीमित होना चाहते हैं, आप मुक्ति चाहते हैं। इस चाहत को पूरा करने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता है। साधना के माध्यम से गुरु आप में इस ऊर्जा की पूर्ति करते हैं। अत्यधिक ऊर्जा के कारण ही जीवन तेज गति से, ज़बर्दस्त गति से घटित होता है।
इतने शब्दों को लिखने का एक ही मतलब है कि जीवन के घटनाक्रमों को समझना आवश्यक है। अगर जीवन में भौतिक दु:खों की बारम्बारता बनी हुई है तो समझना चाहिए कि आप को ईश्वर की निकटता शीघ्र मिलेगी। इस के लिए आडम्बर और प्रचार से दूर रहनेवाले एक गुरु की खोज कीजिये। 
कृष्णं वन्दे जगद्गुगुरुम्।

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

कोरोना वायरस का नाम कोरोना क्यों पड़ा Why Was The Coronavirus Named Corona

-शीतांशु कुमार सहाय
         नोवेल कोरोना वायरस यानी नोवेल कोरोना विषाणु से उत्पन्न भयंकर महामारी कोविड-19 ने विश्व के 196 देशों में कोहराम मचा रखा है। इस बुलेटिन में मैं बता रहा हूँ कि कोरोना विषाणु का नाम कोरोना क्यों पड़ा। 
         कोरोना वायरस वास्तव में वायरस की एक प्रजाति है। ‘वायरस’ (टपतने) अंग्रेजी का शब्द है जिसे हिन्दी में ‘विषाणु’ कहते हैं। कोरोना वायरस के नामकरण का राज जानने से पहले यह जान लेते हैं कि अबतक कितने कोरोना वायरस खोजे गये हैं। तो आप जान लीजिये कि अबतक सात प्रकार के कोरोना विषाणु खोजे गये हैं। सातवें को नोवेल कोरोना वायरस का नाम दिया गया जो चीन के हूबेई प्रान्त के वुहान शहर से निकलकर विश्वभर में तबाही मचायी है। अन्य छः कोरोना विषाणुओं के नाम और सातों से सम्बन्धित विशेष जानकारी आप पहले के आलेख में जान चुके हैं। उस आलेख में आप यह भी जान चुके हैं कि कौन-कौन कोरोना वायरस साधारण हैं और कौन-कौन जानलेवा साबित होते हैं।

इस सन्दर्भ में वीडियो नीचे के लिंक पर देखें : 


         अब जानते हैं कि कोरोना वायरस का यह नाम क्यों पड़ा? इन दिनों कोरोना नाम तो भय का प्रतीक बन गया है। आप भयभीत मत होइये- केवल स्वच्छता के नियमों का पालन कीजिये, सतर्क रहिये और स्वस्थ रहिये। 
         जानिये कोरोना के नामकरण का राज। आखिर इस का नाम ‘कोरोना’ क्यों पड़ा। कोरोना वास्तव में लैटिन भाषा का शब्द है। दक्षिण अमेरिका महादेश में लैटिन भाषा बोली जाती है। अँग्रेेजी भाषा पर इस का बहुत प्रभाव है। लैटिन भाषा के ‘कोरोना’ शब्द का अर्थ ‘मुकुट’ होता है। वही मुकुट जो राजा अपने सिर पर धारण करते हैं। विषाणु यानी वायरस इतना सूक्ष्म कण है कि इसे न पूरी तरह से सजीव कह जा सकता है और न निर्जीव। यह सजीव और निर्जीव के बीच की कड़ी है। इसे साधारण सूक्ष्मदर्शी से देखना सम्भव नहीं है। इसे विशेष प्रकार के इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से देखना सम्भव है। 
         इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से जब इस वायरस को देखा गया तो इस वायरस के इर्द-गिर्द उभरे हुए काँटे जैसी संरचना दिखायी दी। ये काँटेदार संरचनाएँ मुकुट की तरह प्रतीत होती हैं। इस कारण ही इसे ‘कोरोना’ नाम दिया गया। आप ने संक्रामक रोग फैलानेवाले कोरोना वायरस के नाम का रहस्य जाना। संक्रामक रोग से बचने के लिए स्वच्छता को अपनाइये और हर तरह से सतर्क रहिये, स्वस्थ रहिये।

गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप जारी, कोविड-१९ के संक्रमण से आप को करेगा सतर्क Arogya Setu App Launched, Will Alert You to the Infection of Novel Coronavirus or COVID-19

-शीतांशु कुमार सहाय
         भारत सरकार ने कोविड-१९ (COVID-19) से आम लोग को सुरक्षित रखने के लिए बृहस्पतिवार २ अप्रैल २०२० को आरोग्य सेतु (Aarogya Setu) नाम का एक मोबाइल ऐप जारी किया है। यह ऐप ऐंड्रॉयड और आईओएस के लिए रोलआउट किया गया है। मतलब यह कि आप का मोबाइल फोन ऐंड्रॉयड हो या आईओएस, दोनों पर यह आरोग्य सेतु ऐप काम करता है। इसे आप ऐपल ऐप स्टोर और गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। यह 11 भाषाओं को सपॉर्ट करता है। अँग्रेज़ी, हिन्दी, गुजराती, तेलुगु, तमिल, उड़िया, मलयालम, कन्नड़, मराठी, बांग्ला, पञ्जाबी में यह ऐप काम करता है। लॉन्च होने के कुछ घण्टे बाद ही इस की रेटिंग ४.५ हो गयी। यह २.६ एमबी का है। यह एनआईसी द्वारा जारी किया गया है। गूगल प्ले स्टोर पर जायेंगे तो ऐप के नाम के नीचे NIC eGov Mobile Apps लिखा हुआ मिलेगा।


वीडियो बुलेटिन देखने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें :

Aarogya Setu App Video


         आरोग्य सेतु ऐप (Aarogya Setu App) स्मार्टफोन के लोकेशन डेटा और ब्लूटूथ के माध्यम से प्रयोग करनेवाले को बताता है कि वे कोरोना वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आये थे या नहीं। इस के लिए यह ऐप कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित लोगों के डेटाबेस को चेक करता है।
         पिछले कुछ दिनों से इस ऐप के बीटा वर्जन की टेस्टिंग की जा रही थी और रिलीज हुए स्टेबल वर्जन में बीटा वर्जन वाले लगभग सभी फंक्शन दिये गये हैं। यह ऐप डिवाइस से यूजर के डेटा को एनक्रिप्टेड फॉर्म में लेता है। एनक्रिप्शन कोड जानने के बाद यह यूजर के डेटा को सर्वर पर भेजता है। इस के बाद यूजर को पता चल जाता है कि वे किसी कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति से संपर्क में आये थे या नहीं। इस के लिए ऐप स्मार्टफोन का ब्लूटूथ इस्तेमाल करता है और संक्रमित व्यक्ति के 6 फीट के दायरे में आने पर यूजर को नोटिफाइ करता है।
          अगर आप का कोरोना वायरस टेस्ट पॉजिटिव आया है या आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आये हैं तो यह आप के डेटा को सरकार के साथ शेयर करता है।
       आरोग्य सेतु ऐप में कई और फीचर भी दिये गये हैं। इस में दिये गये चैटबॉच की मदद से आप कोरोना वायरस के लक्षण को पहचान सकते हैं।
यह ऐप हेल्थ मिनिस्ट्री के अपडेट्स और भारत के हर राज्यों के कोरोना वायरस हेल्पलाइन नंबर की लिस्ट भी देता है।
ऐप में यूजर्स की प्राइवेसी यानी निजता का पूरा ध्यान रखा गया है और इसीलिए डेटा को किसी थर्ड पार्टी ऐप के साथ शेयर नहीं किया जाता है।
ऐप डाउनलोड करने के बाद जब आप इसे खोलेंगे तो सब से पहले आप से भाषा पूछी जायेगी। भाषा का विकल्प देने के बाद स्क्रीन पर ऐसा दिखाई देगा। इस में लिखा है- हम सभी में भारत में फ़ैल रही कोरोना वायरस महामारीको रोकने की क्षमता है। क्या आप चाहते हैं कि आप को यह जानकारी मिले कि कहीं आप के सम्पर्क में आया हुआ कोई व्यक्ति कोविड-१९ पॉजिटिव तो नहीं पाया गया है?
अब स्क्रीन को दायें से बायें स्क्रॉल करें। चार पेज स्क्रॉल के रजिस्टर करने का विकल्प आयेगा और उस के बाद सेवा और गोपनीयता की शर्तें माननी होगी।
ऐप इनस्टॉल करने के बाद ब्लूटूथ और लोकेशन को ऑन कर दें और लोकेशन शेयरिंग को ऑलवेज पर सेट कर दें। ऐसा करने पर ही आरोग्य सेतु ऐप काम करेगा।
आरोग्य सेतु के साथ आप स्वयं की, अपने परिवार और मित्रों की कोविड-१९ से सुरक्षा कर सकते हैं और राष्ट्र को इस से लड़ने में सहायता कर सकते हैं।
हम सुरक्षित, तो भारत सुरक्षित।

रामनवमी : कण-कण में हैं राम, भक्ति कीजिये अविराम RAMNAVAMI : RAM IS EVERYWHERE, PRAY HIM

-शीतांशु कुमार सहाय 

कण-कण में हैं राम, 
भक्ति हो अविराम!
लाॅकडाउन के धर्म का करें सब पालन,
कोविड-१९ का तभी होगा पूरा शमन।
घर में रहकर कीजिये पूजन,
श्रीराम-हनुमान का अभिनन्दन। 
कोरोना विषाणु असुर का करेंगे अब संहार,
श्रीराम के धर्म-तीर का होगा ज़ोरदार प्रहार। 


सभी सुधी पाठकों को भगवान राम के अवतरण दिवस रामनवमी की शुभकामना व बधाई!

