-शीतांशु कुमार सहाय
नोवेल कोरोना वायरस यानी नोवेल कोरोना विषाणु से उत्पन्न भयंकर महामारी कोविड-19 ने विश्व के 196 देशों में कोहराम मचा रखा है। इस बुलेटिन में मैं बता रहा हूँ कि कोरोना विषाणु का नाम कोरोना क्यों पड़ा।
कोरोना वायरस वास्तव में वायरस की एक प्रजाति है। ‘वायरस’ (टपतने) अंग्रेजी का शब्द है जिसे हिन्दी में ‘विषाणु’ कहते हैं। कोरोना वायरस के नामकरण का राज जानने से पहले यह जान लेते हैं कि अबतक कितने कोरोना वायरस खोजे गये हैं। तो आप जान लीजिये कि अबतक सात प्रकार के कोरोना विषाणु खोजे गये हैं। सातवें को नोवेल कोरोना वायरस का नाम दिया गया जो चीन के हूबेई प्रान्त के वुहान शहर से निकलकर विश्वभर में तबाही मचायी है। अन्य छः कोरोना विषाणुओं के नाम और सातों से सम्बन्धित विशेष जानकारी आप पहले के आलेख में जान चुके हैं। उस आलेख में आप यह भी जान चुके हैं कि कौन-कौन कोरोना वायरस साधारण हैं और कौन-कौन जानलेवा साबित होते हैं।
इस सन्दर्भ में वीडियो नीचे के लिंक पर देखें :
अब जानते हैं कि कोरोना वायरस का यह नाम क्यों पड़ा? इन दिनों कोरोना नाम तो भय का प्रतीक बन गया है। आप भयभीत मत होइये- केवल स्वच्छता के नियमों का पालन कीजिये, सतर्क रहिये और स्वस्थ रहिये।
जानिये कोरोना के नामकरण का राज। आखिर इस का नाम ‘कोरोना’ क्यों पड़ा। कोरोना वास्तव में लैटिन भाषा का शब्द है। दक्षिण अमेरिका महादेश में लैटिन भाषा बोली जाती है। अँग्रेेजी भाषा पर इस का बहुत प्रभाव है। लैटिन भाषा के ‘कोरोना’ शब्द का अर्थ ‘मुकुट’ होता है। वही मुकुट जो राजा अपने सिर पर धारण करते हैं। विषाणु यानी वायरस इतना सूक्ष्म कण है कि इसे न पूरी तरह से सजीव कह जा सकता है और न निर्जीव। यह सजीव और निर्जीव के बीच की कड़ी है। इसे साधारण सूक्ष्मदर्शी से देखना सम्भव नहीं है। इसे विशेष प्रकार के इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से देखना सम्भव है।
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से जब इस वायरस को देखा गया तो इस वायरस के इर्द-गिर्द उभरे हुए काँटे जैसी संरचना दिखायी दी। ये काँटेदार संरचनाएँ मुकुट की तरह प्रतीत होती हैं। इस कारण ही इसे ‘कोरोना’ नाम दिया गया। आप ने संक्रामक रोग फैलानेवाले कोरोना वायरस के नाम का रहस्य जाना। संक्रामक रोग से बचने के लिए स्वच्छता को अपनाइये और हर तरह से सतर्क रहिये, स्वस्थ रहिये।
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