गुरुवार, 28 मई 2020

किस धातु के बर्तन हैं लाभदायक और कौन हानिकारक
Which Metal Utensils are Beneficial & Which are Harmful



-शीतांशु कुमार सहाय
     स्वस्थ रहने के लिए कई उपायों का पालन करना पड़ता है। पर, एक उपाय ऐसा भी है जिस पर आम तौर पर ध्यान जाता ही नहीं है। इस बुलेटिन में आप जानेंगे कि किस प्रकार बर्तन हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। जिन धातुओं के बर्तनों में हम भोजन पकाते हैं या भोजन ग्रहण करते हैं, उन के अंश भोजन में शामिल हो जाते हैं जो शरीर को लाभ या हानि पहुँचाते हैं। मतलब यह कि धातुओं का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। किस प्रकार के बर्तन में भोजन पकाना चाहिये? किन धातुओं के बर्तन में खाने से शरीर नीरोग रहता है? किस धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या लाभ या हानि है? वह कौन धातु है जिस का बर्तन भारत के हर घर में है और वह सब से ज़्यादा हानिकारक है? इन सब के बारे में अभी तुरन्त आप जानेंगे.....


सोना Gold

     सब से पहले जानते हैं स्वर्ण अर्थात् सोने से बने बर्तन के बारे में। सोना गर्म धातु है। सोने से बने बर्तन यानी पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी अंग सुदृढ़, बलवान और स्वस्थ बनते हैं। आँखों की ज्योति बढ़ाने में सोने का महत्त्वपूर्ण योगदान है। त्वचा की झुर्रियों और बुढ़ापे के लक्षणों से शरीर को मुक्त रखने में सोना सक्षम है। 
     सोना बहुत महँगा धातु है। इसलिए अधिकतर लोग आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं होते कि सोने के पात्रों का उपयोग कर सकें। ऐसी स्थिति में अन्य लाभदायक धातुओं के पात्र में भोजन पकायें या खायें लेकिन सप्ताह में एक बार किसी साफ पत्थर पर सोने का बिस्कुट या सोने का कोई आभूषण रगड़कर उसे चाट लें तो सोने से होनेवाले सभी लाभों को आप प्राप्त कर सकते हैं। सोने के पात्र में मांस, मछली, अण्डा, अधिक खट्टे पदार्थ, दही आदि न रखें और न खायें।   

चाँदी Silver

     अब रजत अर्थात् चाँदी की चर्चा करते हैं। चाँदी को ठण्डा धातु माना जाता है। यह शरीर को आन्तरिक ठण्डक प्रदान करती है। शरीर को शान्त रखने में चाँदी सक्षम हैैै। चाँदी के बर्तन में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखें स्वस्थ रहती हैं और आँखों की रोशनी बढ़ती है। चाँदी पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियन्त्रित करती है। 
     सोने से सस्ती है चाँदी, फिर भी अधिकतर लोग इतने सामर्थ्यवान नहीं हैं कि चाँदी के बर्तन में भोजन बनायें और खायें। पर, कुछ उपाय तो किया ही जा सकता है। हर महीने हज़ारों रुपये दवाइयों पर खर्च करने से बचने के लिए चाँदी के बर्तनों पर कुछ हज़ार रुपये खर्च कर दीजिये। आप चाँदी के चम्मच, गिलास और कटोरी से इस की शुरुआत करें और स्वास्थ्य लाभ करते हुए प्रगति के पथ पर आगे बढ़ें। चाँदी के बर्तन में अण्डा या कोई मांसाहार, खट्टा पदार्थ, दही खाना वर्जित है।  