बुधवार, 1 अप्रैल 2020

धोखाधड़ी से बचें और असली PM-Cares Fund में दान देकर कोविड-१९ को परास्त करें AVOID FRAUD & CONTRIBUTE IN ORIGINAL PM-CARES FUND FOR INDIA'S FIGHTS AGAINST COVID-19

-शीतांशु कुमार सहाय                
         भारत में रहनेवाले भारतीय और विदेश में निवास करनेवाले लाखों भारतीय (NRI) 'प्रधान मंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति राहत निधि' (PM-Cares Fund) में उदारतापूर्वक दान देना चाहते हैं। पर, उन्हें कहाँ दान देना है और कैसे देना है, यह पता नहीं होता है। इसलिए यहाँ पूरी जानकारी दी जा रही है। कितना देना है, यह तो आप पर निर्भर करता है लेकिन किस बैंक खाते में देना है, उस का सम्पूर्ण विवरण यहाँ दिया जा रहा है।
      इन दिनों चीन के हूबेई राज्य के वुहान शहर से शुरू होकर कोविड-१९ (COVID-19) महामारी ने भारत सहित पूरे विश्व को तबाह कर रखा है। नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण से उत्पन्न कोविड-१९ रोग के जानलेवा हमले से भारतवासियों को सुरक्षित रखने के लिए भारत सरकार ने एक लाख सत्तर हज़ार करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है। इस के अलावा अरबों रुपयों के पैकेज की घोषणाएँ सभी राज्य सरकारों ने भी की हैं। अब उद्योगपति, व्यवसायी, कलाकार, विभिन्न संगठन से लेकर आमजन तक प्रधान मंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति राहत निधि में दान दे रहे हैं।     
          सुधी पाठकों से भी आग्रह है कि आप PMCARES में जनहित में दान दें और 'कोविड-१९ से युद्ध' (War against COVID-19) में अपने देश भारत का साथ दें। 
          कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए योगदान को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार ने PM-CARES फंड के लिए सभी दान को आयकर अधिनियम की धारा ८० जी के तहत १०० प्रतिशत कर कटौती का लाभ देने का निर्णय लिया है। इस के लिए आयकर अधिनियम में संशोधन किया गया है। १०० प्रतिशत कर कटौती का लाभ लेने के लिए दानदाता का दावा ३० जून २०२० तक स्वीकार किया जायेगा। ३० जून २०२० तक किया जानेवाला दान की गणना भी वित्त वर्ष २०१९-२० के अन्तर्गत होगी। इस के अलावा, सकल आय के १० प्रतिशत की कटौती की सीमा भी PM-CARES फंड में किये गये दान के लिए लागू नहीं होगी।
        कोरोनोवायरस के प्रकोप से प्रभावित व्यक्तियों को राहत प्रदान करने के लिए प्रधान मंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति राहत निधि (PM-Cares Fund) की स्थापना की गयी है। संक्षेप में इसे पीएम केयर्स फण्ड कहा जाता है। यह सार्वजनिक चैरिटेबल फण्ड है। 
         इस की स्थापना की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने २८ मार्च २०२० को अपराह्न ४:५१ बजे अंग्रेजी में ट्वीट कर दी -People from all walks of life expressed their desire to donate to India’s war against COVID-19. Respecting that spirit, the Prime Minister’s Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations Fund has been constituted. This will go a long way in creating a healthier India. (सभी लोगों ने COVID-19 के खिलाफ भारत के युद्ध में दान देने की इच्छा व्यक्त की। उस भावना का सम्मान करते हुए, प्रधान मंत्री नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति राहत निधि का गठन किया गया है। यह स्वस्थ भारत बनाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।)
         प्रधानमंत्री इस ट्रस्ट के अध्यक्ष होंगे और इस के सदस्यों में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री शामिल होंगे। 

HERE IS YOUR CHANCE TO CONTRIBUTE IN INDIA'S WAR AGAINST COVID-19


       Keeping in mind the objective of dealing with any kind of emergency or distress situation, like the COVID-19 pandemic, and to provide relief to the affected, a public charitable trust under the name of Prime Minister's Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations (PM CARES) Fund has been set up.

       This fund also accepts micro-donations, as a result of which, a large number of people will be able to contribute with smallest of denominations.
         
           किसी भी प्रकार की आपातकालीन या संकट की स्थिति से निपटने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, जैसे कि COVID-19 महामारी, और प्रभावितों को राहत प्रदान करने के लिए, प्रधानमंत्री के नागरिक सहायता और आपातकालीन स्थिति में राहत के नाम पर एक सार्वजनिक चैरीटेबल ट्रस्ट (PM CARES) फंड की स्थापना की गयी है।
        यह कोष सूक्ष्म दान को भी स्वीकार करता है, जिस के परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में लोग छोते-छोते योगदान करने में सक्षम होंगे।

HOW TO CONTRIBUTE?

Name of the Account : PM CARES
Account Number : 2121PM20202
IFSC Code : SBIN0000691
SWIFT Code : SBININBB104
Name of Bank & Branch : State Bank of India, New Delhi Main Branch
UPI ID : pmcares@sbi
किसी भी अन्य बैंक खाते में इस फण्ड के नाम पर दान न दें, वह गलत हो सकता है 

रविवार, 29 मार्च 2020

COVID-19 कोरोना नाम से डरिये नहीं, ७ प्रकार के होते हैं कोरोना वायरस Do Not be Afraid to Name of Corona, There are 7 Types of Coronavirus

-शीतांशु कुमार सहाय
         कोरोना विषाणु यानी कोरोना वायरस का नाम सुनते ही लोग डर जाते है। इस ने विश्वस्तर पर कोहराम मचा रखा है। पर, क्या आप जानते हैं कि चीन के हूबेई राज्य के वुहान शहर से ही केवल कोरोना वायरस की शुरुआत नहीं हुई। वुहान से निकलकर जिस वायरस ने विश्वभर में कहर ढाया है, वह वास्तव में नोवेल कोरोना वायरस है यानी बिल्कुल नया प्रकार का कोरोना वायरस। मैं आप को इस बुलेटिन में चीन वाले अत्यन्त हानिकारक और जानलेवा कोरोना वायरस के अलावा छः अन्य कोरोना वायरस के बारे में बताऊँगा।

वीडियो देखने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें :


         कोरोना वायरस वास्तव में वायरस की एक प्रजाति है। ‘वायरस’ (Virus) अंग्रेजी का शब्द है जिसे हिन्दी में ‘विषाणु’ कहते हैं। इसे न तो पूरी तरह से सजीव कहा जा सकता है और न निर्जीव। यह सजीव और निर्जीव के बीच की कड़ी है। जबतक यह उपयुक्त वातावरण नहीं पाता, तबतक निष्क्रिय पड़ा रहता है। अलग-अलग विषाणु के निष्क्रिय रहने पड़े रहने की निश्चित अवधि होती है। इस अवधि को ही उस की आयु मानी जाती है। जैसे ताम्बे पर नोवेल कोरोना वायरस चार घण्टों तक निष्क्रिय पड़ा रहता है और जब किसी तरीके से शरीर में या अन्य उपयुक्त वातावरण में चला जाता है तो सक्रिय हो जाता है और जानलेवा साबित हो सकता है।       
         अबतक सात प्रकार के कोरोना विषाणु खोजे जा चुके हैं। सातवें कोरोना वायरस को चीन के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर ली वेनलियांग ने ३० दिसम्बर २०१९ को खोजा। ली वेनलियांग ने अपने साथी चिकित्सकों को बताया कि उन्होंने कुछ मरीजों में बिल्कुल नये वायरस से उत्पन्न रोग के लक्षण देखे हैं। इस कारण चीन प्रशासन ने उन्हें प्रताड़ित भी किया। बाद में उन की बात सच निकली और नया वायरस कोरोना प्रजाति का निकला जिसे ‘नोवेल कोरोना वायरस’ का नाम दिया गया। इस से उत्पन्न रोग को ‘कोरोनावायरस डिजिज 2019’ की संज्ञा दी गयी जिसे संक्षेप में ‘कोविड-19’ कहा जाता है। इस ने तीन महीने से भी कम समय में पूरे विश्व को अपने चपेट में ले लिया और विश्वभर की समस्त गतिविधियाँ थम गयीं। संसार ने ऐसी महामारी पहले कभी नहीं देखी।
         अगर चीन प्रशासन ली वेनलियांग की बात मान लेता और विश्व को नोवेल कोरोना वायरस के घातक परिणाम की चेतावनी पहले ही दे देता तो विश्व के सैकड़ों देशों को अरबों डॉलर की क्षति नहीं उठानी पड़ती और हज़ारों लोग की जान बच जाती। चीन ने ६ फरवरी २०२० को ली वेनलियांग की मौत की पुष्टि की और कहा कि उन्होंने जिस नोवेल कोरोना वायरस को खोजा, वही उन की मौत का कारण बना। 
          नोवेल कोरोना वायरस के अलावा अन्य छः कोरोना विषाणुओं के नाम जानने से पहले जानते हैं कि इस का नाम ‘कोरोना’ क्यों पड़ा। कोरोना वास्तव में लैटिन भाषा का शब्द है जिस का अर्थ ‘मुकुट’ होता है। इस वायरस के इर्द-गिर्द उभरे हुए काँटे जैसे ढाँचों से इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में मुकुट जैसा आकार दीखता है। इस कारण ही इसे ‘कोरोना’ नाम दिया गया।
         अब जानिये छः अन्य कोरोना विषाणुओं के बारे में। ये छः प्रकार के कोरोना वायरस पहले से ही मौज़ूद हैं। इन में से चार से डरने की ज़रूरत नहीं हैै। ये आप के साथ रहते हैं और अब भी शरीर में उपस्थित हो सकते हैं। ये कोई नुकसान नहीं पहुँचाते हैं। चीन वाला कोरोना यानी नोवेल कोरोना घातक है। बहुत कम हानि पहुँचानेवाले चार कोरोना वायरस हैं-
         (१) २२९ ई अल्फा कोरोना वायरस (229 E Alpha Coronavirus)
         (२) एनएल ६३ अल्फा कोरोना वायरस (NL 63 Alpha Coronavirus)
         (३) ओसी ४३ बीटा कोरोना वायरस (OC 43 Beta Coronavirus)
         (४) एचकेयू १ बीटा कोरोना वायरस (HKU 1 Beta Coronavirus)
         जिस व्यक्ति के शरीर में ये चारों वायरस होते हैं, उसे पता तक नहीं चलता है। कोरोना प्रजाति के ये चार वायरस किसी भी तरह से जानलेवा नहीं हैं। इन की जाँच सामान्य पैथोलॉजिकल लैब में हो सकती है। तो केवल कोरोना नाम से मत घबराइये।
         अब और तीन कोरोना वायरस को जानते हैं जो ज़्यादा घातक हैं। पाँचवाँ कम लेकिन छठा और सातवाँ प्राणघातक भी साबित होते हैं। इन के नाम जानिये-
         (५) एमईआरएस-सीओवी बीटा कोरोना वायरस (MERS-CoV Beta Coronavirus)
         (६) एसएआरएस-सीओवी बीटा कोरोना वायरस (SARS-CoV Beta Coronavirus)
         (७) एसएआरएस-सीओवी-२ नोवेल कोरोना वायरस  (SARS-CoV-2 Novel Coronavirus)
         यही सातवाँ सब से अधिक जानलेवा है। इस के संक्रमण से कोविड-१९ नाम का घातक रोग उत्पन्न होता है। 
         याद रखिये, ये सातों प्रकार के कोरोना वायरस १४ दिन के अन्दर उपयुक्त वातावरण न मिलने पर स्वयं नष्ट हो जाते हैं। इसलिए नोवेल कोरोना वायरस से होनेवाले जानलेवा रोग कोविड-१९ के संक्रमण की शृँखला यानी इन्फेक्शन चेन को तोड़ने के लिए कम-से-कम तीन सप्ताह के क्वारेनटाइन की आवश्यकता पड़ती है।
..       .....तो परिवार के सदस्यों के साथ स्वस्थ रहिये,  ख़ुश रहिये!

