सोमवार, 18 मई 2020

कोरोना नामकरण Corona Nomenclature

-अमित कुमार नयनन
     कोरोना के नाम संस्कार का तो मामला कुछ ऐसा है कि इस का नामकरण काफ़ी पहले ही हो गया था मगर कुछ समय पहले तक लोग कोरोना का नाम तक नहीं जानते थे। अब यह नाम सब की ज़्ाुबान पर है, बच्चे-बच्चे की ज़ुबान पर है। पूरे विश्व में अब कोरोना का नाम ‘सम्मान’ से लिया जाता है। इस के प्रशंसकों, आलोचकों और विरोधियों की संख्या भी अनगिनत है।
     श्रीकृष्ण भगवान की तरह कोरोना के कई नाम हैं- कोरोना, को-रोना, कोरो-ना, को-रो-ना......आप समझेंग स्पेलिंग मिस्टेक हैं मगर सच मानिये, यक़ीन कीजिये मिस्टेक आप कर रहे हैं। ये सभी नाम कोरोना के ही हैं; क्योंकि कोरोना के कारनामों के हिसाब से उक्त सारे कोरोना पर पूरी तरह ठीक और सटीक बैठते हैं। 
कोरोना जहाँ इस का वैज्ञानिक नाम है, वहीं को-रोना का अर्थ रोना का संयुक्त अभ्यास भी है तो कोरो-ना का मतलब कुछ करो ना है जो कि सभी इस अदृश्य को देखते ही बोलना शुरू हो जाते हैं तो को-रो-ना इस का ज्योतिषीय नाम है।
     कोरोना में ‘कोरो’ अर्थात् ‘कुछ करो’ और ‘रोना’ पहले से ही लिखा है, इसलिए रोना इस में पहले से ही मौज़ूद है। ‘कोरोना’ में ‘रोना’ पहले से लिखा है, इसलिए दुनिया आज रो रही है।

कोरोना नामचीन

     कोरोना नामचीन है; क्योंकि उस का जन्म चीन में हुआ है। कोरोना नामचीन के नाम में जन्म से ही ‘नाम’ छिपा था, इसलिए चीन का ही कोरोना को जन्म देने का, नामवर करने का, नामचीन बनाने का जन्मसिद्ध अधिकार था। कोरोना को नामवर-नामचीन बनाने का ठेका चीन का था, इसलिए चीन ने कोरोना को नामचीन बनाने का ठेका लिया।  