काँसा Bronze

     स्वर्ण और रजत की अपेक्षा काँसा सस्ता है। ताम्बे में राँगा मिलाने से काँसा बनता है। प्रत्येक भारतीय घर में काँसे के कुछ बर्तन मिल ही जाते हैं। काँसे के बर्तन में खाना पकाने और खाने से बुद्धि तेज होती है और रक्त में शुद्धता आती है। साथ ही रक्तपित्त तथा अम्लपित्त के रोग शान्त हो जाते हैं और भूख सामान्य रूप से बढ़ती है। एक प्रयोग के आधार पर कहा गया है कि काँसे के बर्तन में भोजन पकाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्त्व नष्ट होते हैं। काँसे के पात्र में पके भोजन बुद्धिवर्द्धक, स्वादिष्ट और रुचि उत्पन्न करनेवाले होते हैं। जो व्यक्ति उष्ण प्रकृतिवाले हैं, मतलब यह कि जिन्हें सामान्य लोग की अपेक्षा अधिक गर्मी लगती है या जिन्हें बात-बात पर क्रोध आता है, वे काँसे के पात्र में भोजन पकायें और खायें। जिन्हें किसी प्रकार का चर्मरोग है, यकृत यानी लीवर से सम्बन्धित रोग है या हृदय की कोई बीमारी है तो काँसे के पात्र स्वास्थ्यप्रद साबित होंगे। 
     याद रखिये, काँसे के बर्तन में खट्टे खाद्य पदार्थ नहीं परोसनी चाहिये। खट्टी चीजें काँसा धातु से प्रतिक्रिया कर विषैली हो जाती हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। 

ताम्बा Copper

     ताम्बे का बर्तन स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। इस धातु के बर्तन में भोजन पकायें या खायें तो स्वास्थ्य सुधरता है, कई रोगों से मुक्ति मिलती है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति बढ़ती है, लीवर यानी यकृत से सम्बन्धित रोग दूर होते हैं और शरीर से विषैले तत्त्व निकल जाते हैं। 
    याद रखिये, ताम्बे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिये। इस से शरीर को नुकसान होता है। 

पीतल Brass

    काँसे की तरह ही पीतल भी मिश्र धातु है। ताम्बा और जस्ता मिलाकर पीतल का निर्माण होता है। पीतल के बर्तनों में पका भोजन खाने से कृमि रोग, कफ और गैस से जुड़ी समस्याएँ नहीं होतीं। पीतल धातु में भोजन जल्दी पकता है; क्योंकि यह तुरन्त गर्म हो जाता है। इस से ईंधन की बचत होती है और भोजन भी स्वादिष्ट बनता है। 
     जिन्हें कब्ज, गैस या पेट की कोई बीमारी है, उन्हें पीतल के बर्तन में भोजन ग्रहण करना चाहिये। पीतल में पका भोजन शरीर को अपेक्षाकृत अधिक ऊर्जा प्रदान करता है। पीतल का भोजन आँखों के लिए बहुत लाभदायक है। पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और भोजन करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। 
विशेषज्ञों की बात मानें तो पीतल में भोजन पकाने से केवल चार से सात प्रतिशत पोषक तत्त्व ही ख़त्म होते हैं, इसलिए इस में भोजन पकाना और खाना काफ़ी फायदेमन्द होता है। 
     याद रखें कि पीतल में दही या अन्य खट्टा पदार्थ नहीं रखना चाहिये।

लोहा Iron

     अब लोहे के बर्तन के सन्दर्भ में जानते हैं। लौह पात्रों में बने भोजन को ग्रहण करने से शरीर की शक्ति बढ़ती है। लौह्तत्त्व शरीर में ज़रूरी पोषक तत्त्वों को बढ़ाता है। लोहा कई रोगों को ख़त्म करता है। लोहे के बर्तन में पकाये भोजन को ग्रहण करने से पीलिया यानी जौण्डिस में लाभ होता है और यकृत स्वस्थ हो जाता है। साथ ही शरीर में सूजन वाले रोग और कामला रोग समाप्त हो जाते हैं। शरीर में अगर खून की कमी है, हीमोग्लोबिन की मात्रा कम है यानी एनीमिया रोग है तो लोहे के बर्तन में बना भोजन अमृत के समान है।
     याद रखिये, लोहे के पात्र में भोजन पकाना चाहिये मगर इस में खाना नहीं चाहिये। लोहे में खाने से बुद्धि कम होती है और मस्तिष्क का नाश होता है। लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा माना जाता है। 

इस्पात या स्टेनलेस स्टील Steel or Stainless Steel

     इस्पात या स्टेनलेस स्टील के बर्तन हानिकारक नहीं होते तो लाभदायक भी नहीं होते। स्टील के बर्तनों में भोजन पकाने से न पोषक तत्त्वों में कमी आती है और न ही वृद्धि होती है। वर्तमान में सभी घरों में स्टेनलेस स्टील के बर्तन मिलते हैं।