शनिवार, 28 मार्च 2020

शीतांशु टीवी के आग्रह का असर, ईएमआई देनदारी 3 माह टली Impact of Sheetanshu TV's Request, EMI Liability Postponed 3 Months


         शीतांशु टीवी ने अपने अधिकृत ट्विटर हैण्डल से लगातार तीन ट्विट किया। इस में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन को कोट कर कम आय वर्ग के लोग की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया गया था। 23 मार्च 2020 को ये ट्विट किये गये। इस में ईएमआई को 3 माह स्थगित करने का आग्रह किया गया था। 27 मार्च 2020 को भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ऐसी ही घोषणा कर करोड़ों देशवासियों को राहत दी।
         ट्विट में सरकार से आग्रह करते हुए कहा गया था कि दैनिक कामगार और असंगठित क्षेत्र के कार्मिकों को कोविड-19 महामारी के खतरे से बचाने के लिए देशव्यापी किये गये 21 दिन के लॉकडाउन के कारण रोज़गार और आमदनी में गिरावट आयी। ऐसे लोग सीमित आमदनी के कारण आवश्यकता की महंगी वस्तुओं को किस्त पर खरीदते हैं। ये किस्त देने की स्थिति में नहीं हैं, अतः ईएमआई को तीन महीने आगे बढ़ा दिया जाय। जनहित में शीतांशु टीवी के ये ट्विट बड़े लाभकारी साबित हुए।
  
        भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो दर, रिवर्स रेपो दर और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती की घोषणा शुक्रवार, 27 मार्च 2020 को की। उन्होंने ऋणधारको के लिए भी राहत का ऐलान किया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि वित्तीय बाजार की स्थिरता और आर्थिक वृद्धि संभालने के लिए परंपरागत या लीक से हट कर, सभी प्रकार के विकल्प विकल्प खुले हैं।
नोवेल कोरोना विषाणु के संक्रमण को देखते हुए देशभर में लॉकडाउन की गयी है। इस कारण अर्थव्यवस्था को भारी आघात पहुँचा है। अर्थव्यवस्था को और अधिक हानि न हो, इस के लिए वित्त मंत्रालय के बाद अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बड़े कदम उठाये हैं। 
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास
         रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 0.75 प्रतिशत की कटौती की। कटौती के बाद रेपो दर 4.4 प्रतिशत पर आ गयी। इस से आनेवाले दिनों में ऋण सस्ता मिलेगा। आरबीआई ने कर्ज देने वाले सभी वित्तीय संस्थानों को सावधिक कर्ज की किस्तों की वसूली पर तीन महीने तक रोक की सलाह दी। गवर्नर ने कहा, कार्यशील पूंजी पर ब्याज भुगतान को टाले जाने को चूक नहीं माना जायेगा, इस से कर्जदार की रेटिंग (क्रेडिट हिस्ट्री) पर असर नहीं पड़ेगा।
         आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रिवर्स रेपो दर में 0.90 प्रतिशत की कमी की गई है। इसी तरह सीआरआर में एक प्रतिशत की कटौती हुई। अब सीआरआर 3 प्रतिशत पर आ गया है। गवर्नर ने कहा, रेपो दर में कमी से कोरोना वायरस महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने में मदद मिलेगी। सीआरआर में कटौती, रेपो दर आधारित नीलामी समेत अन्य कदम से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए अतिरिक्त 3.74 लाख करोड़ रुपये के बराबर अतिरिक्त नकद धन उपलब्ध होगा। 


बुधवार, 25 मार्च 2020

कोविड-१९ : दवाई व टीका तैयार, जेनिफर पर पहला मानव परीक्षण COVID-19 : Medicines and Vaccine Ready, First Human Tested on Jennifer

-शीतांशु कुमार सहाय
         पूरा संसार चीन की मनमानी से उत्पन्न नोवेल कोरोना विषाणु के खिलाफ युद्ध कर रहा है। चीन ने काफ़ी देर से इस नोवेल कोरोना विषाणु से उत्पन्न रोग कोविड-१९ की भयावहता से संसार को परिचय कराया और तब तक इस से संक्रमित लोग चीन से कई देशों तक पहुँच चुके थे और बड़ी तेज गति से इस रोग ने महामारी का रूप ले लिया। इसलिए इसे चीन द्वारा विश्व समुदाय से अघोषित परोक्ष युद्ध की संज्ञा दी गयी है। चीन की इस ख़तरनाक हरक़त से पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चौपट हो रही है। सारी गतिविधियाँ कोरोना युद्ध से जीतने में सिमट गयी है। स्थिति इतनी ख़राब है कि पृथ्वी का पूरा मानव समुदाय नोवेल कोरोना विषाणु से काँप रहा है। 
         नवम्बर २००२ और जुलाई २००३ के बीच कहर बनकर बरपे संक्रामक रोग सार्स भी चीन से ही पनपा था। वास्तव में सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिण्ड्रोम जिसे हिन्दी में गम्भीर तीव्र श्वसन रोग का लक्षण कहा जाता है, इसे ही संक्षेप में SARS यानी सार्स कहा गया। कोरोना वायरस के सम्बन्ध में चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग का मानना है कि नोवेल कोरोना वायरस का करीब १७ साल पहले चीन में आतंक मचा चुके सार्स से जुड़ाव ख़तरनाक है। 
        इस भयावह स्थिति के बीच आशाभरी एक खबर संयुक्त राज्य अमेरिका से आयी है। अमेरिका में कोरोना वायरस की दवाई और वैक्सीन तैयार की जा चुकी है। पहले इस का परीक्षण अन्य जन्तुओं पर किया गया। उस के बाद मानव पर भी इस टीके का परीक्षण हो चुका है। खु़शी की बात है कि ये सारे परीक्षण सफल रहे हैं। जो दवा बनायी गयी है वह पहले से मलेरिया रोग के शमन के लिए उपयोग की जा रही दवा क्लोरोक्वीन (cloroquine) और हाड्रोक्सिक्लोरोक्वीन (Hydroxycloroquine) के संयोग से बनायी गयी है। भारत में भी इन दोनों दवाइयों के प्रयोग कोविड-१९ के रोगियों पर हो रहे हैं। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इस से नोवेल कोरोना वायरस को खत्म करने में सफलता हासिल की है। 
         अमेरिका सहित चार देशों में क्लोरोक्वीन और हाड्रोक्सिक्लोरोक्वीन के संयोग से बनी दवाई और टीके के ट्रायल के शानदार सकारात्मक परिणाम आये हैं। अमेरिका के अलावा चीन, दक्षिण कोरिया और फ्रान्स में अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा विकसित कोरोना विषाणु को ख़त्म करनेवाले टीके का ट्रायल किया गया है। अब इस के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी मिली है।
       अमेरिका के सेण्टर फॉर डिजिज कण्ट्रोल एण्ड प्रिवेन्शन (CDC) के अनुसार अमेरिकी वैज्ञानिकों ने मलेरिया की दवा क्लोरोक्वीन और हाड्रोक्सिक्लोरोक्वीन के संयोग से एक टीका भी तैयार किया है। अमेरिका की फूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने इस टीके के क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी दी है। फरवरी २०२० से इस टीके के ट्रायल चीन, दक्षिण कोरिया, फ्रान्स और अमेरिका में सफल रहे हैं। जिन मरीजों का इलाज इस टीके से किया गया है, उन में काफी प्रभावी नतीजे मिले हैं।
         नोवेल कोरोना वायरस से उत्पन्न रोग कोविड-१९ का टीका यानी वैक्सीन का पहला मानव परीक्षण अमेरिका में वॉशिंगटन के सिएटल शहर में यहीं की एक ४३ साल की महिला जेनिफर हॉलर पर किया है। नोवेल कोरोना वायरस से बचाने के लिए बनाये गये वैक्सीन का परीक्षण सोमवार, २३ मार्च २०२० से शुरू हो चुका है। अमेरिका में राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) इस परीक्षण के लिए धन मुहैया करा रहा है और यह परीक्षण सिएटल में कैसर परमानेण्ट वॉशिंगटन हेल्थ रिसर्च इन्स्टीट्यूट में हो रहा है। यह परीक्षण ४५ युवा एवं स्वस्थ स्वेच्छाकर्मियों के साथ शुरू हुआ।
         अमेरिकी सरकार जल्द ही इस टीके से चिकित्सा शुरू कर सकती है। अमेरिकी वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस को खत्म करने में इस नये टीके ने सफलता हासिल की है। हालाँकि किसी भी टीके को मंजूरी देने में काफी लम्बा समय लगता है लेकिन वैश्विक चुनौती और हालात देखते हुए अगले कुछ दिनों में इसे इलाज के लिए हरी झण्डी मिलने की उम्मीद है। 
         वैज्ञानिको का कहना है कि सार्स वायरस को खत्म करने में इस दवा ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। इस बार इस टीके में कोरोना वायरस के जेनेटिकल कोड के हिसाब से बदलाव किये गये हैं। कोरोना वायरस से लड़ने में इस टीके के नतीजे़ काफ़ी आशाजनक हैं। वास्तव में सार्स का ही भयंकर रूप है नोवेल कोरोना वायरस।           भारत के केन्द्रीय स्वास्थ्य मन्त्रालय के का कहना है कि अगर किसी टीके को अमेरिका के थ्क्। यानी फूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से मंजूरी मिल जाती है तो भारत बिना देरी किये इस का इस्तेमाल कर सकता है। आम तौर पर भारत में किसी नयी दवा को चिकित्सा में शामिल करने से पहले लम्बी प्रक्रिया से गुजरना होता है। सामान्य तौर पर मंजूरी मिलने में २ से ३ महीने भी लग जाते हैं।