नामचीन कोरोना

     कोरोना में एक अत्यन्त ही खास बात है और वह यह कि वह स्वयं तो नामचीन है ही; बल्कि जिस के साथ वह जुड़ जाता है, वह भी नामचीन हो जाता है।
इसे ऐसे देखिये-
     वुहान! जिसे दुनिया में कोई नहीं जानता था। जिस के बारे में विश्व का एटलस लेकर खोजना पड़ता था, बताना पड़ता था। वहाँ कोरोना का जन्म क्या हुआ, किसी अवतार की जन्मस्थली की भाँति वुहान प्रसिद्ध ही नहीं विश्वप्रसिद्ध हो गया। आज बच्चे-बच्चे से लेकर बची सारी दुनिया की ज़ुबान पर है। सारे लोग भले किसी देश की राजधानी के बारे में न बता पाएँ, मगर दुनिया में वुहान कहाँ पर है, ज़रूर बता देंगे।
     कोरोना जब देश से परदेस गया तो जिस देश और स्थान में गया, वह देश-स्थान भी प्रसिद्ध हो गया। इटली, स्पेन, इंग्लैंड, फ्रान्स, अमेरिका, रूस, भारत वगैरह-वगैरह। इन में छोटे-बड़े सभी देश हैं। ये सभी देश विश्व मानचित्र पर पहले से थे मगर सब ओर इन की ही चर्चा होने लगी। इन को कोरोना की कृपा से इन्हें तात्कालिक विश्वप्रसिद्धि तत्काल हासिल हो गयी। मानो आप के अप्लाई करने से पहले ही इण्टरनेशनल परमिट मिल गया हो।
     कोरोना किमजोंग के उत्तर कोरिया में, सऊदी अरब राजमहल, इंग्लैंड राजमहल, बोरिस जॉनसन, अमेरिका व्हाइट हाउस- जहाँ-जहाँ पहुँचता गया, उन्हें प्रसिद्ध करता गया।
     इस में भी सब से रोमांचक बात यह कि अगर यह जान ले भी लेता है तो भी शख्स मरणोपरान्त भी प्रसिद्ध हो जाता है। आप अगर बॉर्डर पर युद्ध में शहीद होते हैं तो भी शायद उतना सम्मान और प्रसिद्धि मिले न मिले, कोरोना से मरनेवाला नामचीन और अमर दोनांे हो जाता है। लोग कहते हैं- देखो! बेचारा कोरोना से मर गया। भले लोग ज़िन्दा में कोरोना मरीज से किसी अछूत की तरह व्यवहार करें मगर कोरोना से मरने के बाद कोरोना उन्हें मरणोपरान्त प्रसिद्धि के साथ सहानुभूति वोट भी दिलवा ही देता है। इस के साथ ही दुनिया कितनी मतलबी, वैरागी है, यहाँ अपना कोई नहीं, का सत्य दिखलाते हुए आप के मरने के बाद उस अंजाम तक भी लिये जाता है कि आप को कन्धा देने के लिए चार जन तक नहीं मिलते। इसलिए कोरोना मोक्षदायक कोरोना भी है। मोक्षदायक कोरोना का कहना है; बल्कि साफ कहना है कि कोई किसी के लिए जीता-मरता नहीं। यह दुनिया मतलबी है, ऐसी है, वैसी है। कोरोना कहता है- धरती पर अकेले ही आये थे तो अपने साथ औरों को क्यों घसीटना चाहते हो? अकेले आये हो तो अकेले ही.....समझ गये नऽ! हाँ! 
     कोरोना जहाँ प्रकट हुआ, उस ‘स्थान’, जिस से जुड़ा वह ‘विशेष’, जिसे कोरोना के कारण जीवन से मोक्ष मिला, ‘उसे’ भी कीर्ति प्रदान करता है।
     जिस प्रकार पारस के छुने से लौह भी स्वर्ण हो जाता है, उसी प्रकार कोरोना के होने मात्र से अज्ञात भी गुमनाम और नामचीन हो जाता है।
     इस समाज के कई लोग इस कारण भाग्यशाली और प्रसिद्ध हो गये, अज्ञात और गुमनाम नामचीन हो गये; क्योंकि सिर्फ़ कोरोना ने उन्हें छू लिया। इस समाज में बहुत सारे निठल्ले लोग हैं जो सिर्फ़ समाज पर ही नहीं, स्वयं पर भी बोझ हैं। ऐसे लोग सिर्फ़ इस कारण प्रसिद्ध हो गये; क्योंकि कोरोना ने उन्हें परमगति प्रदान कर दी। जीते-जी उन्हें भले लोग न जाने हों मगर मरने के बाद दुनिया उन्हें अवश्य जान गयी। अपने जीवन की कीमत आप ने भले न समझी हो मगर कोरोना ने बा-इज़्ज़त समझी कि मरने के बाद भी आप की कीर्ति दुनिया जान रही है।

कोरोना डाई हार्ड आशिक

     कोरोना एक डाई हार्ड आशिक भी है। एक ऐसा आशिक जो प्यार के लिए मरना और मारना भी जानता है। कोरोना का प्रेम अमर है। कोरोना का प्रेम अमरत्व प्रदान करता है। कुछ इस तरह कि अपने साथ लिये जाता है। एक बार इस ने जिसे अपना बना लिया, उस के लिए दुनिया बेगानी हो गयी। कोरोना एक सच्चे प्रेमी की तरह मरते दम तक साथ नहीं छोड़ता। कोरोना का कहना है- इस दुनिया में सिर्फ मैं तुम्हारा हूँ और तुम मेरे हो!

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