एल्युमीनियम Aluminium

     बॉक्साइट नामक खनिज से बनता है एल्युमीनियम। स्टील की तरह ही एल्युमीनियम ने अधिकतर भारतीय घरों में अपनी पैठ बना ली है। एल्युमीनियम वास्तव में आयरन और कैल्शियम को सोखता है, इसलिए एल्युमीनियम के बर्तनों का उपयोग नहीं करना चाहिये। एल्युमीनियम में भोजन पकाने और खाने से शरीर को केवल हानि ही है, लाभ कुछ नहीं। 
     अगर आप एल्युमीनियम का उपयोग करते हैं तो इस से होनेवाली हानि को भी जान लीजिये। इस से हड्डियाँ कमजोर होती हैं, मानसिक बीमारियाँ होती हैं, लीवर यानी यकृत और तन्त्रिका तन्त्र अर्थात् नर्वस सिस्टम को क्षति पहुँचती है, स्मरण शक्ति कमजोर होती है, अचानक वृक्क यानी किडनी फेल हो सकती है, यक्ष्मा यानी टीबी, दमा यानी अस्थमा, गैस्ट्रिक, मधुमेह यानी डायबिटीज जैसे घातक रोग हो सकते हैं। भोजन के माध्यम से एल्युमीनियम का अंश जब शरीर में पहुँचता है तो पाचनतंत्र, मस्तिष्क, हृदय, अन्तःस्रावी ग्रन्थियों और आँखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
     एल्युमीनियम के बर्तनों में पकाने-खाने से मुँह में छाले, पेट का अल्सर, एपेण्डिसाइटिस, पथरी, माईग्रेन, जोड़ों का दर्द, सर्दी, बुखार, बुद्धि की कमी, अवसाद यानी डिप्रेशन, सिरदर्द, अतिसार यानी डिसेण्ट्री, पक्षाघात यानी लकवा आदि बीमारियाँ होने की सम्भावना ज़्यादा रहती है। हानिकारक पक्ष को जानकर कई लोग अपने घर में अब एल्युमीनियम के बर्तनों का प्रयोग नहीं करते। पर, उन के घरों में प्रेशर कूकर एल्युमीनियम के ही हैं। एल्युमीनियम के प्रेशर कूकर की जगह स्टील का प्रेशर कूकर उपयोग में लाएँ।
     याद रखिये, एल्युमीनियम के प्रेशर कूकर मंे भोजन पकाने से 85 से 90 प्रतिशत तक पोषक तत्त्व समाप्त हो जाते हैं। घर से अगर एल्युमीनियम धातु के बर्तन हटा दिये जायें तो निश्चय ही दर्जनों रोग भाग जायेंगे।

मिट्टी Soil

    प्राचीन काल में सब से पहले मनुष्य ने मिट्टी के बर्तनों का ही उपयोग करना सीखा। कालान्तर में धातुओं के प्रयोग होने लगे। मिट्टी के पात्रों में भोजन पकाने से ऐसे पोषक तत्त्व मिलते हैं, जो बीमारियों को शरीर से दूर रखते हैं। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी सिद्ध कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में पके भोजन को खाने से कई तरह के रोग ठीक होते हैं। 
     आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिये। भले ही मिट्टी के बर्तनों में भोजन पकाने पर अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है लेकिन इस से स्वास्थ्य को पूरा लाभ मिलता है। मिट्टी के बर्तन में पके खाद्य पदार्थ के १०० प्रतिशत पोषक तत्त्व सुरक्षित रहते हैं।
     मिट्टी में एण्टी एलर्जी तत्त्व होते हैं। पेट के रोगियों के लिए मिट्टी के बर्तन में खाना और पकाना फायदेमन्द होता है। मिट्टी के बर्तन भोजन को पौष्टिक बनाये रखते हैं। मिट्टी के बर्तनों में पके भोजन को ग्रहण करने से मासिक स्राव के दौरान होनेवाले रक्त प्रदर और नाक से खून आना जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। 
   याद रखें, मिट्टी के बर्तन में प्रतिदिन भोजन नहीं करना चाहिये। पत्थर या मिट्टी के बर्तनों में नियमित भोजन करने से लक्ष्मी का क्षय होता है। दूध और दूध से बनी सामग्रियों के लिए सब से उपयुक्त है मिट्टी के बर्तन। 
     .....तो आप ने जान लिया कि आप के लिए कौन धातु लाभदायक है और कौन घातक। केवल घातक धातुओं को घर के बाहर कीजिये और परिवार के साथ जीवन का आनन्द लीजिये।

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