शनिवार, 21 मार्च 2020

कोविड-१९ : कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ायें Covid-19 : Increase Immunity To Avoid Corona Virus Infection

-शीतांशु कुमार सहाय
कोरोना वायरस डिजिज २०१९ (Corona virus disease 2019) का संक्षिप्त नाम कोविड-१९ (COVID-19) है। चीन के हूबेई राज्य के वुहान शहर से शुरू होकर एक नये प्रकार के कोरोना विषाणु ने पूरे विश्व में जानलेवा संक्रामक रोग उत्पन्न किया। इस कोरोना वायरस को ‘नोवेल कोरोना वायरस’ का नाम दिया गया। यह सब से पहले पिछले वर्ष यानी २०१९ में पता चला। इसलिए नोवेल कोरोना वायरस से उत्पन्न रोग को ‘कोविड-१९’ का नाम दिया गया।

रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ानेवाली औषधियों का वीडियो देखने के लिए नीचे के लिंक पर क्लिक करें....

नोवेल कोरोना विषाणु का पता लगानेवाले चीन के चिकित्सक डॉक्टर ली वेनलियांग की सन्देहास्पद मौत बृहस्पतिवार, छः फरवरी २०२० को हो गयी। कहा गया कि ली वेनलियांग की मौत कोविड-१९ के संक्रमण से हुई। जिसे ली ने खोजा उसी नोवेल कोरोना वायरस ने उन की जान ले ली। डॉक्टर ली वेनलियांग वुहान सेण्ट्रल हॉस्पिटल में नेत्र रोग विशेषज्ञ थे। उन्होंने ३० दिसम्बर २०१९ को साथी चिकित्सक से कहा था कि उन्होंने कुछ मरीजों में सार्स कोरोना वायरस जैसे लक्षण देखे हैं। इस पर चीनी प्रशासन ने ली को प्रताड़ित किया और सख्त हिदायत दी कि वह नया रोग बोलकर लोग को भ्रमित न करें। बाद में डॉक्टर ली वेनलियांग की बात सच निकली और सार्स जैसे लक्षणवाले नये वायरस का नाम ‘नोवेल कोरोना वायरस’ रखा गया और इस के संक्रमण से होनेवाले रोग का नाम ‘कोविड-१९’ दिया गया। यह वायरस मनुष्य से मनुष्य में फैलता है।
अब जानते हैं शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ानेवाली आयुर्वेदिक, यूनानी और होमियोपैथिक औषधियों के बारे में।

आयुर्वेदिक उपाय और औषधियाँ

आयुर्वेद के अनुसार वात, पित्त और कफ की कमी या अधिकता से ही रोग होते हैं। कोविड19 कफ की गम्भीर बीमारी है जिसे सन्युक्त राष्ट्र संघ सहित दर्जनों देशों ने महामारी घोषित किया है। आयुर्वेद की जन्मभूमि भारत है और यहाँ कोई भी काम करने से पहले हस्तप्रक्षालन यानी हाथों को धोना और पादप्रक्षालन यानी पैरों को साफ करने की परम्परा है।
हाथों और पैरों को दिनभर में पाँच-छः बार साफ करें तो संक्रामक रोगों से बचा जा सकता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेद के मतानुसार, हर बार गर्म या गुनगुना जल पीयें। ज़्यादा ठण्ड या बर्फ़ वाले जल का सेवन करने से कफ के अलावा वात और पित्त के सन्तुलन भी बिगड़ जाते हैं। 
कमजोर प्रतिरोधक क्षमतावाले लोग दूध में हल्दी डालकर पीयें। वयस्क लोग एक गिलास दूध में एक चम्मच और बच्चे आधा चम्मच का उपयोग करें। इसे भोजन के उपरान्त रात में ग्रहण करें।
तुलसी के पत्तों और काली मिर्च को एक साथ काला नमक या सेन्धा नमक के साथ चबाकर खायें। इन दोनों का काढ़ा बनाकर भी आप पी सकते हैं। हाई ब्लड प्रेशर के रोगी हैं तो काढ़े में नमक न डालें।
इसी तरह शहद के साथ हल्दी खाने से भी इम्यूनिटी अर्थात् रोग से लड़ने की अन्दरूनी शक्ति तेजी से बढ़ती है।
जो बार-बार बीमार पड़ जाते हैं, किसी भी संक्रामक रोग के शिकार हो जाते हैं या मौसम बदलने पर बीमार पड़ जाते हैं तो ऐसे लोग घर पर आयुर्वेदिक औषधि बनायें। दो लीटर स्वच्छ जल लीजिये। अब गिलोय २० ग्राम, सूखा आँवला २० ग्राम, मुलेठी १० ग्राम और सौंफ के १० ग्राम की मात्रा को जल में डालकर धीमी आँच पर इतना उबालें कि जल आधा हो जाय। भोजन के उपरान्त इस काढ़े की छः चम्मच मात्रा वयस्कों को और तीन चम्मच बच्चों को प्रतिदिन दो बार देनी चाहिये। यह बेहतर इम्यूनिटी बुस्टर है।
आप चाहें तो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किसी भी आयुर्वेदिक कम्पनी की औषधि भी खरीद सकते हैं। औषधियों के नाम जानिये-गिलोय वटी, तुलसी वटी और नीम वटी। इन तीनों में से दो-दो वटी यानी दो-दो टैब्लेट लीजिये और इन्हें अदरख और नीम्बू के रस के र्साथ भोजन के बाद सुबह-शाम ग्रहण करें। 

यूनानी औषधि

आयुर्वेद की तरह यूनानी चिकित्सा पद्धति में भी हस्तप्रक्षालन और पादप्रक्षालन पर जोर दिया जाता है। यूनानी में कुरान के कुछ नियम अपनाये जाते हैं। नमाज से पहले वजु करने का नियम है। केहुनी तक हाथ और घुटनों तक पैरों को धोने को ही वजु कहते हैं। ईरान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, कुवैत, बहरीन जैसे इस्लामिक देशों के लोग वजु का पालन सही ढंग से करते तो वहाँ नोवेल कोरोना वायरस का इतना ज़्यादा संक्रमण नहीं फैलता।
यूनानी में शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानेवाली प्रमुख औषधि है- खमीरा मरवारीद। इस की पाँच ग्राम मात्रा प्रतिदिन दूध के साथ ली जानी चाहिये। खमीरा मरवारीद टैब्लेट के रूप में भी उपलब्ध है। इस के अलावा जवारिश शाही, जवारिश कमूनी और माजून दबीदुलवर्द से भी इम्यूनिटी बढ़ती है। इन दवाइयों के रैपर पर प्रयोग विधि दी हुई है।

