कोरोना दुनिया की कुण्डली में कुण्डली मारकर बैठ गया है। इसके आगे नाग की कुण्डली भी कम है। कोरोना दुनिया की कुण्डली में बैठा वह दसवां ग्रह है जो अपनी महादशा आने से पहले किसी को दिखाई नहीं दिया। अब यह सम्पूर्ण प्रभाव से अपना फल दे रहा है।
‘को’ ‘रो’ ‘ना’
क-का-कि-की-कु-कू-के-कै-को ..‘को’ ..पर ठहर जाइए। क्योंकि समस्त विश्व इस अक्षर पर टिका है। इस अक्षर का समस्त विश्व पर इस वक्त समस्त अक्षरों में सबसे ज्यादा प्रभाव है। क्योंकि प्रत्येक बोली और भाषा में कोरोना को कोरोना ही बोला जाता है।
‘कोरोना’ में ‘को’ ‘रो’ ‘ना’ तीन अक्षरों का प्रभाव है। उद्गम ‘को’ होने से इसका प्रभाव सबसे ज्यादा है। ‘को’ ‘मिथुन राशि’ के ‘पुनर्वसु नक्षत्र’ में पड़ता है, ‘रो’ ‘तुला राशि’ के ‘स्वाति नक्षत्र’ में पड़ता है, ‘ना’ ‘वृश्चिक राशि’ के ‘अनुराधा नक्षत्र’ में पड़ता है।
कोरोना हिंदी के ३ अक्षरों और अंग्रेजी के ६ अक्षरों से निर्मित है। 3 पर वृहस्पति तो ६ पर शुक्र का प्रभाव है। दोनो ही शुभ ग्रह हैं मगर प्रकृति से वृहस्पति सत्गुणी जबकि शुक्र तमोगुणी बनाम वृहस्पति देव तो कोरोना असुर हैं। शुभ ग्रह होने के कारण कोरोना पूर्ण रूप से हानिकारक नहीं है मगर तमोगुण के कारण इसमे विनाशकारी शक्तियां और प्रवृतियां इसकी प्रकृति में हैं जबकि वृहस्पति देव और शुक्र असुर हैं इसलिए भी इसमे देवत्व व असुरत्व दोनो की मात्रा निहित है। हिंदी में राशिचक्र, नक्षत्रचक्र, स्वरांक, अंकशास्त्र की गणना सटीक बैठती है। जबकि अंग्रेजी में अंकगणित के आधार पर गणना की जा सकती है। कोरोना चूँकि विविध भाषा में विविध एक, एकाधिक, ३, ६ या विविध अक्षरों में लिखा जा सकता है मगर उसका स्वरांक तीन अक्षरों ‘को’ ‘रो’ ‘ना’ ही है और तीन अक्षरों में ही बोला जा सकता है इसके उच्चारण में कोई विभेद नहीं है इसलिए त्रिमूर्ति त्रिदेव कोरोना के आधार पर गणना करना श्रेयस्कर होगा। क्योंकि यह सबो में तटस्थ है इसलिए पूर्ण प्रभावी है।
‘कोरोना’ का आरंभिक अक्षर ‘को’ है अतः ‘कोरोना’ के ‘को’ के ‘मिथुन राशि’ ‘पुनर्वसु नक्षत्र’ का प्रभाव विश्व पर सर्वाधिक सबसे ज्यादा है। तत् द्वितीय अक्षर ‘रो’ ‘तुला राशि’ ‘स्वाति नक्षत्र’ का विश्व पर सबसे ज्यादा प्रभाव है। तत् तृतीय अक्षर ‘ना’ ‘वृश्चिक राशि’ ‘अनुराधा नक्षत्र’ का विश्व पर प्रभाव है।
इन तीनो राशियों, इसके नक्षत्रों में अक्षरों के अंशादि प्वाइंट पर अंतरीक्ष में कोरोना उत्पति के समय, विशेष घटनाएं, ज्योतिष और ज्योतिषियों के लिए रिसर्च का विषय है।
मुंडेन ज्योतिष और राशिचक्र, नक्षत्रचक्र, स्वरांक, अंकशास्त्र ज्योतिष के आधार पर उपरोक्त अध्ययन किए गए हैं यद्यपि यह आरंभिक अध्ययन प्रमाणिकता के साथ भी प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है।
उदाहरण सुनामी
एक उदाहरण: पृथ्वी पर जब जिस साल 26 दिसंबर 2004 को सुनामी की घटना हुई थी उसी हफते में लगभग एक सप्ताह पूर्व शायद 22 तारीख को धनु राशि के किसी नक्षत्र में विशेष खगोलीय घटना हुई थी। कई लाख प्रकाश वर्ष पूर्व महाविस्फोट की घटना थी वह। इस प्रकार या विविध प्रकार की किसी भी प्रकार की खगोलीय घटना को नजरअंदाज न कर सूक्ष्मातिसूक्ष्म गणना व विवेचन के आधार पर सर्वोतम निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है।
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