कोरोना की कुण्डली में कोरोना की मण्डली का योग लिखा था। इसलिए कोरोना के जन्म के साथ ही कोरोना की मण्डली भी जगजाहिर हो गयी। भगवान शिव और माँ दुर्गा के पास जिस प्रकार भूत-प्रेत, पिशाच, योगिनी की मण्डली हैं, उसी प्रकार कोरोना की अपनी मण्डली है।
कोरोना की अपनी मण्डली, अपना फोर्स है। अपना टास्क फोर्स है। जिसे टास्क मिला है कि सारी दुनिया को लाइनहाजिर करो। इसलिए कोरोना के सामने कोरोना मण्डली ने दुनिया को एक लाइन में लाइनहाजिर कर दिया। इस हाजिर-नाजिर के बाद दुनिया की हाजिरी के साथ दुनिया की क्लास लगनी तय थी। क्लास भी लगी फर्स्ट क्लास!
कोरोना के पास चूँकि कई प्रकार की दैवीय शक्तियाँ हैं, इसलिए वह अपने साथ कोरोना मण्डली के रूप में कई भूत, प्रेत, गण, पिशाच, योगिनियाँ आदि लेकर घूम रहा है। एक ओर जहाँ इस के कई प्रतिरूप हैं, वहीं दूसरी ओर कई अवतार भी हैं। ये निरन्तर बढ़ते ही जा रहे हैं और खोजबीन के साथ लगातार सामने आते जा रहे हैं। दुनिया खोज में लगी है, कोरोना बीन बजा रहा है। खोजबीन!
दुनिया चैन की वंशी बजा रही थी, चैन की नीन्द सो रही थी, कुम्भकर्णी नीन्द- तभी न जाने कहाँ से कोरोना नाम का असुर उस की चिरनिद्रा में खलल डालने आ गया। निद्रा बनाम चिरनिद्रा की चीर-फाड़ करने में लग गया। जो उस के अर्थात् कोरोना के साथ हुआ था, जो उस ने सिखा था- मानो दुनिया की सीख उसी पर आजमा रहा हो। दुनिया ने उस के साथ जो किया, वह वही उस के साथ कर रहा था। इसे कहते हैं- जैसे को तैसा और बोए को काटना।
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