होमियोपैथिक औषधि       

होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति में बीमारी के आधार पर नहीं, लक्षण के आधार पर चिकित्सा की जाती है। सर्दी, छींक, खाँसी, सिरदर्द, शरीर में दर्द, बुखार, कमजोरी, पाचन में गड़बड़ी, निमोनिया, साँस लेने में तकलीफ कोविड-१९ बीमारी के लक्षण हैं। इसलिए नोवेल कोरोना विषाणु के संक्रमण से बचने के लिए आर्सेनिक एलबम-३० दवा लेनी चाहिये। 
इस रोग के प्रति निरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ रोग का संक्रमण होने पर इसी दवा से इलाज सम्भव है। यदि कोविड-१९ हो गया हो तो होमियोपैथिक दवा आर्सेनिक एलबम-३० तीन बार प्रतिदिन लेनी चाहिये। 
         सतर्क रहिये, इम्यूनिटी बढ़ाइये और स्वस्थ रहिये।

शुक्रवार, 20 मार्च 2020

कोविड-१९ : कोरोना वायरस संक्रमण से बचें, घर पर बनायें सेनिटाइज़र COVID-19 : Avoid Corona Virus Infection, Make Sanitizer At Home

-शीतांशु कुमार सहाय
         नोवेल कोरोना वायरस विषाणु से उत्पन्न कोविड-19 वास्तव में तेज गति से बढ़नेवाला संक्रामक रोग है। यह जानलेवा महामारी विश्वव्यापी गम्भीर समस्या बनकर उभरा है। लोग हैण्डवाश और सेनिटाइज़र का खूब उपयोग कर रहे हैं। हैण्डवाश या सेनिटाइज़र ज़्यादा महंगे पड़ते हैं। अगर इन में रसायनों की उचित मात्रा नहीं दी गयी होगी तो वे वायरस यानी विषाणुओं को ख़त्म करने में सक्षम नहीं होंगे।

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         मैं आप को बता रहा हूँ घर में ही अत्यन्त कम खर्चे पर सेनिटाइज़र कैसे बना सकते हैं। जो सेनिटाइज़र बनाना आप सीखेंगे, वह बाज़ार के केमिकल वाले सेनिटाइज़र से बेहतर साबित होंगे।
         एक लीटर साफ जल लीजिये। इस में नीम के 54 हरी पत्तियों को और तुलसी की 21 पत्तियों को डालें। पत्तियों का आकार छोटा हो तो संख्या बढ़ा दें। धीमी आँच पर इतना उबालें कि जल आधा लीटर रह जाय। इसे उतारकर साफ सूती कपड़े से छान लें।
         अब पुनः छः सौ मिलीलीटर जल चूल्हे पर चढ़ायें और इसे पूरी तरह उबालें। उबलने पर उतार लें और इस में असली कर्पूर का चूर्ण दस ग्राम और फिटकिरी का चूर्ण दस ग्राम डालकर अच्छी तरह मिला दें। 
इस के बाद नीम-तुलसी के काढ़े में कर्पूर-फिटकिरी वाला घोल मिला दीजिये। ठण्डा होने पर बोतल में भर लें। इस तरह कम खर्च पर एक लीटर सेनिटाइज़र तैयार हो गया जो बाज़ार के सेनिटाइज़र से बेहतर है। पूरे विश्वास के साथ इस का उपयोग करें। 
         इस प्राकृतिक सेनिटाइज़र का स्प्रे घर में करें। इस से सूती कपड़ा भींगाकर स्पर्श करनेवाले जगहों को पोंछ दें तो वह विषाणुमुक्त हो जायेगा। 
कोरोना वायरस से डरिये नहीं। स्वच्छता का पूरा ख्याल रखिये और जो सेनिटाइज़र बनाना आप ने सीखा, उसे अपने मित्रों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों को भी बताइये; ताकि वे भी कोविड-19 और अन्य संक्रामक रोगों से बचे रहें।

COVID-19 से बचें, घर पर सेनिटाइजर बनायें Make Sanitizer at Home #coronavirus #COVID19 #IndiaFi...

गुरुवार, 19 मार्च 2020

22 मार्च को जनता कर्फ्यू, Coronavirus से उत्पन्न COVID19 पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश Janata curfew on March 22, Full Message to Nation by The Prime Minister of India on COVID19

  •          मेरे प्यारे देशवासियों, आप से मैंने जब भी, जो भी माँगा है, मुझे कभी देशवासियों ने निराश नहीं किया है। ये आप के आशीर्वाद की ताकत है कि हमारे प्रयास सफल होते हैं।
  •          इस समय पूरा विश्व और भारत देश कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी से जूझ रहा है।
  •          आज मैं आप सभी देशवासियों से, आप से, कुछ माँगने आया हूँ। मुझे आप के आनेवाले कुछ सप्ताह चाहिए, आप का आनेवाला कुछ समय चाहिए।
  •          अभी तक विज्ञान, कोरोना महामारी से बचने के लिए, कोई निश्चित उपाय नहीं सुझा सका है और न ही इस की कोई वैक्सीन बन पायी है। ऐसी स्थिति में चिंता बढ़नी बहुत स्वाभाविक है। इन देशों में शुरुआती कुछ दिनों के बाद अचानक बीमारी का जैसे विस्फोट हुआ है। इन देशों में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है।
  •          भारत सरकार इस स्थिति पर, कोरोना के फैलाव के इस ट्रैक रिकॉर्ड पर पूरी तरह नजर रखे हुए है।
  •          आज जब बड़े-बड़े और विकसित देशों में हम कोरोना महामारी का व्यापक प्रभाव देख रहे हैं, तो भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, ये मानना गलत है।
  •          इसलिए, इस वैश्विक महामारी का मुकाबला करने के लिए दो प्रमुख बातों की आवश्यकता है, पहला- संकल्प और दूसरा- संयम।
  •          आज 130 करोड़ देशवासियों को अपना संकल्प और दृढ़ करना होगा कि हम इस वैश्विक महामारी को रोकने के लिए एक नागरिक के नाते, अपने कर्तव्य का पालन करेंगे, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के दिशा निर्देशों का पालन करेंगे।
  •          आज हमें ये संकल्प लेना होगा कि हम स्वयं संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरों को भी संक्रमित होने से बचाएंगे। साथियों, इस तरह की वैश्विक महामारी में, एक ही मंत्र काम करता है- 'हम स्वस्थ तो जग स्वस्थ।'
  •          ऐसी स्थिति में, जब इस बीमारी की कोई दवा नहीं है, तो हमारा खुद का स्वस्थ बने रहना बहुत आवश्यक है। इस बीमारी से बचने और खुद के स्वस्थ बने रहने के लिए अनिवार्य है संयम। और संयम का तरीका क्या है- भीड़ से बचना, घर से बाहर निकलने से बचना।
  •         आजकल जिसे सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) कहा जा रहा है, कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में, ये बहुत ज्यादा आवश्यक है। इसलिए मेरा सभी देशवासियों से ये आग्रह है कि आने वाले कुछ सप्ताह तक, जब बहुत जरूरी हो तभी अपने घर से बाहर निकलें।
  • जितना संभव हो सके, आप अपना काम, चाहे बिजनेस से जुड़ा हो, ऑफिस से जुड़ा हो, अपने घर से ही करें। मेरा एक और आग्रह है कि हमारे परिवार में जो भी सीनियर सिटिजन्स हों, 65 वर्ष की आयु के ऊपर के व्यक्ति हों, वो आने वाले कुछ सप्ताह तक घर से बाहर न निकलें।
  • आज की पीढ़ी इस से बहुत परिचित नहीं होगी, लेकिन पुराने समय में जब युद्ध की स्थिति होती थी, तो गाँव-गाँव में ब्लैकआउट किया जाता था। घरों के शीशों पर कागज़ लगाया जाता था, लाइट बंद कर दी जाती थी, लोग चौकी बनाकर पहरा देते थे।
  •          मैं आज प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन माँग रहा हूँ। ये है जनता-कर्फ्यू। जनता कर्फ्यू यानि जनता के लिए, जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू। इस रविवार, यानि 22 मार्च को, सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक, सभी देशवासियों को, जनता-कर्फ्यू का पालन करना है।
  • साथियों, 22 मार्च को हमारा ये प्रयास, हमारे आत्म-संयम, देशहित में कर्तव्य पालन के संकल्प का एक प्रतीक होगा। 22 मार्च को जनता-कर्फ्यू की सफलता, इसके अनुभव, हमें आने वाली चुनौतियों के लिए भी तैयार करेंगे।
  •          संभव हो तो हर व्यक्ति प्रतिदिन कम-से-कम 10 लोगों को फोन करके कोरोना वायरस से बचाव के उपायों के साथ ही जनता-कर्फ्यू के बारे में भी बताए। साथियों, ये जनता कर्फ्यू एक प्रकार से हमारे लिए, भारत के लिए एक कसौटी की तरह होगा। ये कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए भारत कितना तैयार है, ये देखने और परखने का भी समय है।
  • आपके इन प्रयासों के बीच, जनता-कर्फ्यू के दिन, 22 मार्च को मैं आपसे एक और सहयोग चाहता हूं।
  • मैं चाहता हूँ कि 22 मार्च, रविवार के दिन हम ऐसे सभी लोगों को धन्यवाद अर्पित करें। रविवार को ठीक 5 बजे, हम अपने घर के दरवाजे पर खड़े होकर, बाल्कनी में, खिड़कियों के सामने खड़े होकर 5 मिनट तक ऐसे लोगों का आभार व्यक्त करें।
  •          पूरे देश के स्थानीय प्रशासन से भी मेरा आग्रह है कि 22 मार्च को 5 बजे, सायरन की आवाज से इसकी सूचना लोगों तक पहुँचाएँ। सेवा परमो धर्म के हमारे संस्कारों को मानने वाले ऐसे देशवासियों के लिए हमें पूरी श्रद्धा के साथ अपने भाव व्यक्त करने होंगे।
  • संकट के इस समय में, आप को ये भी ध्यान रखना है कि हमारी आवश्यक सेवाओं पर, हमारे हॉस्पिटलों पर दबाव भी निरंतर बढ़ रहा है। इसलिए मेरा आप से आग्रह ये भी है कि रूटीन चेक-अप के लिए अस्पताल जाने से जितना बच सकते हैं, उतना बचें।
  • कोरोना महामारी से उत्पन्न हो रही आर्थिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, वित्त मंत्री के नेतृत्व में सरकार ने एक कोविड-19- इकोनॉमिक रिस्पॉन्स टास्क फोर्स के गठन का फैसला लिया है।
  • ये टास्क फोर्स, ये भी सुनिश्चित करेगी कि, आर्थिक मुश्किलों को कम करने के लिए जितने भी कदम उठाए जाएँ, उन पर प्रभावी रूप से अमल हो। संकट के इस समय में मेरा देश के व्यापारी जगत, उच्च आय वर्ग से भी आग्रह है कि अगर संभव है तो आप जिन-जिन लोगों से सेवाएँ लेते हैं, उन के आर्थिक हितों का ध्यान रखें।
  •          मैं देशवासियों को इस बात के लिए भी आश्वस्त करता हूँ कि देश में दूध, खाने-पीने का सामान, दवाइयाँ, जीवन के लिए जरूरी ऐसी आवश्यक चीजों की कमी न हो, इस के लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं।
  •         पिछले दो महीनों में, 130 करोड़ भारतीयों ने, देश के हर नागरिक ने, देश के सामने आए इस संकट को अपना संकट माना है, भारत के लिए, समाज के लिए उससे जो बन पड़ा है, उस ने किया है।
  • मुझे भरोसा है कि आने वाले समय में भी आप अपने कर्तव्यों का, अपने दायित्वों का इसी तरह निर्वहन करते रहेंगे। हां, मैं मानता हूं कि ऐसे समय में कुछ कठिनाइयां भी आती हैं, आशंकाओं और अफवाहों का वातावरण भी पैदा होता है। कुछ दिन में नवरात्रि का पर्व आ रहा है। ये शक्ति उपासना का पर्व है। भारत पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़े, यही शुभकामना है।

सोमवार, 16 मार्च 2020

नवग्रह उपासना-१० : नवग्रह कवच से रोग और शोक से मुक्ति #NavgrahUpasana



         रोग, शोक और हर तरह के दु:ख से बचने के लिए प्रतिदिन प्रातःकाल और सन्ध्या में 'नवग्रह कवच' सुनें या पाठ करें।

शनिवार, 14 मार्च 2020

MATERIALS MANAGEMENT सामग्री प्रबन्धन : Course Details, Job & Training I...


शानदार पाठ्यक्रम और कॅॅरियर.....सामग्री प्रबन्धन। विस्तार से जानिये पूरा परिचय, प्रशिक्षण संस्थानों के बारे में और अन्य जानकारी।
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शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद की अन्तिम इच्छा First President of India Deshratna Doctor Rajendra Prasad's last wish

भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद का वास्तविक चित्र
-प्रस्तोता : शीतांशु कुमार सहाय
भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद की ‘अन्तिम इच्छा’ उन की समाधि-स्थल पर अंकित है। बिहार की राजधानी पटना में अशोक राजपथ के किनारे गंगा तट पर देशरत्न डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद की समाधि स्थित है। अब देशरत्न की अन्तिम इच्छा को जानिये-
‘‘हे भगवान! तुम्हारी दया असीम है। तुम्हारी कृपा का कोई अन्त नहीं। आज मेरे सत्तर वर्ष पूरे हो रहे हैं। तुम ने मेरी त्रुटियों की ओर निगाह न कर के अपनी दया की वर्षा मुझ पर हमेशा की। इन सत्तर वर्षों में जितना सुख, मान-मर्यादा, धन, पुत्र इत्यादि जितने समाज में सुख और बड़प्पन के साधन समझे जाते हैं, सब तुम ने विपुल मात्रा में दिया। मैं किसी भी योग्य नहीं था, तो भी तुम ने मुझ को बड़ा बनाया। यह कृपा बचपन से ही मेरे ऊपर रही। सब से छोटा बच्चा होने के कारण मेरे ऊपर पिता-माता तथा घर के सारे लोग का अधिक प्रेम रहा करता था। पढ़ने में भी मैं जिस योग्य नहीं था, उतना ही यश और प्रसिद्धि अनायास मेरे बिना परिश्रम और इच्छा के दी।
घर में अधिक कठिनाइयाँ होते हुए भी मुझे उस का कभी अनुभव नहीं होने दिया। जैसे पिता, वैसी ही माता; देवता-देवी तुल्य हर तरह से मुझे सुख देने के लिए हमेशा तत्पर और स्वयं अपनी तपस्या से हम को सुखी बनानेवाले हमारे ऊपर प्रेम की वर्षा करते रहे। भाई ऐसा मिला जैसा किसी को भी शायद ही कभी नसीब हुआ हो- जिस ने मेरे ऊपर ठीक साी तरह छत्रछाया कर के न केवल कष्टों से; बल्कि सभी प्रकार की चिन्ताओं से मुक्त कर रखा, जिस तरह कृष्ण ने गोवर्द्धन को उठाकर गोप-गोपियों को इन्द्र के कोप से सुरक्षित रखा और अपने ऊपर सभी कष्टों को ले लिया- पर इस भावना से कि यदि मुझे उस का अनुमान हो जाय तो मैं दुखी होऊँगा- मुझे कभी उस का आभास तक न होने दिया। 
बच्चों को इस तरह पाला जिस तरह कोई भी पिता अपने बच्चों को पाल सकता है। मैं मनमाना अपने आदर्शों और विचारों पर चलता रहा जिस का प्रभाव उन के जीवन पर कष्ट के रूप में ही मैं समझता हूँ, पड़ता रहा होगा, पर उन्होंने कभी भी यह नहीं जाहिर होने दिया कि वह मुझ से कुछ दूसरा करवाना चाहते थे या आशा रखते थे। बराबर मुझे अपनी इच्छा और भावना के अनुसार चलने देना ही अपने लिए आनन्द का विषय बना रखा था और यह कृत्रिम नहीं था- स्वाभाविक था। उन के लिए मेरे को खुश रखने के समान और दूसरा कोई आनन्द का विषय नहीं था। मैं अपने ढंग से विकसित होऊँ- ऊँचे-से-ऊँचे उठ सकूँ, यही उन के लिए सब से अधिक प्रिय स्वप्न था और इसी को उन्होंने चरितार्थ किया। 
घर के लोग के अलावा संसार में भी मेरे ऊपर जितनी कृपा रखी, शायद दूसरों पर नहीं रखी। यह तुम्हारे ही पथ-प्रदर्शन का फल है कि किसी का ध्यान मेरी त्रुटियों, अयोग्यताओं और कमजोरियों की ओर नहीं गया और सब ने मुझे केवल आदर-सम्मान ही नहीं दिया, मुझे यश भी दिया, जिस यश का मैं ने तो अपने को कभी अधिकारी ही नहीं समझता और न योग्य। घर में और बाहर सब के प्रेम और कृपा का पात्र बना रहा और इस प्रकार कोई भी ऐसी लालसा मुझे नहीं रह गयी जो किसी भी मनुष्य की हो सकती है। लालसा हो या न हो, कोई भी मनुष्य जो भी लालसा कर सकता है, सब मुझे बिना लालसा के अनायास ही तुम ने मुझे दिया और देते जा रहे हो। मैं तुम्हारी इस दया-दृष्टि को बनाये रखने के लिए क्या प्रार्थना करूँ! तुम ने आज तक बिना माँगे ही सब कुछ दिया है।
मैं जानता हूँ कि यह भी बिना माँगे ही बनाये रखेंगे। घर में सती-साध्विनी पत्नी, सुशील, आज्ञाकारी लड़के-लड़कियों और दूसरे सगे-सम्बन्धी हमें सुख देना ही अपना कर्तव्य मानते हैं। इस अवस्था में भी मैं अपने ढंग से ही अपनी इच्छा के अनुसार ही काम करता। उन की परवाह नहीं करता और न उन के सुख-दुख ही चिन्ता करता। पर तो भी उन का प्रेम वैसा ही असीम! 
अधिक मैं क्या कहूँ। एक ही भीख माँगनी है- मेरे बाकी दिनों को तुम अपनी ओर खींचने में लगाओ। मैं सांसारिक रीति से बहुत सफल अपने जीवन में रहा, पर आध्यात्मिक रीति से भक्ति बढ़ सकती- पथ बतानेवालों की कमी कभी नहीं रही। महात्माजी से बढ़कर कौन हो सकता है! उन की कृपा भी असीम रही। यदि मुझ में कुछ भी शक्ति होती तो मैं उन का सच्चा अनुयायी बन सकता था, पर उन की कृपा और उन के सम्पर्क का सांसारिक लाभ जो किसी को भी मिल सकता था, मैं ने प्रचुर मात्रा में पाया। उन के आध्यात्मिक और भगवान-भक्ति में से मैं कुछ भी नहीं ले सका और न अपने जीवन को किसी भी तरह उन के साँचे में ढाल सका। यदि कभी वह मुझे तौलते तो देखते की मुझ में सच्चा वज़न कुछ भी नहीं है। जिस तरह से तुम ने कभी तौलकर मुझे योग्यता के अनुसार कुछ नहीं दिया; बल्कि बिना तौले ही विपुल मात्रा में सब कुछ देते रहे- सब कुछ सुख, समृद्धि, धन, वंश, मित्र, सेवक और सब से अधिक यश- बराबर देते रहे; उसी तरह उन्होंने भी बिना तौले ही जो कुछ मैं आज सांसारिक दृष्टि से पाया, बनाया। क्या अब भी मुझे अपनी ओर नहीं खींचोगे? जीवन को सच्चा आध्यात्मिक नहीं बनाओगे? क्या बाकी दिन भी यश और सांसारिक समृद्धि लुटने में ही बिताने दोगे और मुझ से ऐसे कर्म कराओगे जो मुझे तुम्हारी ओर ले जाय? यदि कृपा है तो मुझे उस ओर खींचो और उस ओर ले चलो और जो मुझे आज बिना कारण मिल रहा है उस को सचमुच सार्थक बनाओ और सब को सच्चा अधिकारी बनाओ। पर, मुझे सचमुच इन सब को छोड़कर भी अपनी ओर खींचो और उसी दया-दृष्टि से एक बार मेरी आँखों को खोल दो जिस में मैं तुम्हारे सच्चे आनन्दमय दर्शन पा सकूँ।’’

देशरत्न डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद की पटना में समाधि का सच्चा हाल Desharatna Dr. Rajendra Prasad's true condition of samadhi in Patna

-शीतांशु कुमार सहाय
डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद- यही नाम है भारत के उस महापुरुष का, जिन की महानता, विद्वत्ता, त्याग और बलिदान का उचित सम्मान न उन्हें जीवनकाल में मिला और न ही मृत्यु के बाद। हालाँकि भारतवासियों ने उन की असीम और अतुल्य देशभक्ति के कारण उन्हें ‘देशरत्न’ की संज्ञा से विभूषित किया। उन के गुण, उन के चरित्र और उन की विद्वत्ता, उन के परिश्रम, उन के त्याग और बलिदान का लाभ उन से जुड़े सभी लोग लेते रहे। आज भी उन के नाम का लाभ लोग ले रहे हैं, पर जब उन के सम्मान की बात आती है तो सभी मौन हो जाते हैं, घोषणाएँ तो बड़ी-बड़ी कर जाते हैं पर अमल कुछ नहीं होता।

वीडियो नीचे के लिंक पर देखें .....

इस स्थिति में है देशरत्न डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद की समाधि 


पटना में राजभवन के मुख्य प्रवेश द्वार के निकट स्थित
राजेन्द्र बाबू की आदमकद प्रतिमा
बात है 2009 के 3 दिसम्बर यानी भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद की 125वीं जयन्ती के अवसर पर बिहार की राजधानी पटना में राजभवन के मुख्य प्रवेश द्वार के निकट स्थित राजेन्द्र बाबू की आदमकद प्रतिमा पर तत्कालीन राज्यपाल देवानन्द कुँवर, मुख्यमन्त्री नीतीश कुमार और अन्य नेताओं ने माल्यार्पण किया और फिर राज्यपाल, मुख्यमन्त्री, तत्कालीन सूचना व जनसम्पर्क मन्त्री रामनाथ ठाकुर जैसे नेताओं ने देशरत्न की समाधि स्थल पर भी पुष्पांजलि अर्पित की। इस दिन मुख्यमन्त्री नीतीश कुमार ने घोषणा की थी कि समाधि स्थल को दर्शनीय और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा। नीतीश कुमार ने यह भी कहा था कि समाधि स्थल पर राजेन्द्र प्रसाद के जीवन के जो उपदेश हैं, उन्हें दर्शाया जायेगा; ताकि भावी पीढ़ी उन के जीवन से प्रेरणा ले सके। उन की यादगार वस्तुओं और उन के कृतित्व को संग्रहित कर एक संग्रहालय बनाने की भी बात की गयी। इन घोषणाओं के 11 साल बीत गये पर आज भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। इन ग्यारह सालों में भी नीतीश कुमार ही मुख्यमन्त्री रहे और अब भी हैं, केवल कुछ महीनों के लिए उन्होंने जीतन राम मांझी को मुख्यमन्त्री बनाया था। 
आप को जानकर आश्चर्य होगा कि समाधि स्थल पर एक भी ऐसा बोर्ड या शिलालेख नहीं है जिस पर यह लिखा हो कि आखिर डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद थे कौन। यहाँ परिसर की दीवार पर लगे ग्रिल से झाँकता एक बोर्ड दिखायी देगा जिस पर लिखा है- देश रत्न डा. राजेन्द्र प्रसाद की समाधि स्थल। यह हिन्दी भाषी राज्य बिहार की हिन्दी है और इस में क्या ग़लत है, आप स्वयं देखिये। 
अन्दर में मुख्य समाधि स्थल की सीढ़ियों के बगल में भी केवल यही बात लिखी है- देशरत्न डा. राजेन्द्र प्रसाद की समाधि। पर, अफसोस की बात है कि देशरत्न डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर कहीं कुछ नहीं लिखा है। वैसे मैं बता दूँ कि राजेन्द्र प्रसाद का जन्म बिहार के सीवान ज़िले के जीरादेई में 3 दिसम्बर 1884 ईस्वी को हुआ था। बिहार सरकार द्वारा अधिसूचित राजकीय कार्यक्रमों में 3 दिसम्बर को देशरत्न की जयन्ती और 28 फरवरी को पुण्यतिथि मनायी जाती है। बस इन दो अवसरों पर ही देशरत्न की समाधि को सफाई और चन्द फूल मयस्सर हो पाते हैं। इसी तरह बाँस-बल्लों से आकर्षक पण्डाल लगता है और शासक-प्रशासक फूलों की पंखुड़ियों को यहाँ छिड़ककर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं।  
थोड़ा अतीत में चलते हैं। 3 दिसम्बर 1985 ईस्वी को बिहार के तत्कालीन मुख्यमन्त्री बिन्देश्वरी दूबे और तत्कालीन राज्यपाल पेण्डेकान्ति वेंकट सुब्बैया के काल में समाधि स्थल के परिसर यानी ‘राजेन्द्र उद्यान’ का निर्माण कराया गया था और उद्घाटन भी हुआ था। प्रवेश द्वार के निकट एक शिलालेख पर इस बात की जानकारी भी दी गयी थी। उस समय समाधि केवल ईंटों से बनी थी। बाद में परिवर्तन यह हुआ कि समाधि स्थल के ईंटों पर काले रंग के ग्रेनाइट टाइल लगाये गये, साथ ही प्रवेश द्वार पर लाल टाइल लगा दिये गये और बिन्देश्वरी दूबे और पी. वेंकट सुब्बैया के नाम वाले शिलापट्ट को हटा दिया गया। बाद में भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने क्षेत्र विकास निधि से सोलर लाइट लगवाया जो रख-रखाव का अभाव झेल रहा है।
         26 जनवरी सन् 1950 ईस्वी से 13 मई 1962 ईस्वी तक 12 वर्षों से अधिक समय तक भारत के राष्ट्रपति रहे राजेन्द्र प्रसाद जीवन के अन्तिम क्षणों में पटना के सदाकत आश्रम में रहे और यहीं 28 फरवरी सन् 1963 ईस्वी को उन का देहान्त हो गया। उन का अन्तिम संस्कार पटना में गंगा तट के बाँस घाट पर किया गया और यहीं श्मशान घाट के एक किनारे उन की वर्तमान समाधि है। यहाँ से गंगा अब करीब चार किलोमीटर उत्तर चली गयी है पर बाँस घाट पर विद्युत शवदाह गृह का संचालन जारी है। बाँस घाट का नाम बदलकर ‘राजेन्द्र घाट’ या ‘देशरत्न घाट’ किया जाना था मगर लगता है कि सरकारी दस्तावेज में यह अब भी बाँस घाट ही है। श्मशान का सरकारी बोर्ड इस बात का प्रमाण है।
समाधि स्थल के एक किनारे शिलापट्ट पर यह अंकित है- 
हारिये न हिम्मत बिसारिये न हरि नाम।
जाहि बिधि राखे राम ताहि बिधि रहिये।।
वास्तव में यह दोहा देशरत्न की समाधि की दुर्दशा पर पूरी तरह चरितार्थ हो रहा है।
पटना ज़िले के दो शहरों पटना साहिब और दानापुर को जोड़नेवाले अशोक राजपथ के किनारे स्थित है भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद का समाधि स्थल। यह बुद्ध कॉलोनी थाने के अन्तर्गत पड़ता है। यह है समाधि स्थल का प्रवेश द्वार।   
प्रवेश द्वार
       प्रवेश द्वार के निकट ही है बाँस घाट नाम का बस ठहराव स्थल। प्रवेश द्वार से आप पहुँचेंगे राजेन्द्र पार्क में। पार्क में फूलों के पौधे नहीं दिखायी देते, कुछ छोटे-बड़े पेड़ जरूर दीखते हैं। यहाँ कोई माली बहाल नहीं है, तो फूल लगाये कौन और देखभाल कौन करे! पार्क में राष्ट्रध्वज फहराने के लिए एक स्थल बना है। दीवारों की रंगाई वर्ष में दो बार देशरत्न की जयन्ती और पुण्यतिथि के दौरान ही होती है। 
अब दर्शन करते हैं महामानव देशरत्न डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद की समाधि का। मुख्य समाधि स्थल के प्रवेश द्वार के बायीं तरफ के शिलापट्ट पर यह दोहा अंकित है- 
हारिये न हिम्मत बिसारिये न हरि नाम।
जाहि बिधि राखे राम ताहि बिधि रहिये।।
और दायीं तरफ ‘देशरत्न डा. राजेन्द्र प्रसाद की समाधि’ लिखा हुआ शिलापट्ट लगा है। समाधि स्थल पर ये ग्रिल दोनों तरफ लगे हैं जिन्हें बन्द करनेवाला या खोलनेवाला कोई कर्मचारी यहाँ नियुक्त नहीं है। अब दस सीढ़ियों का फ़ासला तय कीजिये। यह है देशरत्न का समाधि। समाधि के पीछे से कुछ वर्षों पूर्व तक पतितपावनी नदी गंगा बहती थी। अब गंगा चार किलोमीटर उत्तर से प्रवाहित हो रही है। स्क्रीन पर जो मिट्टी की ऊँचाई आप देख रहे हैं, वहाँ सड़क बनायी जा रही है। प्रत्येक शाम में सूर्यदेव भारतमाता के अमर सपूत राजेन्द्र प्रसाद की समाधि पर अपनी किरणों से श्रद्धांजलि देते हैं।   
समाधि स्थल का निर्माण काले ग्रेनाइट टाइल के छः बड़े चौकोर टुकड़ांे से हुआ है। किनारे भी ऐसे ही काले पत्थर लगे हैं। समाधि स्थल के चारांे ओर स्टील की रेलिंग लगी है। सीढ़ियों पर भी रेलिंग है। अब जरा भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद की समाधि पर लगेे काले पत्थरों पर बिखरी गन्दगी को देखिये और तुलना कीजिये प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के नई दिल्ली स्थित समाधि स्थल ‘शान्ति वन’ से।
ये देखिये, ये हैं नई दिल्ली में स्थित शान्ति वन के चित्र.....
शान्ति वन
शान्ति वन



अब फिर आ जाइये पटना और देखिये कि देशरत्न की समाधि पर भारत सरकार, बिहार सरकार, पटना नगर निगम या अन्य किसी भी सरकारी एजेन्सी का कोई बोर्ड देखने को नहीं मिलेगा। राजेन्द्र प्रसाद कौन थे, यह भी बताने की आज तक आवश्यकता महसूस नहीं की गयी। समाधि के नीचे 14 शिलापट्टों पर देशरत्न की ‘अन्तिम इच्छा’ लिखी हुई है। यह वाल्मीकि चौधरी के सौजन्य से प्राप्त किया गया है।
देशरत्न की समाधि के ऊपर एस्बेस्टस की छत लगायी गयी है। पर, उपेक्षा से दो-चार होता देशरत्न का यह समाधि स्थल कब पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा, इस का इन्तज़ार समस्त भारतवासी को है। 
भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महान सेनानी, भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष और संविधान निर्माता, भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद को आप सभी दर्शकों की ओर से हम श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। जय हिन्द! 

बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

प्रत्येक भारतीय को याद रखना है ११२ की आपात संख्या Remember 112 for Emergency in India

-शीतांशु कुमार सहाय
         क्यों ज़रूरी है ११२ की संख्या? भारत में हर व्यक्ति को क्यों याद रखना चाहिये यह संख्या? भारत का प्रत्येक व्यक्ति ले सकता है ११२ नम्बर की सहायता। मोबाइल फोन ऐप पर भी मौज़ूद है संख्या ११२ की सेवा। ११२ देश के हर नागरिक के लिए याद रखना बेहद ज़रूरी है।

नीचे के लिंक पर क्लिक करें और वीडियो देखें : 


       आखिर ११२ क्या है? यह संख्या याद रखना क्यों आवश्यक है? इस की शुरुआत कैसे और क्यों हुई? इस से आप को क्या फ़ायदा मिलेगा? इन सभी प्रश्नों के उत्तर मैं आप को बता रहा हूँ। 
         पुड्डुचेरी, दमन व दीव, अन्दमान-निकोबार, दादर नगर हवेली के बाद दिल्ली में भी इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम यानी आपात प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस) लागू कर दिया गया है। इस के अलावा देश के कई अन्य राज्यों में भी यह लागू है। ईआरएसएस लागू करनेवाला भारत का पहला राज्य हिमाचल प्रदेश है। तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने २८ नवम्बर २०१८ को ही हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले में पूरे हिमाचल प्रदेश के लिए आपात प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस) की शुरूआत की। इस तरह ईआरएसएस के अंतर्गत अखिल भारतीय एकल आपात संख्या ‘११२’ की शुरूआत करनेवाला हिमाचल प्रदेश पहला राज्य बना। इस एक नम्बर (११२) पर फोन कर लोग पुलिस, अग्निशमन सेवा, स्वास्थ्य और अन्य आपातकालीन सुविधा पा सकते हैं। वास्तव में ११२ एक इमरजेंसी नम्बर है, जिसे अमेरिका के ९११ के तर्ज पर शुरू किया गया है। इसे भारत में आपात प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली यानी इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम (ईआरएसएस) के तहत आरम्भ किया गया है।
         हिमाचल प्रदेश में नवंबर २०१८ में ही ११२ शुरू किया गया था। भारत सरकार के गृह मन्त्रालय के अधीन ईआरएसएस के लिए एक विशेष वेबसाइट शुरू की गयी जिस का लिंक है-- https://ners.in इस वेबसाइट से आप ११२ की सेवा का लाभ लेने के लिए अपने स्मार्ट फोन में ऐप डाउनलोड कर सकते हैं। वेबसाइट में ऐप डाउनलोड करने का लिंक दिया हुआ है। आप चाहें तो गूगल प्ले स्टोर या एप्पल के स्टोर से भी संख्या ११२ वाला ऐप डाउनलोड कर सकते हैं। इस ऐप का नाम है- ‘112 इण्डिया’ (112 INDIA)।
         ११२ नम्बरवाला ऐप डाउनलोड करने के बाद उस में दस परिजनों या मित्रों के फोन नम्बर जोड़े जा सकते हैं और जब कभी फोनधारक ११२ डायल करेगा तो इस से जुड़े सभी १० फोन को भी इस की सूचना मिल जायेगी। इस के बाद ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) या मोबाइल ऑपरेटर कम्पनी के टावर के माध्यम से ऐप स्वतः ११२ नम्बर डायल करनेवाले का लोकेशन पता कर लेगा। इस के बाद उस व्यक्ति तक सहायता आसानी से पहुँचायी जा सकेगी। 
         इस ऐप के जरिये आम लोग स्वयंसेवक के रूप में पंजीकृत हो सकते हैं। जब भी कोई व्यक्ति संख्या ११२ डायल करेगा तो पुलिस के साथ ही निकटस्थ स्वयंसेवक को भी एक सन्देश जायेगा। ११२ पर की गयी पूरी बात रिकॉर्ड होगी। 
         भारत में देशव्यापी आपात दूरभाष सहायता संख्या ११२ की शुरुआत मंगलवार, १९ फरवरी २०१९ को तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने की और तत्काल भारत के सोलह राज्य और केंद्र शासित प्रदेश संख्या ११२ की सेवा से जुड़ गये। अब दिल्ली में भी इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम यानी आपात प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस) ११२ लागू कर दिया गया है। अन्य राज्य भी इस सेवा से जुड़ रहे हैं। वर्ष २०२० में पूरे भारत में ११२ की सेवा चालू कर दी जायेगी। ११२ को डायल करने पर परेशानी में फँसे व्यक्ति को तत्काल सहायता मिलती है और मिलेगी। 
         फ़िलहाल भारत में पुलिस के लिए १००, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए १०८, अग्निशमन सेवाओं के लिए १०१, महिला हेल्पलाइन के लिए १०९१ और १८१, चाइल्ड हेल्पलाइन के लिए १०९८ नम्बर हैं। इन सभी हेल्पलाइन को कई राज्यों में ११२ के अन्तर्गत लाया गया है। मतलब यह कि अब कई इमरजेंसी नंबर याद रखने की ज़रूरत नहीं है, याद रखिये केवल ११२ को। सिर्फ़ ११२ डायल कीजिये और किसी भी आपात सेवा का लाभ उठाइये। स्वास्थ्य हेल्पलाइन १०८ को भी जल्द ही इस के साथ समाहित किया जायेगा। इस वर्ष देशभर में हेल्पलाइन नम्बर ११२ को सक्रिय हो जाना है और मोबाइल फोन का केवल एक बटन दबाकर कोई भी ज़रूरतमन्द व्यक्ति हेल्पलाइन तक पहुँच सकता है।
         जिन १६ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह प्रणाली शुरू हो गयी है, उन में आन्ध्र प्रदेश, उत्तराखण्ड, पंजाब, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात, पुडुचेरी, लक्षद्वीप, अन्दमान-निकोबार, दादर नगर हवेली, दमन और दीव, जम्मू-कश्मीर हैं। हिमाचल प्रदेश और नगालैंड में हेल्पलाइन-११२ की शुरूआत पहले ही हो चुकी है। दिल्ली में भी यह चालू है।
         नंबर '११२' साल २०१२ में दिल्ली में हुए निर्भया दुष्कर्म मामले से जुड़ा है। उस घटना के बाद ही आपात प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली यानी इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम (ईआरएसएस) शुरू करने का फैसला लिया गया था। ईआरएसएस दिसंबर २०१२ में हुई निर्भया की दुखद घटना के सन्दर्भ में न्यायमूर्ति वर्मा समिति की महत्त्वपूर्ण सिफ़ारिशों में से एक है। इस के तहत इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम (ईआरएसएस) की राष्ट्रीय परियोजना को मंजूरी दी गयी। .....तो याद रखिये 112 मतलब ११२ की संख्या को।